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दिल्ली की हिंसा में 10 लोगों की मौत

२५ फ़रवरी २०२०

उत्तरपूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में भड़की हिंसा में अभी तक 10 लोगों के मारे जाने और 100 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है. यह देश की राजधानी के एक हिस्से में लगातार हो रही हिंसा का तीसरा दिन है.

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Indien Neu Delhi | Protest gegen Staatsbürgerschaftsgesetz
तस्वीर: DW/S. Kumar

नागरिकता कानून पर विवाद को लेकर शनिवार 22 फरवरी को जो घटनाक्रम शुरू हुआ था वह मंगलवार 25 फरवरी को भी जारी रहा. ये हिंसा ऐसे वक्त में हो रही  जब अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप दिल्ली में हैं और सरकार सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद होने का दावा कर रही है. उत्तरपूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में भड़की हुई हिंसा में अभी तक 10 लोगों के मारे जाने की और 100 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है. घायलों में करीब 50 पुलिसकर्मी शामिल हैं. 

Indien Neu Delhi | Protest gegen Staatsbürgerschaftsgesetz
तस्वीर: DW/S. Kumar

भजनपुरा, गोकुलपुरी, चांद बाग, करावल नगर, विजय पार्क, यमुना विहार, जाफराबाद, खुरेजी खास जैसे इलाकों में धारा 144 लागू होने के बावजूद झड़पें लगातार जारी रहीं. लाठियों से लैस कई लोगों को सड़कों पर देखा गया, कई वाहनों, घरों और दुकानों को जला दिया गया और लाठियों से बेरहमी से लोगों को पीटे जाने के कई वीडियो वायरल हुए. बताया जा रहा है कि मृतकों में से कम से कम आधे गोलियों का शिकार हुए हालांकि अभी तक लोगों के हाथों में बड़े पैमाने पर बंदूकों के होने की पुष्टि नहीं हुई है. 

दंगाइयों ने मीडियाकर्मियों को भी नहीं बख्शा और कई जगहों से पत्रकारों के साथ हिंसा और उनके सामान के साथ तोड़-फोड़ की खबर आई. 


कुछ मीडिया संगठनों का यह भी मानना है कि दिल्ली पुलिस ने हालात पर काबू पाने में असमर्थता जताते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय से कहा है कि दिल्ली में पुलिसकर्मियों की संख्या पर्याप्त नहीं है. हालांकि दिल्ली पुलिस ने इस बात से इंकार किया है और कहा है कि पर्याप्त संख्या में सुरक्षाबल तैनात कर दिए गए हैं.

बताया जा रहा है की कई जगहों पर पुलिस के तैनात होने के बाद भी हिंसा हुई और पुलिस ने कुछ नहीं किया. 

Indien Neu Delhi | Protest gegen Staatsbürgerschaftsgesetz
तस्वीर: DW/S. Kumar


  

दिन में केंद्रीय गृह-मंत्री अमित शाह ने दिल्ली के हालत पर एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी शामिल हुए. लेकिन बैठक के बाद हिंसा को रोकने के लिए किसी विशेष कदम की घोषणा नहीं हुई. हिंसा के सांप्रदायिक होने के भी प्रमाण निकल कर आ रहे हैं. 

दिल्ली में मामला रविवार 23 फरवरी से ही बिगड़ना शुरू हो गया था. एक दिन पहले शनिवार 22 फरवरी को जाफराबाद में मेट्रो स्टेशन के नीचे कुछ महिलाओं ने शाहीन बाग की तर्ज पर नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध का नया मोर्चा खोलने की कोशिश की. पुलिस ने महिलाओं से ऐसा ना करने को कहा लेकिन वे नहीं मानीं. धीरे धीरे और भी लोग वहां इकठ्ठा होने लगे और रात होने तक वहां अर्द्धसैनिक बल तैनात कर दिए गए. 

रविवार सुबह वहां और भी लोग आ गए, जिसके बाद बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने भड़काऊ ट्वीट करने शुरू किये और नागरिकता कानून के समर्थन में लोगों को जाफराबाद में इकठ्ठा होने के लिए कहा. 

मीडिया में आई खबरों के अनुसार मिश्रा जब वाकई उस इलाके में अपने समर्थकों के साथ पहुंच गए तो उसके बाद घटनाक्रम ने हिंसक मोड़ ले लिया. दो गुटों के बीच पत्थरबाजी और आगजनी भी हुई. कपिल मिश्रा ने खुले आम पुलिस को चेतावनी देते हुए कहा, "ट्रंप के रहने तक तो हम सब शान्ति से जा रहे हैं. लेकिन उसके बाद हम आपकी भी नहीं सुनेंगे." 

शाम होते होते पूरे इलाके में शान्ति बहाल करने के लिए पुलिस ने फ्लैग मार्च निकाला लेकिन सोमवार सुबह हालात फिर बिगड़ गए. देखते ही देखते झड़पें हिंसक हो गईं, पत्थरबाजी हुई और कई वाहनों और दुकानों को आग लगा दिया गया. 

स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है. लोग हिंसा रोकने में केंद्र सरकार की नाकामी से भी खासे नाराज हैं.

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