राजधानी दिल्ली में पांव पसारता कोरोना वायरस
३१ मार्च २०२०दिल्ली में कोरोना वायरस के संक्रमण के एक विशेष प्रकरण ने पूरे शहर के प्रशासन को चौकन्ना कर दिया है. दक्षिणी दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात नामक मुस्लिम धार्मिक संस्था के दिल्ली मुख्यालय 'मरकज निजामुद्दीन' में मार्च महीने के बीच में जनता कर्फ्यू और तालाबंदी के लागू होने से पहले एक सम्मलेन हुआ था जिसमें देश-विदेश से हजारों लोग आए थे. अधिकारी मान रहे हैं कि विदेश से इस सम्मलेन में आए किसी यात्री के जरिये कोरोना वायरस यहां आया और फिर सम्मलेन में आए और लोगों में उसका संक्रमण फैल गया.
संक्रमित लोग जब दिल्ली से निकल अलग अलग राज्यों में अपने अपने घर वापस गए तो संक्रमण और राज्यों तक भी फैल गया. यह कहां कहां तक फैला और इसने कितने लोगों को अपने चपेट में लिया अब यही जानने की कोशिश चल रही है. अकेले दिल्ली में अभी तक 24 लोग संक्रमित पाए गए हैं, 700 लोगों को क्वारंटीन कर दिया गया है और 300 लोग अस्पताल में निगरानी में हैं.
तेलांगना में कोरोना वायरस से संक्रमित ऐसे छह मरीजों की मृत्यु हो गई है जो इस सम्मलेन के दौरान मरकज में ही थे. कश्मीर में भी कोरोना वायरस से संक्रमित एक मौलवी की मृत्यु हो गई है जो इस सम्मलेन के दौरान मरकज में था. मौलवी मरकज से निकल कर उत्तर प्रदेश के देवबंद स्थित दर-उल-उलूम भी गए थे. बताया जा रहा है कि कश्मीर से 100 से भी ज्यादा व्यक्ति सम्मलेन में आये थे और उन्हें ढूंढने के लिए एक बड़ा अभियान चल रहा है.
अंडमान और निकोबार में सम्मलेन से ही जुड़े 10 व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. सम्मलेन के बाद मरकज से निकल कर कई लोग बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी गए थे.
मरकज और तबलीगी जमात पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं. सवाल उठ रहे हैं कि मरकज ने जनता कर्फ्यू और तालाबंदी की अनदेखी क्यों की? मरकज में सोमवार तक लगभग 1000 लोग मौजूद थे. मंगलवार की सुबह परिसर को खाली करा कर उसे सील किया गया. दिल्ली सरकार ने इस प्रकरण में काफी कड़ा रुख अपना लिया है. सरकार ने सम्मलेन के आयोजनकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं.
जमात ने अपने बचाव में कहा है कि मरकज में जमा हुए लोग ट्रेन सेवाओं के अचानक बंद हो जाने की वजह से और उसके बाद तालाबंदी की वजह से वहां से निकल नहीं पाए.
लेकिन इस मामले से जुड़े सभी तथ्य अभी सामने नहीं आए हैं. सम्मलेन की तारीख को ले कर काफी विवाद है और कई लोगों का कहना है कि इस मामले में जवाबदेही सिर्फ मरकज और जमात की नहीं बनती, बल्कि पुलिस और प्रशासन को भी यह बताना चाहिए कि हर तरह के सम्मेलनों पर पाबंदी होने के बावजूद पहले तो इतने सारे लोगों को एक जगह जमा क्यों होने दिया गया और जब इकट्ठा हो ही गए तो उन्हें हटाया क्यों नहीं गया.
फिलहाल इस प्रकरण की वजह से दिल्ली में संक्रमण के प्रसार का एक बड़ा खतरा खड़ा हो गया है. इसके अलावा दिलशाद गार्डन का मामला राजधानी में पहले से है. पूर्वी दिल्ली के दिलशाद गार्डन इलाके की रहने वाली एक 38 वर्षीय महिला 10 मार्च को सऊदी अरब की यात्रा करके दिल्ली वापस लौटी थी. 18 मार्च को इसे संक्रमित पाया गया और जब स्वास्थ्यकर्मियों ने उन सब का पता लगाना शुरू किया जिन से वह संपर्क में आई थी तो आस पास के 470 घरों में रहने वाले 1,200 लोगों का पता चला और इन सब को खुद को अपने घर में क्वारंटीन कर लेने के लिए कहा गया.
इस महिला से संपर्क में आने के बाद इसकी मां, भाई, दो और रिश्तेदार और एक मित्र भी संक्रमित हो गए. यह महिला मौजपुर के मोहल्ला क्लीनिक भी गई थी और वहां उस से संपर्क में आने के बाद खुद क्लीनिक के 49-वर्षीय डॉक्टर को संक्रमण हो गया. 12 मार्च से 18 मार्च के बीच क्लीनिक पर आए हर व्यक्ति को खुद को क्वारंटीन करने को कह दिया गया है. अभी तक ऐसे 1,169 लोगों का पता चला है और इन्हें 14 दिनों तक खुद को क्वारंटीन करने को कहा गया है.
इसके अलावा दिल्ली में एक और प्रकरण चिंता का कारण बन रहा है. केंद्रीय दिल्ली के सुप्रसिद्ध राम मनोहर लोहिया अस्पताल के अंदर संक्रमण के फैल जाने का अंदेशा है. रविवार को अस्पताल में आए एक मरीज को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया और उसके बाद उससे संपर्क में आये कम से कम 17 डॉक्टरों और नर्सों को क्वारंटीन कर दिया गया है और उनके सैंपल जांच के लिए भेज दिए गए हैं.
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