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भारत में भ्रष्टाचारः कुछ कुछ होता है

१३ सितम्बर २०११

अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान सड़कों पर उतरकर भारत की जनता बता चुकी है कि वह भ्रष्टाचार से त्रस्त है. देश में हर तरफ एक तरह का जोश है. इसलिए भ्रष्टाचार फिलहाल भले ही खत्म न हो रहा है, देश में कुछ न कुछ हो रहा है.

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तस्वीर: dapd

जिस सुबह अन्ना समर्थक सरकारी अफसरों को फूल और गांधी टोपी देकर भ्रष्टाचार से लड़ने की अपील करते हैं, उसी सुबह रूडोल्फ एल्मर कहते हैं कि भारत की जनता को स्विस बैंकों से काला धन वापस लाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना होगा.

हो सकता है यह सुबह संयोग से आई हो. लेकिन इन दोनों बातों का एक साथ होना संकेत है कि भारतीय जनता के भ्रष्टाचार के लिए संघर्ष करने का वक्त आ गया है और जनता इस वक्त की नजाकत समझकर उठ रही है.

Indien Demonstration gegen Korruption
तस्वीर: AP

टोपी से अन्नागीरी

अन्ना भारत में गांधी का पर्याय हो गए हैं. और कुछ दिन पहले गांधीगिरी कहलाने वाले काम अब अन्नागिरी हो गए हैं. धनबाद में कुछ लोग सरकारी दफ्तरों के बाहर यही अन्नागिरी करते नजर आए. झारखंड के इस शहर में अन्ना हजारे के समर्थक सरकारी अफसरों को फूल और गांधी टोपी दे रहे थे. इंडिया अगेंस्ट करप्शन के जिला संयोजक विजय झा बताते हैं, "हम हर अफसर को एक टोपी दे रहे हैं जिस पर 'मैं अन्ना हूं' लिखा है. और साथ ही गुलाब दे रहे हैं. यह हमारी अपील का तरीका है कि आम आदमी की खातिर हर अफसर अपने तरीके से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़े."

झा बताते हैं कि उनके साथी इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स, ट्रांसपोर्ट विभाग, रजिस्ट्रार, बीडीओ और सर्कल ऑफिसर समेत लगभग सभी बड़े सरकारी दफ्तरों में जा रहे हैं. और ऐसा रोज हो रहा है. झा कहते हैं, "इसे गांधीगिरी कहिए या अन्नागिरी, हम इसी तरीके में विश्वास करते हैं. हम अफसरों को जो अपील सौंपते हैं, उसमें हमने कहा है कि वे ज्यादा से ज्यादा देर दफ्तर में रहें ताकि अधूरे पड़े काम निपटाए जा सकें."

इस काम में सफलता मिले न मिले, वादे खूब मिल रहे हैं. इंडिया अगेंस्ट करप्शन के कार्यकर्ता शशिनाथ तिवारी कहते हैं कि ज्यादातर सरकारी अफसरों ने दफ्तर के काम में पारदर्शिता लाने का वादा किया है.

इनकम टैक्स विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, "हम लोगों के इस कदम का स्वागत करते हैं. अगर सरकारी अफसर अपनी जिम्मेदारी को समझें तो इसमें क्या बुराई है. मुझे विनम्रता से अन्ना टोपी और फूल दिया जाना बिल्कुल बुरा नहीं लगता."

Indien Korruption Aktivist Anna Hazare verläßt Gefängnis in Neu Delhi
तस्वीर: dapd

सरकार की कोशिश खोखली

जब आईएसी के कार्यकर्ता अपना काम कर रहे थे, लगभग उसी वक्त रूडोल्फ एल्मर का बयान आया. यह बयान भारत सरकार की भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए की जा रही कोशिशों की पोल खोलता है. एल्मर एक भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता हैं जिन्होंने स्विस बैंक के गोपनीय खातों की बहुत सारी सूचना सार्वजनिक कर दी. इस वजह से उन्हें जेल जाना पड़ा. उनके खिलाफ अपने देश के गोपनीयता कानून तोड़ने को लेकर जांच चल रही है.

हाल ही में जेल से निकले एल्मर ने कहा है कि भारत सरकार स्विस बैंकों में रखे काले धन को वापस लाने को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं है. एल्मर पहली बार भारतीय खातों के बारे में बोले हैं. उन्होंने कहा, "भारत सरकार कोई खास कोशिश नहीं कर रही है. भारत एक बड़ा देश है जो दिन पर दिन ताकतवर हो रहा है. उसके पास मोलभाव करने की ताकत है."

एक भारतीय चैनल को दिए इंटरव्यू में एल्मर ने कहा कि कई भारतीय कंपनियों और अमीरों के खाते स्विस बैंकों में हैं. उन्होंने क्रिकेटरों और फिल्मी सितारों की मिसाल भी दी. हालांकि उन्होंने किसी का नाम लेने से इनकार कर दिया.

एल्मर ने अमेरिकी सरकार की कोशिशों को गंभीर बताया. उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार ही कर चोरी रोकने स्विस बैंकों में पैसा जमा कराने से जुड़े अन्य अवैध कामों को खत्म करने में गंभीर है. हाल ही में ऐसी खबर आई थी कि स्विस बैंकों ने अमेरिकी नागिरकों के खातों के बारे में अमेरिकी अधिकारियों को सूचना देना शुरू कर दिया है.

Indien Demonstration gegen Korruption
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फिर उठी टीम अन्ना

रूडोल्फ एल्मर तो एक विदेशी हैं, भारत सरकार तो फिलहाल अपने ही लोगों का भरोसा नहीं जीत पा रही है. हाल ही में भ्रष्टाचार के खिलाफ विशाल आंदोलन खड़ा करके सरकार को एक मजबूत लोकपाल बिन लाने के लिए तैयार करने वाली टीम अन्ना का भरोसा भी डगमगाने लगा है. सोमवार को इस टीम ने एक बार फिर सरकार को आड़े हाथों लिया. सरकार पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए टीम अन्ना ने कहा कि न्यायपालिका के ऊपरी तबके को भी लोकपाल के तहत लाया जाना चाहिए.

भारत सरकार न्यायपालिका को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के मकसद से जुडिशरी बिल ला रही है. अन्ना के अनशन के बाद हुए समझौते में टीम अन्ना इस बिल पर सहमत हो गई थी. लेकिन सोमवार को उसके सुर बदले हुए थे. टीम अन्ना के सदस्य और वकील प्रशांत भूषण ने कहा, "सरकार ने पिछले साल लोकसभा में जो बिल पेश किया था वह सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों के भ्रष्टाचार की जांच और उन पर कार्रवाई की बात नहीं करता. हमें उम्मीद थी कि सरकार या कुछ रिटायर्ड जज संसदीय समिति के सामने इस बात को उठाएंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. देश को गुमराह किया गया. इसलिए अपनी शुरुआती मांग पर वापस आ गए हैं कि न्यायपालिका को भी लोकपाल के तहत लाया जाना चाहिए."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः महेश झा

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