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चिली की जनता ने नेता नहीं, निर्दलीय उम्मीदवार चुने

१८ मई २०२१

चिली के सत्तारूढ़ दक्षिणपंथी गठबंधन को बड़ा झटका लगा है क्योंकि उसे देश का नया संविधान बनाने वाली काउंसिल में एक तिहाई सीटें भी नहीं मिल पाई हैं. सबसे ज्यादा सीटें निर्दलीयों को मिली हैं.

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Chile Wahlen
तस्वीर: Marcelo Hernandez/Getty Images

रविवार को हुए मतदान में राष्ट्रपति सेबास्टियन पिन्येरा के चिली वामोस गठबंधन के उम्मीदवार बीस प्रतिशत वोट ही जीत पाए हैं जबकि ज्यादातर मत निर्दलीय उम्मीदवारों को मिले हैं. देश का नया संविधान बनाने के लिए चुने जा रहे ये लोग एक अहम काउंसिल चिली वामोस बनाएंगे, जिसके प्रस्ताव को पास होने के लिए दो तिहाई मतों की जरूरत होगी. यानी सरकार के पास संविधान परिषद के प्रस्ताव रोकने या पास करवाने के लिए पर्याप्त मत नहीं होंगे.

चिली वामोस के उम्मीदवारों को हाल के दिनों में मेयर, गवर्नर और म्यूनिसिपल चुनावों में करारी हार मिली है जिसके बाद गठबंधन के लिए नवंबर में होने वाले आम चुनावों की राह मुश्किल हो गई है. देशा का नया संविधान बनाने की मांग अक्टूबर 2019 में उठी जब जगह-जगह गैरबराबरी के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन हुए थे. मौजूदा संविधान 1973-1990 के बीच ऑगस्टो पिनोशे की तानाशाही के दौरान बनाया गया था और आमतौर पर इसे बड़े व्यापारियों के पक्ष में माना जाता है.

निर्दलीयों की जीत

नया संविधान बनाने वाली काउंसिल के लिए 155 उम्मीवारों का चुनाव होना है. इन सीटों के लिए देश के विभिन्न दलों के बीच तीखा मुकाबला चल रहा था. हालांकि चिली वामोस को भरोसा था कि उसके उम्मीदवार आसानी से काउंसिल में एक तिहाई जगह बना लेंगे. लेकिन जनता ने राष्ट्रीय दलों के बजाय आजाद उम्मीदवारों को चुनकर सबको हैरान कर दिया है.

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चिली में हुए चुनावों में डायनासोर सूट पहन कर वोट डालता एक व्यक्ति.तस्वीर: Esteban Felix/AP Photo/picture alliance

सीएनएन के स्थानीय चैनल के मुताबिक काउंसिल में निर्दलीय उम्मीवारों को 45 सीटें मिलेंगी. चिली वामोस को 39, उदार वामपंथियों को 25 और उग्र वामपंथियों को 28 सीटें मिलने की संभावना है. एक सीट एक अन्य छोटे गठबंधन को जा सकती है. 17 सीटें देश के आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित हैं. संविधान का नया चार्टर बनाने के लिए 12,00 से ज्यादा लोगों ने चुनाव लड़ा था जिनमें ऐक्टर, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनेता, टीवी होस्ट और फैशन मॉडल तक शामिल थे.

जीतने वालों में फ्रैंचिस्का लिंकोनाओ शामिल हैं. वह मापुशे आदिवासी समुदाय की माची अध्यात्मिक नेता हैं और आतंकवादियों से संपर्कों के आरोपों में उन्हें जेल में डाल दिया गया था. हालांकि बाद में सारे आरोप वापस ले लिए गए.

राजनीतिक दलों को संदेश

मतदान के नतीजों के बाद राष्ट्रपति पिन्येरा ने कहा कि सरकार और अन्य दलों को जनता के स्पष्ट संदेश को सुनना चाहिए कि वे जनता की जरूरतों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह चिली के लोगों के ले एक निष्पक्ष, समावेशी, स्थिर और विकासशील देश बनाने का बड़ा मौका था. वैसे पिन्येरा ने संविधान परिषद को संविधान में बहुत बड़े बदलाव करने के खिलाफ भी आगाह किया है. कई लोगों ने आशंका जताई है कि संविधान में बड़े बदलाव दक्षिण अमेरिका में चिली एक स्थिर लोकतांत्रिक और धनी देश के दर्जे के लिए खतरनाक हो सकते हैं.

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चुनावों के नतीजे आने के बाद एक समाचार वार्ता में बोलते हुए राष्ट्रपति सेबास्टियन पिनिएरा.तस्वीर: Dragomir Yankovic/Aton Chile/imago images

सत्तारूढ़ चिली वामोस की टिकट पर परिषद में चुनी गईं मार्चेला क्यूबिलोस कहती हैं कि दक्षिणपंथियों को अब नए गठबंधन बनाने होंगे. उन्होंने मीडिया से कहा, "नतीजों ने ऐसे गठबंधनों को जरूरी बना दिया है.” कोविड महामारी के दौरान फैली बेरोजगारी और गरीबी ने सरकार की लोकप्रियता को खासा नुकसान पहुंचाया है. अपनी पेंशन में से धन निकालने से रोके जाने जैसे कदमों को लेकर लोग सरकार से नाराज हैं.

नए संविधान से उम्मीदें

जिन बदलावों को लेकर ज्यादा चर्चा है उनमें जमीन और पानी पर निजी अधिकार और रोजगार कानूनों में फेरबदल शामिल हैं. देश के उग्र वामपंथी ब्रॉड फ्रंट गठबंधन के नेता गैब्रिएल बोरिस कहते हैं कि चुनाव के नतीजों ने दुनिया के सबसे बड़े तांबा उत्पादक चिली में एक बड़े बदलाव की राह तैयार कर दी है. उन्होंने कहा, "हम अपनी आदिवासी आबादी के लिए एक नए समझौते की उम्मीद कर रहे हैं

हम अपने प्रकृतिक संसाधनों को वापस चाहते हैं और ऐसा देश बनाना चाहते हैं जिसमें सबके लिए अधिकार सुनिश्चित हों. नया चिली बनाने के लिए हम शून्य से शुरू करने जा रहे हैं.” नया संविधान बनाने के लिए सदस्य अधिकतम एक साल का समय लेंगे और फिर अंतिम प्रस्तावों पर देश के लोग फिर से मतदान करेंगे. अगर ये प्रस्ताव पारित नहीं होते हैं तो मौजूदा संविधान ही लागू रहेगा.

वीके/सीके (रॉयटर्स)

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