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भ्रष्टाचार में जनता भी दोषी: जर्मन मीडिया

३ सितम्बर २०११

भारत में अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन इस सप्ताह भी जर्मन मीडिया में सुर्खियों में रहा. मीडिया ने कहा भारत में भ्रष्टाचार में शासक ही नहीं जनता भी दोषी है जो भ्रष्टचार की संस्कृति का लाभ उठाती है.

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तस्वीर: AP

भारत में भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद में डूबी सरकार के खिलाफ लोगों का विद्रोह हो रहा है. साप्ताहिक पत्रिका डेअर श्पीगेल ने लिखा है कि समाजसेवी अन्ना हजारे दशकों से अन्याय के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं, और उसके लिए अनशन का भी सहारा ले रहे हैं.

जबकि भ्रष्टाचार, भाई भतीजावाद और विदेशी बैंकों में धन जमा करना कोई नई बात नहीं है. ग्लोबल फाइनैंशियल इंटिग्रिटी रिपोर्ट के अनुसार 1948 से 2008 के बीच भारत से अवैध रूप से 213 अरब डॉलर विदेशों में ले जाया गया है. भारत की साप्ताहिक पत्रिका आउटलुक का अनुमान है कि 1992 से हुए विभिन्न घोटालों में 1000 अरब यूरो का गबन हुआ है. हालांकि मनमोहन सिंह की सरकार ने 2004 में गठन के बाद से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल बजा रखी है, अब तक के सबसे बड़े घोटाले उन्हीं के कार्यकाल में सामने आए हैं. 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में भारतीय करदाताओं के 6 अरब डॉलर खर्च हुए जो शुरू में अनुमानित लागत से 22 गुना अधिक है.

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तस्वीर: dapd

दुनिया के सामने खुद को युवा और गतिशील लोकतंत्र के रूप में पेश करने वाले भारत का शासन दरअसल कबीलाई समाज के रूप में होता है. औपचारिक रूप से होने वाले चुनाव इसे रोक नहीं पाए हैं कि संसद में हमेशा एक ही परिवारों के सदस्य चुने जाते हैं. इसके अलावा सांसदों में चिंताजनक रूप से बड़ी संख्या में अपराधी पृष्ठभूमि वाले है. फ्रांकफुर्टर अलगेमाइने त्साइटुंग का कहना है कि मंत्रियों की औसत आयु पेंशन की उम्र के पास है. 14 कैबिनेट मंत्री 70 से ज्यादा के हैं.

इसमें दोष सिर्फ सत्तावानों का ही नहीं है. अक्सर जोर जोर से परिवर्तन के नारे लगाने वाली जनता भ्रष्टाचार की संस्कृति से चुपचाप लाभ उठाती हैड्राइवर ट्रैफिक पुलिस वाले को रिश्वत देता है, अपराधी जज को और निर्माण करने वाला अधिकारियों को. भारत और इंडोनेशिया जैसे लोकतांत्रिक देशों में भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष में सफलता तभी संभव है जब शासक और शासित दोनों ही साझा लोक कल्याण का मर्म समझेंगे.

अन्ना हजारे की भारी लोकप्रियता के बावजूद सिर्फ सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी ही नहीं बल्कि दूसरी पार्टियां भी नए गांधी की आलोचना कर रही हैं. यह कहना है बर्लिन से प्रकाशित समाजवादी दैनिक नौएस डॉयचलंड का.

कम्युनिस्ट पार्टी के डोरासामी राजा का कहना है, "कोई संसद पर कुछ करने का दबाव नहीं डाल सकता. कानून संसद में बनता है कि सड़क पर." दक्षिणपंथी बीजेपी  ने आपत्ति की है और अपनी ही खिचड़ी पका रहा है. वयोवृद्ध पार्टी नेता लालकृष्ण आजवाणी का मानना है, मुद्दा अब भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कानून का नहीं है, मनमोहन सिंह की सरकार को हटाने का है. लोक जनशक्ति पार्टी के रामविलास पासवान हजारे के मसौदे में  यह खामी देखते हैं कि लोकपाल बिल में जांच करने वाला, अभियोक्ता और जज एक ही व्यक्ति होगा. यदि  टीम अन्ना इस तरह की दलीलों को नहीं नकारती है और क्रुद्ध जनता का एकमात्र प्रतिनिधि होने का दावा नहीं करती है तो भर्ष्टाचार विरोधी आंदोलन और तेजी पकड़ेगा तथा व्यवस्था को बदलने वाला साबित हो सकता है.

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तस्वीर: dapd

कोका कोला और मैकडोनल्ड आखिरकार भारतीयों के अनूठेपन के सामने झुक गया है. जर्मनी के आर्थिक दैनिक हांडेल्सब्लाट का कहना है कि मैकडोनल्ड की भारतीय शाखा अकेली शाखा है जो गोमांस नहीं बेचती. बिग मैक का कॉपी वहां चिकन महाराजा कहलाता है. और कोका कोला के मुख्य ब्रांड कोक के बदले भारतीय थम्स अप पीते हैं.

