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सोशल मीडिया पर हिंदू महिलाएं भी निशाने पर

आमिर अंसारी
७ जनवरी २०२२

बुल्ली बाई ऐप का मुद्दा अभी शांत भी नहीं हुआ है कि अब एक और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए हिंदू महिलाओं को निशाना बनाने का मामला सामने आया है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa/AP

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम पर कथित रूप से हिंदू महिलाओं को लक्षित करने वाले एक चैनल को ब्लॉक किया गया है. उन्होंने बताया है कि सरकार मामले में आगे की कार्रवाई के लिए राज्यों की पुलिस के साथ समन्वय कर रही है.

यह प्रकरण ऐसे में सामने आया है जब बुल्ली बाई नाम के ऐप पर भारत में काफी बवाल मचा हुआ है. बुल्ली बाई ऐप की जांच कर रही पुलिस ने मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया है. बुल्ली बाई ऐप मामले ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी, और इस कांड ने यह बताया कि महिलाएं इंटरनेट पर कितनी असुरक्षित हैं.

अब निशाने पर हिंदू महिलाएं

अश्विनी वैष्णव के संज्ञान में एक ट्विटर यूजर ने इस बात को लाया तो उन्होंने जवाब दिया कि टेलीग्राम चैनल को ब्लॉक कर दिया गया है और एजेंसियां राज्य की पुलिस के साथ कार्रवाई के लिए समन्वय कर रही है. ट्विटर यूजर ने लिखा था कि कथित चैनल पर हिंदू लड़कियां की तस्वीरें साझा की जा रही हैं, उन्हें गालियां दी जा रही हैं और उनको निशाना बनाया जा रहा है.

सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी ट्वीट कर जानकारी दी कि उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को आदेश दिया है कि वह मेटा को ऐसे पेजों को तत्काल हटाने का निर्देश दे जो हिंदू लड़कियों के लिए आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट कर रहे हैं.

हाल के दिनों में विभिन्न समुदायों की महिलाओं को सोशल मीडिया पर निशाना बनाया गया है. उनकी तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की गई या फिर उन्हें सरेआम गाली दी गई. सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाली कई महिलाओं ने ऐसे संदेश के स्क्रीनशॉट साझा किए जिनमें उन्हें गालियां दी गईं.

बुल्ली बाई ऐप पर ऐसी प्रमुख मुस्लिम महिलाओं की ऑनलाइन बोली लगाई गई जो समाज में अपने समुदाय और वंचित लोगों की आवाज बनी हैं. इस ऐप को बनाने के आरोप में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. ये सभी युवा हैं और पढ़ाई कर रहे हैं. हालांकि इनके मन में नफरत के बीज बोने वाले असली गुनाहगार गिरफ्त से बाहर है.

ऑनलाइन उत्पीड़न झेलती महिलाएं

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के मुताबिक मार्च 2021 के अंत तक भारत में लगभग 82.5 करोड़ इंटरनेट यूजर थे. उनमें से अधिकांश वास्तविक हैं, जिनमें शरारती तत्वों की संख्या बहुत कम है. लेकिन ऐसे शरारती तत्वों में राष्ट्र, उसकी राजनीति, अर्थव्यवस्था और नागरिकों के व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में तबाही मचाने की घातक क्षमता होती है.

ऐसे तत्व देश के नाजुक सामाजिक ताने-बाने पर भी दबाव डाल सकते हैं, जैसा कि ओपन-सोर्स ऐप बुल्ली बाई में देखा जा सकता है, जिसे "मुस्लिम महिलाओं की नीलामी" के लिए वेब प्लेटफॉर्म गिटहब पर होस्ट किया गया था. कई बार फेक प्रोफाइल बनाकर या चेहरे को मॉर्फ कर लड़कियों को ब्लैकमेल तक किया जाता है. कई बार पीड़ित लड़कियां शर्म और डर की वजह से परिवार तक अपनी पीड़ा नहीं पहुंचा पाती हैं.

कड़वी सच्चाई यह है कि साइबर ब्लैकमेलिंग, इंटरनेट पर परेशान करना और डराना-धमकाना एक बहुत बड़ा मुद्दा है, जिससे महिलाओं और उनके परिवारों को काफी तनाव होता है. यह सिर्फ महानगरों तक सीमित नहीं है या किसी विशेष जाति या समुदाय के लिए विशिष्ट नहीं है. छोटे शहर भी बुरी तरह से प्रभावित हैं.

एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि 2020 के दौरान भारत में कुल साइबर अपराध 50,035 थे और विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ अपराध केवल 10,405 थे. ये आंकड़े जमीनी हकीकत का एक अंश मात्र हैं. कई बार महिलाएं समाज में बदनामी के डर से भी शिकायत नहीं करती हैं, क्योंकि मर्दवादी भारतीय समाज में पीड़ित महिलाओं पर ही इल्जाम मढ़ दिया जाता है.

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