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चीन पर आसियान और अमेरिका का दबाव

१० जुलाई २०१२

दक्षिणपूर्व एशिया के देश चीन के साथ विवादित दक्षिण चीन सागर पर बातचीत करना चाहते हैं. आसियान के दस देश आपसी आचार संहिता के जरिये इस विवाद को सुलझाना चाहते हैं. चीन भी अब आवाज नरम करने लगा है.

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तस्वीर: Reuters

कंबोडिया की राजधानी नोम पेन्ह में आसियान की वार्षिक बैठक के पहले दिन दक्षिण चीन सागर का मुद्दा गूंजता रहा. कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन ने जोर देते हुए कहा कि दक्षिणपूर्व एशिया के 10 देशों का प्रमुख उद्देश्य चीन के साथ 'आचरण संहिता' बनाना है.

इसी हफ्ते के अंत में आसियान क्षेत्रीय फोरम में अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और चीन के विदेशी मंत्री भी आएंगे. दक्षिण चीन सागर इन दोनों महाशक्तियों के बीच अखाड़ा बन रहा है. अमेरिका बार बार कह चुका है कि बीजिंग को दंबग तेवर नहीं अपनाने चाहिए.

Japan China Streit um Seegebiet Fischereikontrolle im Südchinesischen Meer Insel
तस्वीर: picture alliance / AP Photo

बैठक के पहले दिन कंबोडिया के विदेश मंत्री काओ किम हाउर्न ने कहा कि आसियान देशों के विदेश मंत्री प्रस्तावित आचरण संहिता के मुख्य मुद्दों पर सहमत हैं. आचरण संहिता में विवाद में शामिल देशों के बीच संयमित व्यवहार की बात कही गई है. काओ ने कहा, "विदेश मंत्री इस बात पर सहमत हो गए हैं कि आसियान के वरिष्ठ अधिकारी चीन के सीनियर अफसरों से मिलेंगे और इस पर (आचरण संहिता) बात करेंगे."

फिलहाल कंबोडिया आसियान का अध्यक्ष देश है. एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशन्स में फिलीपींस, इंडोनेशिया, वियतनाम, ब्रूनेई, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस, थाइलैंड, मलेशिया और सिंगापुर हैं.

चीन फिलहाल पूरे दक्षिणी चीन सागर को अपना हिस्सा मानता है. इस विवादित समुद्र के नीचे अथाह मात्रा में प्राकृतिक तेल और गैस होने का अनुमान है. परिवहन के लिहाज से भी यह काफी अहम है. ताइवान के अलावा आसियान सदस्य फिलीपींस, वियतनाम, ब्रूनेई और मलेशिया भी सागर पर अपना दावा करते हैं. वियतनाम और फिलीपींस का आरोप है कि चीन आक्रामकता का सहारा लेकर उन्हें दबाने की कोशिश कर रहा है. वियतनाम भारत के साथ मिलकर दक्षिण चीन सागर में तेल खनन की परियोजना चला रहा है. बीजिंग भारत को भी चेतावनी दे चुका है कि वह दक्षिण चीन सागर से दूर रहे.

Karte Südchinesisches Meer Englisch
तस्वीर: DW

सोमवार को चीन ने भी विवाद को लेकर बातचीत का संकेत दिया. बीजिंग ने कहा कि वह आसियान के साथ तैयार शर्तों पर चर्चा कर सकता है. लेकिन चीन ने यह भी कहा है कि प्रस्तावित संधि को विरोधियों के दावे के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लीऊ वेइमिन ने कहा, "आचार संहिता विवाद को खत्म करने के इरादे से नहीं है. लेकिन यह आपसी भरोसे और गहरे सहयोग को तैयार करेगी."

अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों को अब भी यह लग रहा है कि चीन की टोन भी नरम पड़ेगी. ऑस्ट्रेलिया की न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी में दक्षिणपू्र्व एशिया के सुरक्षा विशेषज्ञ कार्ल थायेर कहते हैं, "यह उम्मीद है कि चीन आसियान के साथ काम करेगा क्योंकि वह अमेरिका को यहां घुसने नहीं देना चाहेगा. लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि आसियान के प्रस्ताव पर चीन की क्या प्रतिक्रिया होगी. हमें नहीं पता कि आचार संहिता में विवाद को खत्म करने का तंत्र है या नहीं."

हाल के बरसों में वियतनाम और फिलीपींस के साथ अमेरिका के सैन्य संबंध मजबूत हुए हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन पहले ही कह चुकी हैं कि सागर में आने जाने का खुला रास्ता अमेरिका का राष्ट्रीय हित है. अब ऐसी उम्मीदें की जा रही है कि हफ्ते के अंत में जब क्लिंटन वहां जाएंगी तो उनके लहजे में कुछ नरमी होगी.

ओएसजे/एमजी (एपी, एएफपी)

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