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समाज

पोलैंड में गर्भपात कानून के खिलाफ प्रदर्शन

१७ अप्रैल २०२०

पोलैंड के गर्भपात कानून को ईयू का सबसे कड़ा गर्भपात कानून माना जाता है. लेकिन अब सरकार इसे और भी सख्त करने जा रही है. कोरोना लॉकडाउन के बावजूद देश में प्रदर्शन चल रहे हैं.

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Polen Gesetzesvorhaben im Parlament - Abtreibungsdebatte spaltet
तस्वीर: Getty Images/AFP/W. Radwanski

कोरोना के चलते पोलैंड में भी लॉकडाउन लगा है. लेकिन राजधानी वारसॉ की सड़कें फिर भी कारों से जाम हैं. लोग बिना रुके हॉर्न बजा रहे हैं. इसलिए नहीं क्योंकि उन्हें कहीं जाने की जल्दी है, बल्कि यह उनका प्रदर्शन करने का तरीका है. ये लोग देश में गर्भपात पर रोक के लिए बन रहे नए कानून का विरोध कर रहे हैं. कोरोना को ध्यान में रखते हुए इन लोगों ने मास्क भी लगाए हुए हैं. और कार में होने के कारण सोशल डिस्टैन्सिंग का भी पालन हो रहा है. कई लोगों के हाथ में झंडे हैं जिन पर लिखा है #pieklokobiet यानी औरतों का नर्क.

इतना ही नहीं राशन की दुकानों के बाहर जो कतारें लगी हैं उनमें भी लोगों ने हाथों में बैनर पकड़े हुए हैं. नेताओं के लिए इन पर संदेश है, "वायरस से लड़ों, महिलाओं से नहीं." कुछ लोग छाते ले कर बाहर निकल रहे हैं. पोलैंड में छाते महिला आंदोलन का प्रतीक रहे हैं. इस तरह से देश के उदारवादी गर्भपात के कानून के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे हैं.

Polen Proteste gegen strengeres Abtreibungsrecht
तस्वीर: Reuters/Gazeta /M. Jazwiecki

क्या है पोलैंड का कानून?

पोलैंड का गर्भपात कानून 1993 में पारित हुआ. यह यूरोपीय संघ के किसी भी देश की तुलना में सबसे सख्त गर्भपात कानून है. इसके अनुसार गर्भपात सिर्फ उसी हालत में मुमकिन है अगर मां की जान को खतरा है या फिर भ्रूण के विकास में बहुत बड़ी कोई बाधा आ रही है. और ऐसा सिर्फ 12वें हफ्ते तक ही किया जा सकता है. बलात्कार के मामले में भी. इस कानून का उल्लंघन करने वाले डॉक्टर को छह महीने से आठ साल तक की कैद की सजा सुनाई जा सकती है.

ऐसा नहीं है कि पोलैंड का हर नागरिक इसके खिलाफ है. बल्कि "स्टॉप अबॉर्शन" नाम की पहल से कई लोग इस कानून को और भी ज्यादा सख्त करने की मांग करते रहे हैं. अब तक इस पहल से 8,30,000 लोग जुड़ चुके हैं. इनकी मांग है कि कानून में किसी भी तरह का अपवाद ना हो. भ्रूण में किसी भी तरह की खराबी इनके लिए गर्भपात की वजह नहीं है. इनके अनुसार, गर्भपात करने वाला बस इस बात का जवाब दे - क्या मां की जान को खतरा था? अगर जवाब हां है तो ठीक, नहीं तो जेल.

