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कारोबारयूरोप

समस्याओं का जंजाल इतना बड़ा हो तो कारोबारी क्या करें

२५ मई २०२२

दावोस में सालाना बैठक में जुटे कारोबारी और सरकारी अधिकारियों के आगे समस्याओं की इतनी लंबी फेहरिश्त शायद पहले कभी नहीं रही होगी. एक के बाद एक आ रही चुनौतियों से हौसले पस्त हैं लेकिन उम्मीद जिंदा रखने की कोशिशें जारी हैं.

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दावोस में कारोबारियों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिख रही हैं
दावोस में कारोबारियों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिख रही हैंतस्वीर: Jürgen Schwenkenbecher/picture alliance

बढ़ती महंगाई, यूक्रेन पर रूस का हमला, सिकुड़ता सप्लाई चेन, दुनिया भर में खाने-पीने की चीजों का संकट और आगे खिंचती जा रही कोविड-19 महामारी. दुनिया की अर्थव्यवस्था के आगे इस समय मुश्किलों की कमी नहीं है. विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम) की सालाना बैठक के लिए स्विट्जरलैंड के दावोस आने वाले कारोबारी नेताओं, सरकारी अधिकारियों और दूसरे लोगों को कई महीने पहले से ही पता था कि माहौल में चिंता और उदासी होगी.  

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक ने इस हफ्ते उदासी को यह कह कर थोड़ा दूर करने की कोशिश की कि वैश्विक मंदी की चर्चा नहीं होगी लेकिन, "इसका मतलब यह भी नहीं है कि इसे लेकर सवाल नहीं होंगे."

विश्व आर्थिक मंच को यूक्रन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भी संबोधित किया
विश्व आर्थिक मंच को यूक्रन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भी संबोधित कियातस्वीर: Fabrice Coffrini/AFP/Getty Images

आर्थिक मंदी अभी दूर है

क्रिस्टालीना जॉर्जीवा ने ध्यान दिलाया कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पिछले महीने 2022 के लिए आर्थिक विकास 3.6 फीसदी रहने का अनुमान दिया था, जो "वैश्विक मंदी से काफी दूर है." हालांकि उन्होंने यह भी माना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते यह एक मुश्किल साल होगा.  जॉर्जीवा का कहना है, "उचित कीमत पर खाना हासिल करने को लेकर बनी चिंता बहुत ज्यादा बढ़ गई है."

खासतौर से अफ्रीका, मध्यपूर्व और एशिया के देशों में बढ़ते खाद्य संकट की चर्चा दावोस में प्रमुखता से हो रही है. ये देश सस्ते गेहूं, जौ और सूरजमुखी के तेल पर निर्भर हैं और इनकी सप्लाई यूक्रेन के अलग अलग हिस्सों में फंसी हुई है.

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेयर लेयेन ने रूस पर आरोप लगाया कि वह जानबूझ कर यूक्रेन में अनाजों के गोदाम पर बमबारी कर रहा है, और भोजन का आपूर्ति को हथियार की तरह इस्तेमाल रहा है. फॉन डेयर लेयन का यह भी कहना है कि इसके अलावा, "रूस एक तरह से ब्लैकमेल करने के लिए अपने खाद्य निर्यात को भी रोक रहा है, सप्लाई रोक कर दुनिया में खाने की कीमतें बढ़ाई जा रही हैं या राजनीतिक समर्थन के बदले में गेहूं की सप्लाई हो रही है. इस तरह भूख और अनाज का इस्तेमाल ताकत के लिए हो रहा है."

Schweiz | Weltwirtschaftsforum Davos - Ursula von der Leyen
यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेयर लेयनतस्वीर: Markus Schreiber/AP Photo/picture alliance

चर्चे तो बहुत, काम कितना होगा?

हर साल दुनिया के प्रमुख लोग यहां आ कर दुनिया को बचाने के तरीकों पर चर्चा करते हैं. बुधवार को यहां यूरोप और इंटरनेट के भविष्य के साथ ही गरीब देशों की सस्ते कीमतों पर दवाओं के जरिये मदद, जलवायु परिवर्तन पर चर्चा हुई. जिसमें अर्थव्यवस्था को कार्बन मुक्त बनाने के लिए संगठित कोशिशों को बढ़ाने की बात कही गई है. बहुत सारी सामूहिक चर्चाएं और घोषणाएं तो हुई हैं, लेकिन यह साफ नहीं हुआ कि बैठक के बाद इनमें से कितनों पर ठोस कार्रवाई होगी.

दावोस में केंद्रीय बैंकों और आर्थिक अधिकारियों की चिंता नीतियों में बदलाव के असर पर है, तो वहीं कंपनियों के बॉस कारोबार की संभावनाओं पर चिंता जाहिर कर रहे हैं. चिप बनाने वाली कंपनी इंटेल के सीईओ पैट गेलसिंगर ने बैठक से अलग कहा,"जिस तरह से हम अपना कारोबार चला रहे हैं, हमें लगता है कि एक सुधार जारी है." गेलसिंगर का कहना है कि सेमीकंडक्टर उद्योग अब भी सप्लाई चेन की मुश्किलों से जूझ रहा है. इसमें कंप्यूटर चिप बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले उच्चस्तरीय उपकरणों की सप्लाई का धीमा पड़ना भी शामिल है.

