दिल्ली की दुर्घटनाः मृतकों की संख्या 66 हुई
१६ नवम्बर २०१०बचावकर्मियों ने अपने हाथ से मलबा हटाया है और दुर्घटना के 15 घंटों भी बाद जीवित लोगों को निकालने के लिए क्रेन और कटर का इस्तेमाल किया गया है. घटनास्थल का दौरा करने के बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि मलबे के नीचे पांच से छह लोग और दबे हो सकते हैं जिनके जीवित होने की संभावना बहुत कम है. इस हादसे में 130 लोग घायल भी हुए हैं.
दिल्ली के उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना ने कहा कि इलाके की बहुत सी इमारतों की तरह यह भी गैर कानूनी रूप से बनाई गई इमारत थी. वह कहते हैं, "पूरा इलाका यमुना नदी के पुश्ते पर बसा है और हालिया बाढ़ से हो सकता है कि इमारतों की नींव कमजोर हुई हो." अधिकारियों का कहना है कि कुछ दिनों पहले बाढ़ के दौरान इस इमारत के तहखाने में कुछ दिन तक पानी भरा रहा जो उसके गिरने की वजह हो सकता है.
15 साल पुरानी इस इमारत की पांच मंजिलों में लगभग 50 कमरे हैं और हर कमरे में लगभग पांच लोग रहते थे. इमारत में रहने वाले एक व्यक्ति मोहम्मद खान ने यह जानकारी दी. खान के पांच भाई इस हादसे में मारे गए. वह कहते हैं, "मेरे परिवार के दो लोग अब भी लापता हैं." उनके दो रिश्तेदारों का अस्पताल में इलाज हो रहा है.
यह अभी साफ नहीं है कि इमारत में कुल कितने लोग रहते थे. लेकिन पुलिस का कहना है कि इनकी संख्या 200 से 250 हो सकती है. इनमें ज्यादातर ऐसे हैं जो काम की तलाश में बिहार और पश्चिम बंगाल से दिल्ली में आए. पुलिस ने इमारत के मालिक अमृत सिंह के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया है लेकिन वह फरार है.
दीक्षित ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं. इमारत को बनाने के लिए निर्माण से जुड़ी अनुमित नहीं ली गईं और इसमें एक आईक्रीम की फैक्ट्री भी थी. इमारत की बुनियाद के मुताबिक उसके ऊपर तीन मंजिलें बनाई जा सकती थीं, लेकिन उसके ऊपर दो मंजिलें और बनाई गईं जिनमें से एक तो अधूरी थी.
पुलिस के मुताबिक इलाके में इस तरह की दूसरी इमारतों को एहतियात के दौर पर खाली करा लिया गया है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः प्रिया एसेलबोर्न