Polen Gesetzesvorhaben im Parlament - Abtreibungsdebatte spaltet
तस्वीर: Getty Images/AFP/W. Radwanski

पोलैंड में अगले महीने आम चुनाव होने हैं. 2017 से संसद में इस कानून को और सख्त करने पर विचार होता रहा है. लेकिन अब बहुमत वाली लॉ एंड जस्टिस पार्टी (पीआएएस) ने इसे आगे बढ़ाने का फैसला लिया है - चुनाव से ठीक एक महीना पहले. गर्भपात पर बहस में इस पार्टी ने हमेशा कड़े कानूनों का साथ दिया है. पार्टी के नेता यारोस्लो काचिंस्की तो यहां तक कह चुके हैं कि अगर किसी महिला का बच्चा मरा हुआ पैदा होता है, तो भी उस बच्चे को पहले कैथोलिक ईसाई मान्यताओं के अनुसार बैप्टाइज किया जाएगा, दफनाया जाएगा और उसका नामकरण किया जाएगा.

वोट बैंक की राजनीति?

विपक्ष का कहना है कि चुनाव से ठीक पहले और महामारी के बीच इस तरह की बहस को उठाना सिर्फ यह दिखाता है कि सरकार मतदाताओं को उलझाए रखना चाहती है. देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी सिविक कोएलिशन (केओ) की नेता बारबरा नोवाका का कहना है, "संसद झक्की लोगों द्वारा पेश किए गए प्रस्तावों पर चर्चा करना चाहती है, वह भी ऐसे समय में जब लोग जिंदगी की लड़ाई लड़ रहे हैं, जब कंपनियां दीवालिया घोषित हो रही हैं और लोगों से उनकी नौकरियां, उनके घर छिन रहे हैं."

नोवाका का कहना है कि सरकार इस वक्त लोगों का ध्यान इस बात से हटाना चाहती है कि देश में पर्याप्त मास्क मौजूद नहीं है और अस्पताल मौजूदा संकट का सामना करने के लिए सक्षम नहीं हैं. केओ पार्टी के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मालगोरजाटा ब्लोंस्की गर्भपात कानून को और सख्त करने के खिलाफ हैं. वे कहती हैं, "हम नेताओं को ऐसी स्थिति पैदा करनी होगी जिसमें महिलाएं सुरक्षित महसूस करें. हर चुनाव के दौरान हम इस मुद्दे पर लौटने पर मजबूर होते हैं. और हर बार हम देखते हैं कि महिलाओं से यह मुश्किल फैसला खुद लेने का अधिकार छीनने की कोशिश होती है."

विदेशों में जा कर गर्भपात

1989 से पोलैंड में हर चुनाव में गर्भपात मुद्दा बनता रहा है. लेकिन 2015 में पीआईएस के सत्ता में आने के बाद से इस मुद्दे ने काफी तूल पकड़ा है. पार्टी ने कानून कड़े करने का जितना समर्थन किया है, सड़कों पर उतने ही प्रदर्शन भी देखे गए हैं. कभी काले कपड़े पहने महिलाओं ने "ब्लैक मार्च" निकाले तो कभी जगह जगह कोट के हैंगर टंगे दिखे. छातों की तरह ये भी विरोध को दर्शाते हैं. एक अनुमान के अनुसार पोलैंड में सालाना एक हजार वैध और करीब डेढ़ लाख अवैध गर्भपात किए जाते हैं. बहुत सी महिलाएं इसके लिए आसपास के देशों में जाने पर भी मजबूर होती हैं.

पोलैंड की जानीमानी लेखिका सिलविया चूतनिक ने डॉयचे वेले से बातचीत में बताया, "हम महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है जैसे हमारे पास न तो विवेक है और न ही नैतिकता. हम महिलाओं को राजनीति के खेल में इस्तेमाल किया जाता है." गर्भपात के हक की लड़ाई में पोलैंड की महिलाओं को कई बड़ी हस्तियों का साथ भी मिल रहा है. देश की सुपरमॉडल कही जाने वाली आन्या रुबिक ने फेसबुक पर लिखा, "दुख की बात है कि हमें एक बार फिर अपने स्वास्थ्य, अपनी सुरक्षा और अपनी गरिमा के लिए लड़ना पड़ रहा है."

रिपोर्ट: मॉनिका सीरादज्का/आईबी

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