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समाज

सड़ने की हालत में हैं स्पेन के स्ट्रॉबेरी खेत

१७ अप्रैल २०२०

कोरोना संकट ने ना केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में प्रवासी मजदूरों की दिक्कतों को उजागर किया है. स्पेन में प्रवासी मजदूरों की कमी के चलते स्ट्रॉबेरी के खेतों में कटाई रुकी हुई है.

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Spanien Erdbeerfeld in Huelva
तस्वीर: picture-alliance/prisma/R. J. Fuste

स्पेन के किसान पहले ही मुश्किल वक्त से गुजर रहे थे. वे उत्पादन की ऊंची लागत और उपज के कम दामों के खिलाफ वे प्रदर्शन कर रहे थे. उन्हें उम्मीद थी कि सरकार उनकी स्थिति सुधारने के लिए कुछ करेगी. लेकिन फिर कोरोना आ गया और पूरा देश लॉकडाउन होने पर मजबूर हो गया. प्रधानमंत्री पेद्रो सांचेज के इमरजेंसी की घोषणा से कुछ दिन पहले ही स्पेन से लगे मोरक्को ने अपनी सीमा बंद कर दी थी. रातोंरात हालात बदल गए. वे मजदूर जो हर साल फसल की कटाई के दौरान मोरक्को से स्पेन आया करते थे अब काम पर नहीं आ सकते थे. इसके बाद पूर्वी यूरोप के देशों ने भी सीमा बंद करने का ऐलान किया और वहां से आए मजदूर जितनी जल्दी हो सका अपने देश लौट गए. अब स्पेन में प्रवासी मजदूरों की कमी हो गई है.

यहां का हुएल्वा इलाका स्ट्रॉबेरी के लिए जाना जाता है. स्पेन की 97 फीसदी स्ट्रॉबेरी यहीं से आती हैं और अप्रैल में यहीं से स्ट्रॉबेरी पूरे यूरोप में भेजी जाती हैं. इस वक्त यहां स्ट्रॉबेरी तो उग चुकी है लेकिन उसे काटने के लिए कोई नहीं है. एक अनुमान के अनुसार स्पेन के इस इलाके में 25,000 अस्थाई मजदूरों की कमी है. ये लोग सिर्फ कटाई के सीजन में स्पेन आते और पैसा कमा कर अपने देश वापस लौट जाते. लेकिन इस साल इनके आने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं. ऐसा ही हाल यूरोप के अन्य उद्योगों का भी है जो कोरोना की मार झेल रहे हैं.

यूनिवर्सिटी ऑफ सेवैया के प्रोफेसर मानुएल देलगादो काबेजा का कहना है, "वे हरगिज नहीं आएंगे." उनका कहना है कि जो थोड़े बहुत प्रवासी मजदूर मौजूद हैं, किसानों को उन्हीं से काम चलाना होगा या फिर स्थानीय लोगों को काम पर लगाना होगा. हुएल्वा के लिए स्ट्रॉबेरी ही कमाई का मुख्य जरिया है. स्ट्रॉबेरी की फसलों को छोड़ दें तो इलाके में बाकी रोजगार ना के बराबर है और गरीबी भी बहुत है. अब स्ट्रॉबेरी की खेती भी अगर रुक जाएगी तो पूरा इलाका गरीबी की चपेट में आ जाएगा.

कोरोना क्या हाल करेगा दुनिया की अर्थव्यवस्था का

प्रवासी मजदूरों की दुखद सच्चाई

मोरक्को के अलावा यहां रोमानिया, बुल्गारिया और पोलैंड से भी मजदूर आते हैं. इलाके के लोगों को भी इससे कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि वे खुद खेतों में काम नहीं करना चाहते हैं. प्रोफेसर काबेजा बताते हैं, "पूंजीवाद के इतिहास में हुएल्वा का रोजगार मॉडल सबसे लचीला रहा है. लोगों को उनके देश में ही कॉन्ट्रैक्ट भेज दिए जाते हैं. वे सिर्फ उतने ही वक्त के लिए आते हैं जितने के लिए उनकी जरूरत होती है और उसके बाद उन्हें अपने घर लौट जाना होता है."

