1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

यूपी में एक दिन में लगे बाईस करोड़ पौधे

समीरात्मज मिश्र
९ अगस्त २०१९

उत्तर प्रदेश में एक दिन के भीतर बाईस करोड़ पौधे लगाए गए हैं. पौधरोपण महाकुंभ अभियान की सुबह से ही शुरुआत हो गई और शाम पांच बजे से पहले ही प्रयागराज में गिनीज बुक ने राज्य सरकार को इस संबंध में प्रमाण पत्र सौंप दिया.

https://p.dw.com/p/3NeIQ
Indien Aktion Bäume pflanzen in Uttar Pradesh
तस्वीर: Information Department of Uttar Pradesh

पहले सरकार की योजना पंद्रह अगस्त को स्वाधीनता दिवस के मौके पर इस कार्यकर्म को आयोजित करने की थी लेकिन बाद में नौ अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन के 77 साल पूरे होने पर इस वृक्षारोपण महाकुंभ का आयोजन किया गया जिसके तहत सरकार की योजना बाईस करोड़ पौधे लगाने की थी और उसे महज कुछ घंटों में ही पा लिया गया.

योजना की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजधानी लखनऊ से की और शाम को प्रयागराज में पौधरोपण करके इसका समापन किया. योगी के अलावा राज्य के दूसरे मंत्रियों को भी विभिन्न जिलों में इसकी शुरुआत करने के लिए तैनात किया गया था. यहां तक कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी कासगंज में पौधारोपण की शुरुआत की.

उत्तर प्रदेश के वन मंत्री दारा सिंह चौहान ने बताया कि इसके लिए करीब डेढ़ हाजर नर्सरियों में सत्ताईस करोड़ पौधे तैयार किए गए थे जिन्हें चौदह लाख जगहों पर लगाने का लक्ष्य रखा गया था. दारा सिंह चौहान के मुताबिक, जहां पौधे लगाए गए हैं उन जगहों की जियोटैगिंग भी कराई गई है ताकि अभियान की सही स्थिति आंकी जा सके. उन्होंने बताया कि पौधरोपण के लिए सबसे ज्यादा सागवान, सहजन, यूकिलिप्टस, आम, महुआ और कुछ औषधीय गुण वाले पौधे बांटे गए हैं.

पौधरोपण महाकुंभ के आयोजन में स्कूली बच्चों से लेकर आम नागरिकों तक को प्रोत्साहित किया गया ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में पौधे लगाए जा सकें और रिकॉर्ड आसानी से बन सके. इस महाकुंभ का आयोजन वन विभाग और जिला प्रशासन ने संयुक्त रूप से किया था.

हालांकि इससे पहले भी उत्तर प्रदेश में पौधे लगाने के रिकॉर्ड बनाए गए हैं. पिछली समाजवादी पार्टी की सरकार ने भी तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में पौधरोपण के दो गिनीज रिकॉर्ड बनाए. पहले एक करोड़ पौधे लगाए गए और उसके अगले साल यानी 2016 में पांच करोड़ पौधे रोपे गए. यही नहीं, साल 2017 में योगी सरकार ने भी छह करोड़ से ज्यादा पौधे लगाने का एक नया रिकॉर्ड कायम किया था.

लेकिन सच्चाई ये है कि सरकारी तामझाम, प्रचार अभियान और भारी-भरकम धनराशि खर्च करने के बावजूद ये पौधे पेड़ नहीं बन सके और न ही बनने की प्रक्रिया में हैं. यदि इन सारे रिकॉर्डधारी पौधों को ही गिन लिया जाए तो करीब बारह करोड़ पौधे इससे पहले लगाए जा चुके हैं लेकिन जमीन पर इनका दसवां हिस्सा भी दिखाई दे तो बड़ी बात होगी.

Guiness World Record Zertifikat
तस्वीर: Information Department of Uttar Pradesh

यही नहीं, इन रिकॉर्डधारी अभियानों के अलावा वन विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, पीडब्ल्यूडी जैसे विभाग हर साल लाखों की संख्या में लोगों को पौधे बांटते हैं और अपनी तरफ से पौधरोपण कराते हैं लेकिन ये संख्या उनसे भी कम रह जाती है जितने पेड़ हर साल काट दिए जाते हैं.

राज्य सरकार के इस अभियान पर कई तरह के सवाल उठ चुके हैं. यहां तक कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विधायक जवाहर लाल राजपूत ने विधानसभा में इस पौधरोपण की पूरी प्रक्रिया पर ही सवाल उठाए थे और पूछा था कि पहले जो पौधे लगाए गए, उनके जीवित रहने या न रहने के सरकार के पास क्या आंकड़े हैं? उनके जवाब में वन मंत्री दारा सिंह चौहान ने भी स्वीकार किया कि पौधों को संरक्षित रख पाने में तमाम तरह की खामियां रह गई हैं जिन्हें अब दूर किया जाएगा.

बुंदेलखंड के सामाजिक कार्यकर्ता आशीष सागर ने सूचना कानून के तहत मांगी गई जानकारी के आधार पर बताया कि पिछले दस साल में तीन सौ करोड़ पौधे अकेले बुन्देलखण्ड के सात जिलों में लगाए गए हैं. आशीष बताते हैं, "इस हिसाब से पूरा बुंदेलखंड ही अब तक घने जंगल में तब्दील हो जाना चाहिए था लेकिन हालात क्या हैं, यह देखने से ही पता चल जाएगा. वन विभाग के अधिकारी पौधरोपण पर खर्च की जानकारी देनें में तमाम तरह की आनाकानी करते हैं लेकिन एक पौधे को लगाने पर औसतन पैंतीस रुपये का खर्च आता है. यदि ये पौधे सिर्फ रोप दिए गए और बाद में मुरझा गए तो समझिए अरबों रुपये एक झटके में ही स्वाहा हो गए.”

आशीष सागर कहते हैं, "अखिलेश यादव सरकार के पांच करोड़ के रिकॉर्ड पर ही 135 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. इस हिसाब से इस बार करीब आठ सौ करोड़ रुपये खर्च हो गए होंगे. सरकार रिकॉर्ड तोड़ने और बनाने पर इतना पैसा फूंक तो रही है लेकिन ये पौधे कितने दिन जिंदा रहेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है.”

हालांकि सरकार का दावा है कि इस बार पौधरोपण अभियान और उसके बाद पौधों को बचाने के लिए भी योजनाबद्ध तरीके से काम किया गया है. पौधरोपण के लिए हर जिले में टास्क फोर्स बनाई गई और और इसकी निगरानी के लिए अफसरों की तैनाती की गई.

बताया जा रहा है कि पहली बार चुनावों की तर्ज पर सारा कार्य किया जा रहा है. ग्राम पंचायतों में पौधरोपण और उनकी निगरानी के लिए 479 पीठासीन अधिकारी लगाए गए हैं, जो सेक्टर मजिस्ट्रेट और एसडीएम जोनल मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट करेंगे. पौधरोपण के दौरान हर एक घंटे में ये रिपोर्ट पीठासीन अधिकारी से सेक्टर मजिस्ट्रेट के पास होकर बीडीओ तक पहुंचाई गई और फिर वहां से पेड़ों का सारा डाटा एकत्र करने के बाद इसे ऑनलाइन अपलोड किया गया.

_______________

हमसे जुड़ें: WhatsApp | Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी