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समाज

मुश्किल हालात में कपड़ा फैक्ट्री कर्मचारी

३१ मार्च २०२०

कोरोना वायरस से फैली महामारी के कारण कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वाले लाखों कर्मचारी तंग कमरों में फंसे हुए हैं. उनके लिए सामाजिक दूरी के नियम का पालन करना मुश्किल है.

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Indien Firma Century textiles and industries
तस्वीर: picture-alliance / dpa

भारत में तीन हफ्तों का लॉकडाउन ऐसे लोगों के लिए मुसीबत बन कर आया है जो कपड़ा फैक्ट्रियों में काम करते हैं. देश की कई कपड़ा फैक्ट्रियों में काम करने वाले लाखों लोग परिसर में बने आवास में ही रहते हैं और उनके लिए सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करना बहुत मुश्किल है. कर्मचारियों के हितों के लिए काम करने वाले संगठनों का ऐसा कहना है कि भारत में लॉकडाउन का एलान तो कर दिया गया है लेकिन करीब तीन लाख कर्मचारी ऐसे हैं जो कपड़ा फैक्ट्री और कताई मिलों में काम करते हैं और उसी परिसर में बने आवास या हॉस्टल में रहते हैं. फैक्ट्री या मिल परिसर में बने एक कमरे को करीब करीब एक दर्जन लोग साझा तौर पर इस्तेमाल करते हैं.

तमिलनाडु में अधिकतर कपड़ा उद्योग और कताई मिलें बंद हैं लेकिन जो अस्पतालों को सप्लाई कर रही हैं वे खुली हैं. हालांकि जो कर्मचारी इस काम में लगे हैं वे दूसरे कर्मचारियों के बेहद करीबी दायरे में रहकर ही काम कर रहे हैं. ऐसे में इस बात की चिंता बढ़ गई है कि वे लोग अनजाने में कहीं वायरस तो नहीं फैला रहे हैं.

कपड़ा मिल के कर्मचारियों के लिए काम करने वाले अधिकार संगठन 'शिक्षा और विकास केंद्र' के निदेशक आर करुप्पुसामी कहते हैं,  "इन हालातों में हॉस्टल की स्थितियां आदर्श नहीं है.” उन्होंने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन से फोन पर बातचीत में कहा, "हम इन युवा कर्मचारियों को लेकर बहुत चिंतित हैं. हो सकता है कि लॉकडाउन की घोषणा होने से पहले वे फैक्ट्री के बाहर गए हों."

तमिलनाडु में करीब 40,000 कपड़ा फैक्ट्रियां और कताई मिलें हैं. इनमें से कई ने अपने परिसर में ही हॉस्टल बनाए हुए हैं. इन हॉस्टलों में अधिकतर महिलाएं और प्रवासी मजदूर रहते हैं. तमिलनाडु की स्वास्थ्य सचिव बीला राजेश कहती हैं, "कोरोना वायरस को बढ़ने से रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को कारगार हथियार माना जा रहा है और यह इस सेक्टर के लिए भी अहम है. हमने सभी फैक्ट्रियों को इस बारे में बता दिया है. इसके अलावा उद्योग और श्रम विभाग ने कारखानों की निगरानी और निरीक्षण के लिए टीमों का गठन किया है." बीला राजेश के अनुसार टीमें यह सुनिश्चित करेंगी कि फैक्ट्रियां बंद रहें और परिसर में सैनेटाइजर के साथ साथ साफ-सफाई का भी ध्यान रखा जा रहा हो.

दक्षिण भारत में मिल के व्यापार संगठन ने भी अपने सदस्यों से कहा है कि फैक्ट्री परिसर में रहने वाले कर्मचारियों का खास ध्यान रखा जाए. इस व्यापार संगठन में 500 के करीब कपड़ा फैक्ट्रियां शामिल हैं. संगठन के महासचिव सेलवाराजू कांडास्वामी कहते हैं, "इसमें चुनौतियां हैं, सबसे कठिन काम तो सामाजिक दूरी को बनाना है." केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने तालाबंदी के दौरान फैक्ट्रियों से कर्मचारियों को वेतन देने को कहा है. साथ ही उसने कर्मचारियों के रहने की सुविधा और भोजन का इंतजाम करने को भी कहा है. लेकिन भारत, बांग्लादेश और कंबोडिया समेत एशिया के कई कपड़ा कारखाने अस्थायी रूप से बंद हो रहे हैं और उनमें छंटनी शुरू हो चुकी है, क्योंकि दुनिया के टॉप ब्रांड अपने ऑर्डर रद्द कर रहे हैं.

एए/आरपी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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