जो बाइडेन ने रूस के खिलाफ मिसाइलों के इस्तेमाल की मंजूरी दी
१८ नवम्बर २०२४अमेरिकी मीडिया कंपनी 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से यह खबर दी है, हालांकि उनके नाम नहीं बताए गए हैं. अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट का कहना है कि कुर्स्क के इलाके में हजारों उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती के जवाब में यह अनुमति दी गई है. अखबार के मुताबिक इसका मकसद उत्तर कोरिया को और सैनिक भेजने से रोकना है. पश्चिमी देशों की खुफिया रिपोर्टों में कहा गया है कि करीब 10,000 उत्तर कोरियाई सैनिकों को रूस में तैनात किया गया है.
इस बीच रूस ने रविवार को यूक्रेन पर भारी हमला किया है, जिसमें कम से कम 11 आम लोगों के मौत की खबर है. इसके साथ ही देश के ऊर्जा ढांचे को भी काफी नुकसान हुआ है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भी इस बात के संकेत दिए हैं कि यूक्रेन को रूस के खिलाफ लंबी दूरी की मिसाइलें इस्तेमाल करने की अनुमति मिल गई है.
रविवार शाम को अपने संबोधन में जेलेंस्की ने मीडिया में चल रही खबरों को स्वीकार किया, हालांकि इसके बारे में और ब्यौरे की पुष्टि नहीं की. जेलेंस्की ने कहा, "संबंधित कार्रवाई के लिए हमें अनुमति मिलने के बारे में मीडिया में बहुत बातें हो रही हैं, लेकिन हमला शब्दों से नहीं होता. इस तरह के चीजों की घोषणा नहीं होती. मिसाइलें खुद बोलेंगी."
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कार्यकाल के आखिर में बाइडेन का बड़ा फैसला
अमेरिका ने अब तक यूक्रेन को अपने हथियारों को सिर्फ यूक्रेन के सीमावर्ती शहर खारकीव के आसपास ही इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी. अपने कार्यकाल के बचेखुचे दिनों में राष्ट्रपति बाइडेन ने यह बड़ा फैसला किया है. फैसला ऐसे समय में आया है जब डॉनल्ड ट्रंप व्हाइट हाउस में लौटने की तैयारियों में जुटे हैं. राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप की जीत के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या यूक्रेन को अमेरिका की ओर से मिल रही भारी सैन्य मदद जारी रहेगी.
इसी साल सितंबर में जेलेंस्की से मुलाकात में ट्रंप ने वादा किया था कि वह पुतिन के साथ अपने "अच्छे रिश्तों" का इस्तेमाल कर युद्ध को जल्दी से खत्म कराएंगे. ट्रंप युद्ध खत्म कराने के लिए क्या कदम उठाएंगे इसके संकेत उन्होंने नहीं दिए हैं. ऐसे अनुमान हैं कि वह यूक्रेन पर रूसी कब्जे वाले कुछ या फिर सारे इलाकों को छोड़ने देने के लिए दबाव बना सकते हैं.
इससे पहले अमेरिकी अधिकारी ऐसे कदमों के कारण रूस के साथ संघर्ष बढ़ने की आशंका जताते रहे हैं. इसके साथ ही उन्हें अमेरिका के अपने हथियारों के जखीरे के घटने का भी जोखिम नजर आ रहा था. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूसी इलाके में एटीएसीएमएस मिसाइलों के इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी दी है. उनका कहना है कि ऐसा करने का मतलब होगा नाटो गठबंधन का उनके देश के साथ "जंग में" उतरना. पश्चिमी देशों ने जब यूक्रेन को सैन्य सहयोग बढ़ाया था तब भी पुतिन ने ऐसी चेतावनी दी थी.
यूरोपीय देशों की नीति में भी हो सकता है बदलाव
अमेरिका की नीति में बदलाव आने के बाद यूक्रेन के यूरोपीय सहयोगी भी लंबी दूरी के मिसाइलों को लेकर अपने रुख पर दोबारा विचार करेंगे. विशेषज्ञों का कहना है कि केवल हथियारों से ही युद्धभूमि की वर्तमान परिस्थितियों में कोई निर्णायक बदलाव नहीं आएगा.
फ्रांस और ब्रिटेन ने भी यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलें दी हैं, लेकिन उन्हें रूस में इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है. जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने यूक्रेन को अपनी टॉरस मिसाइल देने से मना कर दिया था. उन्हें डर है कि 500 किलोमीटर से ज्यादा दूर तक मार करने वाली इन मिसाइलों का इस्तेमाल रूसी इलाके में हो सकता है.
यूरोप की सुरक्षा में नाटो के आगे बड़ी चुनौतियां
बाइडेन प्रशासन के आखिरी दो महीनों में अधिकारियों ने यूक्रेन की सहायता करने के लिए 6 अरब डॉलर की रकम खर्च करने का वादा किया है. इसकी मंजूरी पहले ही मिल चुकी है. यूक्रेन के जखीरे में कितनी एटीएसीएमएस मिसाइलें बची हैं यह साफ नहीं है. यह मिसाइल अमेरिकी रक्षा समूह लॉकहीड मार्टिन ने बनाया है जिसकी रेंज करीब 300 किलोमीटर तक है.
एनआर/आरपी (डीपीए, एएफपी)