रफीक हरीरी की हत्या: वो दिन जिसने लेबनान को हिला कर रख दिया
१८ अगस्त २०२०2005 में वैलेंटाइनस डे के दिन ही पूर्व प्रधानमंत्री रफीक हरीरी के काफिले पर हुए एक भीषण बम हमले में उनकी मौत हो गई थी. उन्हें 1975 से 1990 तक देश में छिड़े गृहयुद्ध के बाद देश के पुनर्निर्माण के नायक के रूप में जाना जाता है. डाउनटाउन बेरूत में हुए उस धमाके से आग का एक गोला निकला, मलबा आकाश की ओर उड़ा और लगभग आधे किलोमीटर के घेरे में सभी इमारतों की खिड़कियों के शीशे चकनाचूर हो गए.
सैन्य इस्तेमाल के विस्फोटक दो टन आरडीएक्स से भरे हुए सफेद रंग के एक मित्सुबिशी ट्रक में एक आत्मघाती हमलावर रफीक के काफिले का इंतजार कर रहा था. 12:55 बजे काफिले की तीसरी गाड़ी के गुजरते ही उसने विस्फोटक उड़ा दिया. वो एक मर्सिडीज एस600 थी जिसे हरीरी खुद चला रहे थे.
पूरे बेरूत में धमाके को सुना या महसूस किया गया. कई लोगों को लगा कि भूकंप आया है. विस्फोट की वजह से 10 मीटर वर्गाकार का धधकता हुआ गड्ढा बन गया था. धमाके में 226 लोग घायल हो गए थे और इतनी तबाही फैली थी कि कई दिन बाद तक लाशें मिलती रहीं. एक लाश धमाके के 17 दिनों बाद मिली.
देश को जल्द ही पता चल गया था कि जो 22 लोग मरे थे उनमें वह व्यक्ति भी शामिल था जिसके कद की वजह से देश के अंदर और बाहर लोग उसे "मिस्टर लेबनान" के नाम से जानने लगे थे. एक अकल्पनीय घटना घट चुकी थी.
हत्या के समय हरीरी प्रधानमंत्री नहीं थे लेकिन वो अभी भी देश के कद्दावर नेता थे और माना जा रहा था कि आने वाले चुनावों में वो फिर से जीत हासिल कर प्रधानमंत्री बन जाएंगे. हालांकि उनकी हत्या पूरी तरह से आश्चर्यजनक नहीं थी. जब से हरीरी ने लेबनान को सीरिया के कब्जे से छुड़ाने के अभियान की कमान संभाली थी, तब से उन्हें लेकर चेतावनियां आ रही थीं.
उसी साल फरवरी में उनके दोस्त फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति याक शिराक और संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन राजदूत तर्जे रोएड-लार्सन ने हरीरी से कुछ दिन शांत रहने की विनती की थी. अक्टूबर 2004 में उनके दोस्त और पूर्व कैबिनेट मंत्री मरवान हमादे का एक उसी तरह के हमले में बाल-बाल बचना आने वाली घटना के पूर्वाभासी संकेतों में से था.
गृह युद्ध के खत्म होने के 15 सालों बाद, हरीरी की हत्या लेबनान के संघर्ष के बाद के इतिहास में एक ऐतिहासिक घटना बन गई. उनकी हत्या पर जनता के आक्रोश की वजह से अंत में देश पर तीन दशकों से कब्जा जमा कर बैठी सीरिया की सेना को देश छोड़ कर जाना ही पड़ा.
लेकिन इसके बाद हरीरी की हत्या के पीछे संदिग्धों में से एक हिजबुल्ला को बढ़ने और देश के राजनीतिक शून्य को भरने का मौका मिल गया. हरीरी सुन्नी मुसलमान थे और हिजबुल्ला एक शिया संगठन है जिसकी गोलाबारी की शक्ति लेबनान की सेना के बराबर है. उस घटना के बाद से हिजबुल्ला ने देश के राजनीतिक जीवन पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया.
14 फरवरी के उस धमाके में समुद्र के किनारे जो कुछ इमारतें खड़ी रह गई थीं उन पर अभी भी उस विस्फोट के निशान हैं. धमाके के स्थल पर बाद में हरीरी की एक मूर्ति स्थापित की गई. उनके समर्थक उस जगह आज भी आते हैं.
सीके/एए (एएफपी)
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