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अपराधभारत

बुल्ली बाई: सभी अभियुक्तों को मिली जमानत

चारु कार्तिकेय
२२ जून २०२२

बुल्ली बाई मामले में सभी छह अभियुक्तों को जमानत मिल गई है. जमानत के लिए दी गई दलीलों में कहा गया था कि अगर उनके खिलाफ आरोप सच्चे भी हैं तो भी अदालत को उनके प्रति "पिता तुल्य" रुख अपनाना चाहिए.

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Indien Polizeibeamte eskortieren einen Mann nach seiner Verhaftung in Neu-Delhi
तस्वीर: REUTERS

मुंबई सेशंस कोर्ट ने बुल्ली बाई मामले में गिरफ्तार तीन अभियुक्तों - ओंकारेश्वर ठाकुर, नीरज बिश्नोई और नीरज सिंह - को जमानत दे दी. अप्रैल में मुंबई के ही एक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने विशाल झा, श्वेता सिंह और मयंक रावत को जमानत दे दी थी.

इसी के साथ मामले में गिरफ्तार किए गए सभी छह अभियुक्त जमानत पर बाहर आ गए हैं. ओंकारेश्वर ठाकुर, नीरज बिश्नोई और नीरज सिंह को अतिरिक्त सेशंस जज एबी शर्मा ने 50,000 रुपयों के जमानत बांड और उतनी ही धनराशि के एक या दो साल्वेंट बांड पर जमानत देने का आदेश दिया.

अभियुक्तों को हर महीने साइबर पुलिस स्टेशन जाने का और अदालत की अनुमति के बिना विदेश यात्रा ना करने का आदेश भी दिया गया. पूरा मामला 'बुल्ली बाई' नाम के ऐप से जुड़ा है. ऐप पर 100 से ज्यादा जानी मानी मुस्लिम महिलाओं के नाम और तस्वीरें डाल कर उनकी वर्चुअल बोली लगाई गई थी.

'बुल्ली बाई' ऐप पर जिनकी तस्वीरें डाली गईं उनमें प्रसिद्ध अभिनेत्री शबाना आजमी, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की पत्नी, कई पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता शामिल हैं.

इनमें से कई महिलाओं की शिकायत करने के बाद मुंबई पुलिस के साइबर सेल ने जनवरी 2022 में एफआईआर दर्ज कर इन अभियुक्तों को गिरफ्तार किया था. इससे पहले 'सुल्ली डील्स' नाम का एक और इसी तरह का ऐप भी सामने आया था. 'सुल्ली डील्स' पर 80 से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें डाली गई थीं. ऐप के खिलाफ दिल्ली और उत्तर प्रदेश में मामले दर्ज किए गए लेकिन अब तक उस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है और ना ही कोई गिरफ्तारी.

ये जानकारी अभी सामने नहीं आई है कि "सुल्ली डील्स" और "बुल्ली बाई" जैसे ऐप बनाने के पीछे असली लोग कौन हैं और उनको किसका समर्थन हासिल है. लेकिन कई जानकारों का कहना है कि इस तरह के अभियानों में कट्टरपंथी विचारों में विश्वास करने वाले और फैलाने वाले पढ़े लिखे युवा शामिल हैं.

गिरफ्तार किए गए लोगों को सोशल मीडिया पर 'ट्रैड्स' के नाम से जाने जाने वाले समूहों का हिस्सा बताया जाता है. इन 'ट्रैड्स' पर लंबे समय से नजर रखने वाले पत्रकारों का कहना है कि सोशल मीडिया पर इस तरह के हजारों खाते हैं जिनमें से कुछ के तो लाखों फॉलोवर हैं. इनमें से कई खातों की ट्वीटों को कुछ सेलिब्रिटी खाते लाइक और रिट्वीट जरूर करते हैं.

पत्रकार नील माधव ने डीडब्ल्यू को बताया था कि ये साइबर बुलीइंग और उत्पीड़न बहुत संगठित तरीके से करते हैं. और मुख्य रूप से दलितों, मुस्लिमों, ईसाईयों और सिखों के खिलाफ ना सिर्फ विचारों बल्कि सक्रिय रूप से हिंसा को बढ़ावा देते हैं. ये हत्या, बलात्कार और हर तरह की हिंसा करने की खुलेआम धमकी देते हैं.

हालांकि जमानत के लिए अदालत को दी अर्जी में ओंकारेश्वर ठाकुर, नीरज बिश्नोई और नीरज सिंह ने कहा था कि उन पर झूठे आरोप लगाए गए हैं. उन्होंने माना था कि वो बुल्ली बाई ऐप को फॉलो करते थे लेकिन उन्होंने ऐप को बनाया नहीं था. उन्होंने यह दलील भी दी थी कि अगर आरोप सही भी हों तो अदालत को "पिता तुल्य" रुख अपनाना चाहिए क्योंकि उन्हें जेल में डाले जाने की जगह काउंसलिंग की जरूरत है.

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