मेट्रो ने भी  अपने को भारतीयों की पसंद के अनुरूप ढाल लिया है. 5000 वर्ग मीटर के साथ बिक्री का इलाका पहले के बाजारों से एक तिहाई छोटा है और  वही सामान बेचे जाते हैं जो वहां के खुदरा व्यापारी अक्सर खरीदना चाहते हैं. सब्जियां और फल भारत जैसे दिखने वाले स्टैंड पर बेचे जाते हैं. पिछले सात साल में उसने छह स्टोर खोले हैं और अब नई रणनीति के साथ 2015 तक 50 शहरों में स्टोर खोलने का इरादा है.

भारत के बाद अब पाकिस्तान. पाकिस्तान में उग्रपंथियों को लक्ष्यबद्ध तरीके से मारने के लिए अमेरिका मानवरहित ड्रोन का सहारा ले रहा है. एक सप्ताह पहले सीआईए द्वारा समन्वित और ओसामा बिन लादेन की मौत के चार महीने बाद हुए एक हमले में अल कायदा का एक और उच्च प्रतिनिधि मारा गया है. आतंकी नेटवर्क का नंबर दो लीबिया का अतीया अब्द अल रहमान. मौत की औपचारिक पुष्टि नहीं हुई है. फ्रांकफुर्टर अलगेमाइने त्साइटुंग कहता है,

अमेरिकी खुफिया सेवा की जानकारी में लीबियाई मूल का अल रहमान  पिछले साल शेख सइद अल मसरी की ड्रोन हमले में मौत के बाद ऑपरेशन प्रमुख बन गया था. मई में ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद वह आयमान अल जवाहिरी का सहायक भी बन गया था. वह बिन लादेन के साथ मिलकर इस्लामाबाद नेतृत्व के साथ एक गोपनीय समझौते पर भी काम कर रहा था, जिसके अनुसार अल कायदा सरकारी सुरक्षा के बदले पाकिस्तान में अपने हमले रोक देता. रहमान अल कायदा के युवा नेतृत्व में शामिल था और उसे संगठन की उम्मीद समझा जाता था.

ड्रोन हमलों की वजह से सिर्फ पाकिस्तान और अमेरिका के संबंधों में दरार नहीं है. ज्युड डॉयचे त्साइटुंग का कहना है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के संबंध भी समस्याजनक हैं.

अफगानिस्तान और पाकिस्तान नियमित रूप से एक दूसरे पर क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होने का आरोप लगाते रहते हैं. अफगानिस्तान और नाटो के प्रतिनिधि बार बार मांग कर चुके हैं कि पाकिस्तान को अपनी भूमि पर आतंकवादियों और उनके सुरक्षित पनाहगाहों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. पाकिस्तान इसके विपरीत इस बात की ओर संकेत करता है कि किसी दूसरे देश को आतंकवाद से उतना नुकसान नहीं हुआ है जितना उसे. पाकिस्तान का कहना है कि समस्या अफगानिस्तान की ओर है क्योंकि तो नाटो और ही अफगान सैनिक तालिबान के खिलाफ पूरी शक्ति से लड़ रहे हैं. अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच डूरड लाइन कही जाने वाली सीमा 2000 किलोमीटक लंबी है.

और अंत में नेपाल. नेपाल के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई ने पद ग्रहण करते समय नेपाल को राजनीतिक संकट से बाहर निकालने के लिए पार्टियों के बीच आम सहमति बनाने का वचन दिया है. नौए ज्यूरिषर त्साइटुंग का कहना है कि यह वायदा पूरा करना मुश्किल होगा.

भट्टराई नेपाल में पिछले चार सालों में चौथे प्रधानमंत्री हैं. निर्वाचित संविधान सभा को काफी पहले ही देश का नया संविधान बना लेना था. प्रचंड के बाद माओवादी पार्टी में दूसरे नंबर के नेता भट्टराई छोटी पार्टियों के समर्थन से प्रधानमंत्री बने  हैं. यदि  वे नए संविधान पर सहमति हासिल करना चाहते हैं तो उन्हें दोनों बड़ी पार्टियों नेपाली कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी के साथ सहयोग करना होगा और उन्होंने अब तक सहयोग की तैयारी नहीं दिखाई है. इसलिए भट्टराई की सरकार का जीवन भी लंबा नहीं होगा.

किसानपुत्र बाबूराम भट्टराई को माओवादी विद्रोह के दिनों से ही कट्टर कम्युनिस्ट माना जाता है. लेकिन बर्लिनर त्साइटुंग का कहना है कि शांति समझौते के बाद हुए चुनावों के बाद प्रचंड के नेतृत्व में बनी सरकार के वित्त मंत्री के रूप में उन्हें उद्यमियों का आदर मिला.

नेपाल की दुर्दशा में पड़ोसी सत्ताओं चीन और भारत भी पूरी तरह निर्दोष नहीं हैं. भारत के नेपाली कांग्रेस के साथ अच्छे संबंध हैं जबकि माओवादियों को चीन का साथी कहा जाता है.संभव है भारत भट्टराई को स्वीकार कर ले, कुछ अखबारों ने नई दिल्ली में पढ़े 57 वर्षीय भट्टराई को भारत का दोस्त बताया है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार वे नेपाली राजनीतिज्ञों के लिए असामान्य साधारण जिंदगी बिताते हैं और ईमानदार माने जाते हैं.

संकलन: प्रिया एसेलबॉर्न/मझा

संपादन: एन रंजन

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