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फ्रांस में बड़ी हड़ताल, जनजीवन ठप्प

५ दिसम्बर २०१९

फ्रांस में पेंशन सुधारों के खिलाफ ट्रांसपोर्ट कर्मचारी, टीचर, पुलिस और दूसरी अहम सेवाओं से जुड़े लाखों लोग हड़ताल पर चले गए हैं. हाल के सालों में यह फ्रांस की सबसे बड़ी हड़ताल है जिसके कारण पूरा देश ठप्प सा हो गया है.

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Frankreich Streik Protest cgt
तस्वीर: Reuters/E. Gaillard

फ्रांस में प्रदर्शन कर रहे लोग राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों के पेंशन सुधारों का विरोध कर रहे हैं. वे इसे पक्षपाती और बेहद खर्चीला बता रहे हैं. माक्रों सबके लिए पॉइंट आधारित एक ही पेंशन सिस्टम रखना चाहते हैं, जो हर पेंशनर के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करेगा.

माक्रों 'यूनिवर्सल' रिटायरमेंट सिस्टम को भी लागू करना चाहते हैं जिसका वादा उन्होंने अपने चुनाव अभियान के दौरान किया था. हालांकि मजदूर संघों का कहना है कि प्रस्तावित सुधारों के बाद प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लाखों लोगों को पूरी पेंशन हासिल करने के लिए रिटायरमेंट की कानूनी उम्र 62 साल के बाद भी काम करना होगा.

इस हड़ताल को राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों के लिए एक बड़ी परीक्षा माना जा रहा है. फ्रांस की सरकार ने राजधानी पेरिस और आसपास के शहरों में सुरक्षा बढ़ा दी है. मजदूर संघों ने पेरिस में बड़े प्रदर्शनों की योजना बनाई है. हड़ताल की वजह से बसें, ट्रेन और उड़ानें रद्द की जा रही हैं. पेरिस की ज्यादातर अंडरग्राउंड ट्रेनें भी रोक दी गई हैं. अधिकारियों ने पर्यटकों से कहा है कि वे एफिल टावर की तरफ ना जाएं.

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स्कूलों को भी बंद कर दिया गया है क्योंकि प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों के लगभग पांच लाख टीचर भी हड़ताल पर हैं. अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाओं को नाममात्र के स्टाफ के जरिए चलाया जा रहा है. बहुत डॉक्टर और नर्स भी इस हड़ताल में शामिल हैं.

फ्रांस की मीडिया का कहना है कि हड़ताल कई हफ्तों तक खिंच सकती है. फ्रांसीसी अखबार ला मोंद ने लिखा है, "माक्रों के लिए निर्णायक पल." अखबार के मुताबिक, "अगले कुछ दिन राष्ट्र प्रमुख के लिए निर्णायक होंगे."

राष्ट्रपति पद पर दो साल पूरे कर चुके माक्रों आने वाले महीने में कई बड़े सुधारों को लागू करने की योजना बना रहे हैं. लेकिन मौजूदा हड़ताल से साफ पता चलता है कि उनकी राह आसान नहीं है. एक धुर वामपंथी यूनियन फोर्स ओवरिये से जुड़े क्रिस्टियान ग्रोलिए कहते हैं, "हमें अर्थव्यवस्था को ठप करना है. लोग लड़ने के लिए कमर कसे हुए हैं."

लगभग एक साल पहले भी फ्रांस में राष्ट्रपति माक्रों की सरकार के खिलाफ 'येलो वेस्ट' प्रदर्शन हुए थे, जिनमें कई बार हिंसा भी हुई थी. 

एके/एनआर (एपी,  एएफपी)

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