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समाज

फेक न्यूज फैला रहे हैं ट्रंप के वकील!

१२ दिसम्बर २०१८

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के एक वकील ने फेसबुक पर एक वीडियो डाला और देखते ही देखते यह वायरल हो गया. वीडियो में दावा किया गया कि नाइजीरिया में बीते 18 साल में मुसलमानों ने 60 हजार ईसाईयों की हत्या की. क्या यह सच है?

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Nigeria - Gewalt zwischen Hirten und Bauern
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Utomi Ekpei

फेसबुक पर इस वीडियो को लाखों बार शेयर किया गया, लेकिन समाचार एजेंसी एएफपी ने इसकी सत्यता को परखने की कोशिश की तो ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला कि नाइजीरिया में इतने ईसाई मारे गए हैं.

यह वीडियो ट्रंप के एक वकील जे सेकुलोव ने 23 नवंबर को अपलोड किया. इसमें मवेशी चराने वाले फुलानी मुसलमान समुदाय और ईसाई किसानों के बीच जमीन और संसाधनों को लेकर लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष का जिक्र था.

नाइजीरिया के मध्य इलाके को मिडल बेल्ट कहा जाता है और यही वह जगह है जहां आम तौर पर उत्तर में रहने वाले मुसलमान और दक्षिण में रहने वाले ईसाई एक दूसरे से मिलते हैं. इसीलिए यह इलाका दशकों से दोनों समुदायों के बीच हिंसा और टकराव का केंद्र रहा है.

वीडियो को 'बी हर्ड प्रोजेक्ट' ने तैयार किया, जो अमेरिकी सेंटर फॉर लॉ एंड जस्टिस (एसीएलजे) नाम के एक रुढ़िवादी ईसाई संगठन का हिस्सा है. सेकुलोव का नाम वाशिंगटन स्थित इस संगठन में 'चीफ काउंसिल' के तौर पर दर्ज है. वह 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूस के कथित हस्तक्षेप से जुड़े मामले में राष्ट्रपति ट्रंप की पैरवी कर चुके हैं.

वीडियो में दावा किया गया है कि मुसलमान गड़रियों ने 2001 से लेकर अब तक 60 हजार ईसाइयों की हत्या की है. एएफपी ने इस बात की सत्यता को परखने के लिए एसीएलजे से संपर्क किया कि उसे यह आंकड़ा कहां से मिला. लेकिन उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया. कई अन्य संगठनों ने भी इसी तरह के आंकड़े छापे. और इनमें से किसी ने भी इसे बारे में हुए किसी अध्ययन या फिर विश्वसनीय सबूतों का हवाला नहीं दिया.

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अफ्रीकी सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक स्टडीज का कहना है कि दोनों समुदायों के संघर्ष में अब तक 60 हजार लोग मारे गए हैं, लेकिन इस आंकड़े में इलाके में दो अलग अलग अवधियों में हुई मौतों के आंकड़ों को मिला दिया गया है. बीबीसी की एक रिपोर्ट में नाइजीरिया की सरकार के एक अध्ययन के हवाले से कहा गया है कि 2001 से 2004 के बीच प्लेटू राज्य में 53,787 लोग मारे गए. यह सरकारी रिपोर्ट ईसाई किसानों और मुसलमान गड़रियों के बीच होने वाले संघर्ष को लेकर नहीं है.

इसके अलावा हफपोस्ट की रिपोर्ट के हवाले से डेली बीस्ट के एक लेख में कहा गया कि 2010 से किसानों और गड़रियों के संघर्ष में साढ़े छह हजार लोग मारे गए हैं. हालांकि इस रिपोर्ट में एक गुमनाम विशेषज्ञ के हवाले से यह बात कही गई और इसे साबित करने के लिए कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं.

इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप का कहना है कि 'फुलानी जिहादियों के उभार' को लेकर राजनीतिक और धार्मिक दावों में सत्यता की कमी है. ऐसा कोई विश्वसनीय अनुमान नहीं है जो 2001 से नाइजीरिया के ईसाई किसानों और मुसलमान गड़रियों के टकराव में मारे गए लोगों की संख्या के बारे में बताता हो.

इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप का कहना है कि 2001 से 2016 के बीच 12 हजार लोग मारे गए थे और 2018 के पहले छह महीनों में 1,300 लोगों को इस संघर्ष में अपनी जान गंवानी पड़ी. नाइजीरिया के कई इलाके हिंसा से जूझ रहे हैं. उत्तरी प्रांतों में ईसाई और मुसलमानों के झगड़े आम हैं.

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द ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2018 में कहा गया है कि पिछले एक साल में फुलानी चरमपंथियों की गतिविधियां बहुत बढ़ गई हैं. संस्था के मुताबिक 2018 में जनवरी से सितंबर तक 1,700 लोगों की मौत के लिए 'फुलानी एथनिक मिलिशिया' जिम्मेदार है जबकि 2010 से इस गुट की कार्रवाइयों में 2,998 मौतें हुई हैं.

मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच की दिसंबर 2013 की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि प्लेटू और उसके पड़ोसी कादुना राज्य में 1992 से सांप्रदायिक हिंसा में 10 हजार लोग मारे गए हैं.

ऐसे में जो वीडियो और आंकड़ा अमेरिका में प्रचारित किया जा रहा है, उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता. इसके पीछे कई ईसाई संगठनों का नाम आ रहा है. लेकिन इस बात को साबित करने के कोई सबूत मौजूद नहीं हैं कि नाइजीरिया में 2001 से अब तक 60 हजार ईसाईयों की हत्या की गई है.

एके/एनआर (एएफपी)

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