फरवरी 2019 में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया कि इनमें से कई प्रवासी मजदूर दूर दराज के इलाकों में बुरी परिस्थितियों में जीने पर मजबूर होते हैं. कई जगह तो हालात "किसी रिफ्यूजी कैंप से भी बुरे होते हैं जहां ना साफ पानी होता है, ना बिजली और ना साफ सफाई." इससे पहले एक जर्मन पत्रकार ने अपनी रिपोर्ट में बताया गया था कि कैसे इन खेतों में काम करने वाली महिला मजदूरों को यौन शोषण का सामना करना पड़ता है. इस तरह के आरोप नए नहीं थे. लेकिन इस खबर के छपने के बाद स्पेन के बुरे हालात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर हुए. प्रोफेसर काबेजा का कहना है, "जर्मनी के लोग जब ये स्ट्रॉबेरी खरीदते हैं, तब उन्हें पता होना चाहिए कि इन्हें उगाने के दौरान क्या सब होता है."

जर्मनी और ब्रिटेन यहां की स्ट्रॉबेरी के सबसे बड़े आयातक हैं. लेकिन कोरोना के चलते इन देशों में मांग 40 से 60 फीसदी तक गिर गई है. स्पेन के व्यापारी संघ इंटरफ्रेसा के अनुसार घरेलू स्तर पर रेस्तरां, होटल और कैफेटेरिया से जो मांग आती थी, अब वह भी गिर गई है. साथ ही लोगों की खरीदारी करने की आदतें भी बदली हैं. अब वे बाजार जाने से बचते हैं, कभी कभी खरीदारी करते हैं और ताजा फल कम ही खरीदते हैं.

प्रवासी मजदूरों का क्या होगा?

यूरोपियन पार्लियामेंट्री रिसर्च सर्विस की हालिया रिपोर्ट कहती है कि प्रवासी मजदूरों की कमी के चलते पूरे यूरोप में फल सब्जियों के दाम बढ़ेंगे. जर्मनी की सुपरमार्केट चेन आल्डी-नॉर्ड के प्रवक्ता ने डॉयचे वेले से कहा कि ताजा सामान मंगाना अब चुनौती बनता जा रहा है और ऐसे में दाम बढ़ाए जा सकते हैं लेकिन कोरोना के बाजार पर असर का पूरा आकलन होना अभी बाकी है.  

स्पेन के किसानों को अब अर्थव्यवस्था के बिगड़ने का की चिंता सता रही है. किसान क्रिस्टोबाल पिकोन के अनुसार अकेले हुएल्वा में 30 से 40 करोड़ यूरो के नुकसान की बात हो रही है. उन्होंने बताया कि इलाके के कई किसानों को दिवालिया होने का डर है. आने वाले दिनों में रसबेरी और ब्लूबेरी की कटाई शुरू होनी है. ऐसे में किसान अब यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि स्ट्रॉबेरी का जो नुकसान हुआ सो हुआ, शायद इनसे कुछ फायदा हो जाए. लेकिन प्रवासी मजदूरों का क्या होगा? इस सवाल के जवाब में पिकोन कहते हैं, "यह उनकी दिक्कत है, वो अपने देश में इससे निपटें."

प्रोफेसर काबेजा का कहना है कि निकट भविष्य में स्पेन को अपने इस मॉडल के बारे में पुनर्विचार करना होगा. हालांकि अब तक यह मॉडल स्पेन के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुआ है लेकिन "हमने एक बहुत ही नाजुक आर्थिक मॉडल बनाया है. हम इस (संकट) से तब तक बाहर नहीं आ सकेंगे जब तक हम यह ठीक से समझ नहीं लेते कि यह कितना नुकसान पहुंचा सकता है." कोरोना संकट के बीच दुनिया भर में बहुत कुछ बदलने वाला है. स्पेन में शायद यह उस बदलाव की शुरुआत है.

रिपोर्ट: एनरीक अनारते/आईबी

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