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अपराधएशिया

'बुल्ली बाई, सुल्ली डील्स' के पीछे एक काली दुनिया

चारु कार्तिकेय
८ जनवरी २०२२

मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाने वाले 'बुल्ली बाई' और 'सुल्ली डील्स' जैसे अभियानों के पीछे नफरत की एक पूरी काली दुनिया है. इस दुनिया में हैं कट्टरपंथी विचारों में विश्वास करने वाले और फैलाने वाले पढ़े लिखे युवा.

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'बुल्ली बाई' मामले में असम से गिरफ्तार हुआ युवकतस्वीर: REUTERS

'बुल्ली बाई' ऐप की जांच के दौरान मुंबई और दिल्ली पुलिस ने अभी तक जिन चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उन्हें सोशल मीडिया पर 'ट्रैड्स' के नाम से जाने जाने वाले समूहों का हिस्सा बताया जा रहा है.

'ट्रैड्स' 'ट्रैडिशनलिस्ट्स' का लघु रूप है. यूं तो 'ट्रैडिशनलिस्ट' का मतलब परंपरावादी होता है, लेकिन सोशल मीडिया पर इस समूह की गतिविधियां किसी परंपरा को संजोए रखने पर नहीं बल्कि हिंदुत्व के सबसे उग्र, चरमपंथी विचारों को फैलाने पर केंद्रित हैं.

संगठित साइबर उत्पीड़न

कई पत्रकार हैं जिन्होंने इन 'ट्रैड्स' पर लंबे समय से नजर रखी हुई है. इन पत्रकारों का कहना है कि सोशल मीडिया पर इस तरह के हजारों खाते हैं. इनमें से कुछ के तो लाखों फॉलोवर हैं. ट्विटर पर इनमें से शायद ही कोई ब्लू टिक वाला सत्यापित खाता होगा लेकिन इनमें से कई खातों की ट्वीटों को कुछ सेलिब्रिटी खाते लाइक और रीट्वीट जरूर करते हैं.

पत्रकार नील माधव करीब पांच साल से इन 'ट्रैड्स' की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि ये साइबर बुलीइंग और उत्पीड़न बहुत संगठित तरीके से करते हैं. नील माधव कहते हैं कि अगर इन्हें ऑनलाइन आपको निशाना बनाना हो तो ये अपने समूहों में बड़ी बारीकी से इसकी योजना बनाएंगे और फिर बड़ी संख्या में आप पर हमला करेंगे.

ये 'ट्रैड्स' मुख्य रूप से दलितों, मुस्लिमों, ईसाईयों और सिखों के खिलाफ ना सिर्फ विचारों बल्कि सक्रिय रूप से हिंसा को बढ़ावा देते हैं. ये खुद भी हत्या, बलात्कार और हर तरह की हिंसा करने की खुलेआम धमकी देते हैं.

ये इतने चरमपंथी विचारों के होते हैं कि कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के खिलाफ नफरत व्यक्त करने के अलावा ये कई बार बीजेपी पर भी दलितों और मुस्लिमों की तरफ 'नरम' होने का आरोप लगाते हैं और आलोचना करते हैं. इस मोर्चे पर ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी नहीं बख्शते हैं.

आपराधिक गतिविधियां

नील माधव और इन पर नजर रखने वाले कुछ और पत्रकारों का मानना है कि जाति को लेकर इनके विचार सिर्फ दलित-विरोधी होने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये ब्राह्मणों की एक तरह की नस्ली श्रेष्ठता में विश्वास रखते हैं.

'ट्रैड्स' ना सिर्फ ट्विटर बल्कि फेसबुक, टेलीग्राम और रेडिट जैसे मंचों पर भी सक्रिय हैं, जहां ये ना सिर्फ नफरत भरी बातें करते हैं बल्कि ऐसी भाषा और ग्राफिक का प्रयोग करते हैं जो भद्दी और आपराधिक होती हैं.

ये इनसे अलग विचारों वाले लोगों को अक्सर सोशल मीडिया पर निशाना बनाते हैं. वेबसाइट न्यूजलॉन्ड्री के लिए काम करने वाले पत्रकार प्रतीक गोयल बताते हैं कि 2020 में ट्विटर पर @TIinexile नाम के एक खाते और उसको फॉलो करने वालों ने बेंगलुरु की वरिष्ठ पुलिस अधिकारी डी रूपा को निशाना बनाया था.

पुलिस की कार्रवाई के बाद इस खाते को ट्विटर ने सस्पेंड कर दिया लेकिन उसके बाद इसी यूजर ने @BharadwajSpeaks के नाम से एक और खाता बना लिया. कुछ ही घंटों में इस खाते को एक लाख से ज्यादा फॉलोवर भी मिल गए. इसी खाते ने बाद में पूर्व राज्यपाल स्वराज कौशल को भी ट्विटर पर निशाना बनाया.

सिर्फ ऑनलाइन नेटवर्क नहीं

नील माधव ने यह भी बताया कि 'ट्रैड्स' भले ही सोशल मीडिया पर अपनी पहचान गुप्त रखते हों, लेकिन ये एक दूसरे को अच्छी तरह से चेहरों से और नामों से जानते हैं. प्रतीक का भी कहना है कि बेनाम खातों के पीछे कौन व्यक्ति है ये लोग अच्छी तरह से जानते हैं और नियमित रूप से एक दूसरे से संपर्क में रहते हैं.

Indien Mumbai | Festnahmen | Online-Auktion von Musliminnen
मुंबई पुलिस कमिश्नर हेमंत नगराले 'बुल्ली बाई' मामले में जांच के बारे में बताते हुएतस्वीर: picture alliance/dpa/AP

इसका मतलब 'ट्रैड्स' सिर्फ एक ऑनलाइन नेटवर्क नहीं हैं, बल्कि एक ऑफलाइन नेटवर्क भी है. अब सवाल यह बनता है कि सोशल मीडिया पर इस तरह की आपराधिक गतिविधियां इस तरह खुलेआम हो कैसे रही हैं? पुलिस और दूसरी कानूनी एजेंसियां इनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं करतीं?

प्रतीक गोयल ने डीडब्ल्यू को बताया कि 'बुल्ली बाई' मामले में गिरफ्तार किए गए नीरज बिश्नोई और कुछ और लोगों के खिलाफ कुछ लोगों ने पुणे पुलिस और गुजरात पुलिस को शिकायत की थी, लेकिन दोनों स्थानों की पुलिस ने शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की.

प्रतीक गोयल बताते हैं कि 'ट्रैड्स' खातों को कई बार ट्विटर को रिपोर्ट किया जा चुका है. ज्यादा शिकायतें मिलने पर ट्विटर इन खातों को सस्पेंड कर देता है, लेकिन ये नए नामों से फिर वापस आ जाते हैं.

इस सब बातों की रोशनी में 'ट्रैड्स' को लेकर कई तरह के सवाल उठते हैं जिनके जवाब शायद पुलिस जांच के बिना ना मिल पाएं. मसलन क्या वाकई इनका एक संगठित नेटवर्क है? क्या इस नेटवर्क का कोई सरगना है? अगर है तो कौन है? 'बुल्ली बाई' मामले में पहली बार ऐसे लोग पुलिस के गिरफ्त में आए हैं. देखना होगा कि जांच कहां तक जाती है.

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