1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समाज

हरियाणा में नाबालिग लड़कियों को विवाह से बचाने का कानून पारित

चारु कार्तिकेय
६ मार्च २०२०

हरियाणा विधानसभा ने बाल विवाह को पूरी तरह से अवैध घोषित करने वाला कानून पारित कर दिया है. इस बिल का उद्देश्य नाबालिग लड़कियों को विवाह और जबरदस्ती बनाए जाने वाले यौन संबंधों से बचाना है.

https://p.dw.com/p/3Ywlz
Kinderehe Kinderbräute Braut und Bräutigam Hochzeit Kinderhochzeit
तस्वीर: Getty Images/Strdel

भारतीय न्यायिक व्यवस्था में नाबालिग बच्चियों की सुरक्षा से संबंधित एक त्रुटि को दूर करने की दिशा में कभी कन्या भ्रूण हत्या के लिए जाने जाने वाले हरियाणा ने एक सराहनीय कदम उठाया है. तीन मार्च को हरियाणा विधान सभा ने बाल विवाह को पूरी तरह से अवैध घोषित करने वाला एक कानून, बाल विवाह निषेध (हरियाणा संशोधन विधेयक, 2020) सर्वसम्मति से पारित कर दिया. इस बिल का उद्देश्य भारतीय दंड संहिता की धारा 375 और पोक्सो कानून के अनुच्छेद छह के बीच सामंजस्य बनाना है. 

आईपीसी 375 के तहत पुरुष और उसकी 15 वर्ष से 18 वर्ष तक की उम्र की पत्नी के बीच यौन संबंध वैध हैं, जबकि पोक्सो कानून के अनुच्छेद छह के तहत 18 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ यौन संबंध बनाना बलात्कार माना जाता है. इसका आधा समाधान सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2017 में कर दिया था, ये निर्देश देते हुए कि एक विशेष कानून होने की वजह से पोक्सो आईपीसी के ऊपर है और दोनों में विरोध होने पर पोक्सो के प्रावधानों को माना जाएगा. 

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि इस समस्या का सबसे अच्छा समाधान कर्नाटक राज्य ने निकाला है, जिसने बाल विवाह निषेध कानून में ही संशोधन कर के बाल विवाहों को पूरी तरह से अवैध घोषित कर दिया है. ऐसा करने से किसी भी पुरुष द्वारा 18 साल से कम उम्र की बच्ची से विवाह करने को अपराध माना जाएगा और उससे यौन संबंध बनाने को अपने आप ही बलात्कार माना जाएगा. अदालत ने सभी विधान सभाओं को हिदायत दी थी कि वे इसी तर्ज पर बाल विवाह कानून में संशोधन करें.

Bildergalerie Kinderheirat in Südasien
तस्वीर: Getty Images/AFP/Str

इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि सुप्रीम कोर्ट को हिदायत दिए दो साल से भी ज्यादा बीत गए लेकिन अभी तक किसी विधानसभा ने ये कदम नहीं उठाया था. हरयाणा विधान सभा ये संशोधन लाने वाली पहली विधानसभा बन गई है. 

नाबालिग लड़कियों का विवाह भारत में एक बड़ी समस्या है. यूनिसेफ के अनुसार भारत में दो करोड़ से भी ज्यादा बाल वधुएं हैं और दुनिया में जितनी बाल वधुएं हैं उनमें हर तीन में से एक भारत में ही हैं. यूनिसेफ यह भी कहता है कि भारत में बाल विवाह के आंकड़े दशक दर दशक गिर रहे हैं और दक्षिण एशिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत ने इस मामले में अच्छी तरक्की की है.

साल 1929 के बाद शारदा अधिनियम में संशोधन करते हुए 1978 में महिलाओं की शादी की आयु सीमा बढ़ाकर 15 से 18 साल कर दी गई थी. अब भारत सरकार विवाह की न्यूनतम उम्र सीमा को और भी बढ़ाने के बारे में विचार कर रही है. बजट 2020-21 को संसद में पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक टास्क फोर्स बनाने का प्रस्ताव दिया जो लड़कियों की शादी की उम्र पर विचार करेगा और छह महीने में अपनी रिपोर्ट देगा.

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी