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भारत में कैसा है कोरोना प्रबंधन

चारु कार्तिकेय
२३ जुलाई २०२०

केंद्र सरकार ठीक होने वाले कोरोना मरीजों की रिकवरी दर पर ही ध्यान केंद्रित रखना चाहती है क्योंकि वो एक सकारात्मक आंकड़ा है. लेकिन उससे परे देखने पर टुकड़ों-टुकड़ों में जो तस्वीर दिखाई दे रही है वो चिंताजनक है.

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Indien | Coronavirus
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Kiran

भारत में जैसे-जैसे कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच की रफ्तार बढ़ाई जा रही है वैसे वैसे कुल मामलों की संख्या भी बढ़ती ही जा रही है. पिछले 24 घंटों में देश में 45,720 नए मामले सामने आए जो अपने आप में एक नया रिकॉर्ड है. इस अवधि में 3,50,000 से भी ज्यादा सैंपलों की जांच की गई, जो कि पहले की संख्या से कहीं अधिक है.

देश में अभी तक सामने आए कुल मामलों की संख्या बढ़कर 12 लाख से भी ज्यादा हो चुकी है. जहां इस आंकड़े को 10 लाख से 11 लाख तक पहुंचने में तीन दिन लगे थे, 11 से 12 लाख तक पहुंचने में तीन दिन से भी कम का समय लगा. मरने वालों की संख्या में भी एक दिन में 1,129 की वृद्धि हुई, जिससे देश में कोविडृ-19 से मरने वालों की कुल संख्या बढ़ कर 29,861 हो गई.

रिकवरी दर 63.18 हो गई है और पॉजिटिविटी दर 13.03. केंद्र सरकार रिकवरी दर पर ही ध्यान केंद्रित रखना चाहती है क्योंकि वो एक सकारात्मक आंकड़ा है. लेकिन उससे परे देखने पर टुकड़ों टुकड़ों में जो तस्वीर दिखाई देती है वो चिंताजनक है.

Coronavirus in Indien
दिल्ली में एक मोबाइल टेस्टिंग वैन में एक स्वास्थ्यकर्मी नाक की स्वॉब के जरिए एक महिला से कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिए सैंपल लेता हुआ.तस्वीर: Getty Images/Y. Nazir

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने हाल ही में कहा कि भारत में सामुदायिक प्रसार की शुरुआत हो चुकी है. दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के एक जाने माने डॉक्टर ने भी इस बात को माना और कहा कि पहले यह देश के कुछ हिस्सों में था लेकिन अब यह राष्ट्रीय स्तर पर फैल चुका है. लेकिन सरकार लगातार इस बात से इनकार कर रही है और कह रही है कि सामुदायिक प्रसार अभी भी कुछ हिस्सों तक ही सीमित है.

टेस्टिंग को लेकर दो तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं. एक तरफ बड़ी संख्या में ऐसे राज्य हैं जहां पर्याप्त संख्या में जांच नहीं हो रही है, दूसरों तरफ दिल्ली जैसे राज्य हैं जहां सबसे कारगर आरटीपीसीआर टेस्ट की जगह रैपिड एंटीजेन टेस्ट पर निर्भरता बढ़ती जा रही है. दोनों ही स्थितियों में संक्रमण के फैलाव का सही अंदाजा नहीं लग सकता और उपलब्ध आंकड़ों पर शक बना रहता है.

स्वास्थ्य व्यवस्था के लचर होने की खबर देश के हर कोने से आती रहती है. पहले दिल्ली में अस्पतालों में बिस्तरों की कमी होने का शोर था, अब बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से अस्पतालों और अन्य मेडिकल संस्थानों के बुरे हाल की खबरें आती रहती हैं.

बिहार की राजधानी पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल से ट्वीट किए गए इस वीडियो को देखिए. वीडियो बनाने वाले का कहना है कि वहां भर्ती कोविड-19 के मरीजों के बीच दो लाशें बिस्तर पर दो दिनों से पड़ी हुई हैं लेकिन अस्पताल प्रशासन ने किसी को उन लाशों को लेने के लिए नहीं भेजा.

कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी द्वारा ट्वीट किया गया उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के महिला अस्पताल का ये वीडियो देखिए, जिसमें अस्पताल के अंदर घुटनों तक पानी जमा हुआ नजर आ रहा है.

गुजरात के भरुच के इस वीडियो में देखा जा सकता है कि एक घंटा इंतजार करने के बाद भी अस्पताल से एम्बुलेंस ना मिलने के बाद एक कोरोना संदिग्ध मरीज के शव को ऑटो में लादना पड़ा.

इस तरह की लाचारी भरी तस्वीरें हर कुछ दिनों में व्हॉट्स ऐप और सोशल मीडिया पर आ जाती हैं और हालात की असलियत का एहसास दिला जाती हैं. डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ भी सुरक्षित नहीं हैं. आईएमए के अनुसार पूरे देश में अभी तक कम से कम 99 डॉक्टरों की कोरोना होने के बाद मौत हो चुकी है.

दिल्ली में हाल ही में एक 42 वर्ष के डॉक्टर की कोरोना हो जाने के बाद मृत्यु हो गई. डॉक्टर को और कोई बीमारी नहीं थी. वो अनुबंध पर दिल्ली सरकार के लिए काम करते थे जिसकी वजह से उनके जैसे अन्य डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ मांग कर रहे हैं कि अनुबंध पर काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों को भी सरकार से आर्थिक सुरक्षा मिले.

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