महामारी से उबरे तो दूसरी मुश्किलों ने घेरा

महामारी से थोड़ा उबरने के बाद पिछले साल जब चिप की मांग बढ़ी तो अचानक पूरी दुनिया में इसकी कमी हो गई. ये चिप कार से लेकर रसोई के उपकरण तक में इस्तेमाल होते हैं. गेलसिंगर का कहा है कि प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में इंटेल थोड़ी बेहतर स्थिति में हैं क्योंकि उनके पास अपने संसाधनों पर ज्यादा नियंत्रण है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा, "दूसरे लोगों की तरह ही हमें भी चुनौतियों का किफायती तरीके से सामना करना है." 

इंटेल के सीईओ पैट गेलसिंगर
इंटेल के सीईओ पैट गेलसिंगरतस्वीर: Walden Kirsch/Intel Corporation

इसी तरह विमानन उद्योग महामारी के दौर में एक तरह से ठप्प हो गया थी. यात्रा पर पाबंदियों के चलते एयरलाइनों के विमान जमीन पर खड़े हो गये और कारोबार या घूमने फिरने के लिए यात्राएं लगभग बंद हो गईं. नेशनल एवियेशन सर्विसेज के सीईओ हस अल हूरी के मुताबिक, अब मांग दोबारा मजबूती के साथ बढ़ रही है.

एयरलाइनों की रौनक लौटी, लेकिन चुनौतियों की कमी नहीं

कुवैत की यह कंपनी एयरलाइनों को सेवाएं मुहैया कराती है. जैसे कि यात्रियों को चेक करना और उन्हें विमान तक या विमान से बाहर लाना ले जाना, सामान चढ़ाना उतारना और हवाई जहाज से माल ढुलाई को संभालना. अपने ब्रिटिश प्रतिद्वंद्वी के साथ साझेदारी करके अब यह एवियेशन सर्विसेज की सबसे बड़ी कंपनी बन गई है. अल हूरी ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, "लगभग सभी एयरलाइनों ने जिनसे मैंने बात की है वो बड़ी वापसी की खबर दे रही हैं. खासतौर से इस बार की गर्मियों और छुट्टी मनाने वाली यात्राओं में."

एयरलाइन इंडस्ट्री के संगठन आईएटीए ने 2025 तक एवियेशन सेक्टर के महामारी से पहले वाली स्थिति में लौटने की भविष्यवाणी की थी लेकिन अल हूरी का कहना है, "मेरे ख्याल में यह बहुत पहले हो जायेगा, मुझे लगता है 2022 के आखिरी तक या फिर 2023 के मध्य तक हम 2019 के स्तर पर पहुंच जायेंगे."

महामारी के दौर में एयरलाइनों को 200 अरब डॉलर का नुकसान हुआ
महामारी के दौर में एयरलाइनों को 200 अरब डॉलर का नुकसान हुआतस्वीर: Daniel Kubirski/picture alliance

हालांकि विमानन उद्योग पर इसके बाद भी महामारी के दौर में हुए करीब 200 अरब अमेरिकी डॉलर के नुकसान का साया रहेगा. इनमें आधा से ज्यादा हिस्सा सरकारी मदद या कर्ज का है जिन्हें वापस किया जाना है.

एक और बड़ी समस्या है रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण तेल की बढ़ती कीमतें. इसकी वजह से एयरलाइनें अपनी कीमतें बढ़ाने पर मजबूर हुई हैं और इससे यात्राओं पर काफी असर होगा. अगर यात्री कम होंगे तो जाहिर है कि उड़ानें भी कम होंगी.

बाजार में उथल पुथल और बेचैनी

दावोस में जाने वाले लोगों ने वैश्विक अर्थव्यस्था को जिस तरह से देख रहे हैं उसमें उदासी के रंग ज्यादा हैं. सत्र की शुरुआत में एक मॉडरेटर ने श्रोताओं से पूछा कि क्या वो मंदी की आशंका देख रहे हैं तो वहां मौजूद करीब 100 लोगों में ज्यादातर ने हां कह कर हाथ उठा दिये.

महामारी से थोड़ी राहत मिली तो महंगाई ने कमर तोड़ दी
महामारी से थोड़ी राहत मिली तो महंगाई ने कमर तोड़ दीतस्वीर: Michael Bihlmayer/CHROMORANGE/picture alliance

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख जॉरजीवा ने भले ही मंदी की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की है लेकिन उन्होंने चुनौतियों की फेहरिस्त भी सामने रख दी है. बढ़ती ब्याज दरें, महंगाई, डॉलर का मजबूत होना, चीन का धीमा पड़ना, जलवायु संकट और हाल ही में सामने आए क्रिप्टोकरेंसी की मुश्किलें.

दूसरे लोगों ने अनिश्चितता के कारण वित्तीय बाजारों में मची उथल-पुथल और कारोबार में निवेश कै फैसलों की जटिलताओं की ओर ध्यान खींचा. नैसडैक स्टॉक एक्सचेंज कंपनी की प्रमुख एडीना फ्रीडमान कहती हैं कि एक निवेशक जब यह नहीं देख पाता कि हालात किस ओर जा रहे हैं तो, "बेचने का फैसला खरीदने की तुलना में ज्यादा आसान होता है." 

एनआर/आरएस (एपी)