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कर्ज की सस्ती किस्त के सहारे जर्मनी की रक्षा

२ अप्रैल २०२४

जर्मनी के वित्त मंत्री क्रिस्टियान लिंडनर को लगता है कि वह 2028 तक रक्षा खर्च में नौ अरब यूरो का इजाफा कर लेंगे. उनकी यह योजना किंतु-परंतु से भरी है.

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युद्ध जैसे हालात के लिए तैयार नहीं है जर्मन सेना
युद्ध जैसे हालात के लिए तैयार नहीं है जर्मन सेनातस्वीर: Terry Moore/StockTrek Images/imago images

जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए से बात करते हुए जर्मनी के वित्त मंत्री क्रिस्टियान लिंडनर ने कहा कि अगर उनका देश यूरोपीय संघ द्वारा निर्धारित वित्तीय लक्ष्यों को हासिल कर लेगा, तो अतिरिक्त फंड का रास्ता खुल जाएगा. यूरोपीय संघ के लक्ष्य के तहत देशों को अपना कर्ज, जीडीपी के 60 फीसदी से नीचे लाना है. बिजनेस फ्रेंडली 'फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी' (एफडीपी) के नेता लिंडनर ने कहा, "अगर हम इस सीमा से नीचे रहे, तो 2028 से शुरू होने वाले कोरोनावायरस कर्ज पर बातचीत फिर शुरू हो सकेगी."

भारत और जर्मनी दे रहे हैं आपसी रक्षा संबंध बढ़ाने पर जोर

जर्मनी केवित्त मंत्री क्रिस्टियान लिंडनर
जर्मनी केवित्त मंत्री क्रिस्टियान लिंडनरतस्वीर: Serhat Kocak/dpa/picture alliance

जर्मन सरकार बीते बरसों में खूब आपातकालीन कर्ज ले चुकी है. 2020, 2021 और 2022 में जर्मनी ने करीब 300 अरब यूरो का कर्ज लिया. ये लोन कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध के असर से निपटने के लिए लिया गया. अब इसी कर्ज की अदायगी एक वित्तीय मुश्किल बन रही है. लिंडनर के मुताबिक, सब कुछ सोच के मुताबिक हुआ तो जर्मनी को 2028 से हर साल 9 अरब यूरो मिलने लगेंगे. उन्होंने कहा, "हालांकि, तब तक कर्ज के स्तर पर महामारी का बोझ खत्म हो जाएगा, फिर कर्ज वापसी की किस्त बहुत ही नीचे आएगी."

मामला नाटो का और डर ट्रंप का

जर्मन वित्त मंत्री को उम्मीद है कि इस रकम से जर्मनी नाटो के लक्ष्यों के मुताबिक रक्षा पर खर्च कर सकेगा. नाटो के नियमों के अनुसार, हर सदस्य देश को अपनी जीडीपी का दो फीसदी पैसा रक्षा पर खर्च करना चाहिए.

अमेरिकी नेता डॉनल्ड ट्रंप बतौर राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के दौरान दो फीसदी से कम रकम खर्च करने वाले नाटो देशों को खरी-खोटी सुना चुके हैं. इस साल के अंत में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं. अब तक के सर्वे रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रंप को वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन से जरा सा आगे दिखा रहे हैं. चुनाव अभियान के दौरान भी ट्रंप कह चुके हैं कि रक्षा पर जरूरी पैसा खर्च ना करने वाले नाटो देशों की वह रूस से रक्षा नहीं करेंगे. ट्रंप ने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि उनका इशारा जर्मनी की तरफ था.

शीत युद्ध खत्म होने के बाद जर्मनी लगातार अपने सैन्य खर्च में कटौती करता गया. लेकिन यूक्रेन पर रूस के हमले ने यूरोपीय देशों को चिंता में डाल दिया है. जर्मनी के नेताओं को कई दशकों बाद अहसास हुआ कि उनकी सेना ऐसी परिस्थितियों के लिए तैयार ही नहीं है. फरवरी 2022 में शुरू हुई जंग के बाद जर्मनी ने आधुनिक हथियार खरीदने के लिए 100 अरब यूरो का खास फंड बनाने का एलान किया. बर्लिन ने जीडीपी का दो फीसदी रक्षा पर खर्च करने का वादा भी किया है.

राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान डॉनल्ड ट्रंप
राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान डॉनल्ड ट्रंपतस्वीर: Meg Kinnard/AP Photo/picture alliance

पैसे के इंतजाम के लिए माथापच्ची

जर्मनी की अर्थव्यवस्था 2022 की आखिरी तिमाही से मंदी की चपेट में है. 2024 के आर्थिक हालात भी बहुत अच्छे नहीं दिख रहे हैं. सरकार इस वक्त 2025 के बजट और 2028 की वित्तीय योजना पर काम कर रही है. 2028 अभी से जर्मनी के लिए एक चुनौती भरा साल दिख रहा है. तब तक 100 अरब यूरो का स्पेशल फंड खत्म हो चुका होगा और नाटो के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार को 20 से 25 अरब यूरो की अतिरिक्त रकम चाहिए होगी.

जर्मन वित्त मंत्री उम्मीद के साथ कहते हैं, "अगर हमने 2028 तक आर्थिक विकास को मजबूत करने में सफलता पाई और अगर हम सामाजिक भुगतान में अतिरिक्त खर्च नहीं जोड़ेंगे, तो भी हम दो फीसदी का लक्ष्य हासिल कर लेंगे."

ओएसजे/एसएम (डीपीए, एएफपी, रॉयटर्स)

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