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तेल की कीमतों में राहत की संभावना नहीं

विनम्रता चतुर्वेदी
२ अक्टूबर २०१८

भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों के बढ़ने का सिलसिला जारी है. पेट्रोल की कीमत बढ़ने का मतलब है हर चीज की कीमत बढ़ना. क्या पेट्रोल-डीजल की कीमत कम करने का कोई उपाय है?

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Indien Kalkutta Benzinkrise
तस्वीर: DW/S. Bandopadhyay

पिछले कुछ महीनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में तकरीबन हर हफ्ते उछाल देखने को मिला है. विशेषज्ञों का मानना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में गिरावट और ज्यादा एक्साइज ड्यूटी तेल की कीमत में बढ़ोतरी की मुख्य वजहें हैं. केंद्र सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल को जिम्मेदार ठहरा रही है. सारी दलीलें सही हैं, लेकिन सवाल ये है कि चुनाव से चंद महीने पहले सरकार चाहकर भी पेट्रोल डीजल की कीमतों पर काबू क्यों नहीं कर पा रही है. पिछले सालों में जब कच्चे तेल की कीमतें नीचे थी तो सरकार पेट्रोल की कीमत नहीं घटाकर राजस्व जुटा रही थी और अब भारत ऐसे चक्र में फंस गया है जब कच्चे तेल की कीमत बढ़ रही है और रुपया भी लगातार दबाव में है.

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान कह चुके हैं कि तेल की कीमतों पर नियंत्रण पाने के लिए जीएसटी समेत अन्य उपायों पर विचार किया जा सकता है. अब रिकॉर्ड कीमतों के बाद फिर से बहस शुरू हुई है कि क्या पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाकर कीमतों को कम किया जा सकता है?

जीएसटी समाधान हो सकता है या नहीं, उससे पहले हम तेल के खेल को समझ लेते हैं. पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के आंकड़ों के मुताबिक, 2017-18 में 22 करोड़ टन तेल आयात हुआ, जिसकी कीमत करीब 88 अरब डॉलर है. इस वित्तीय वर्ष में तेल का आयात 25 फीसदी बढ़ा है. अनुमान है कि इस वर्ष पेट्रो प्रोडक्ट्स से मिलने वाला केंद्र सरकार का राजस्व 2500 अरब रुपये के आंकड़े को छू जाएगा. राज्यों को मिलने वाले अनुमानित राजस्व का आंकड़ा इससे अलग है. 2016-17 में राज्यों का राजस्व 1660 अरब रुपये था. 

क्या बताते हैं आंकड़ें

केंद्र और राज्य के राजस्व को जानने के लिए प्रति लीटर के आंकड़ों से समझा जा सकता है. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन अनुसार सितंबर 2018 में दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल का मूल दाम 35.89 रुपये प्रति लीटर था. रिफाइनरी प्रॉसेसिंग और एंट्री टैक्स मिलाकर इसमें 3.45 रुपये जुड़ा. इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित 19.48 रुपये बतौर एक्ससाइज ड्यूटी लगा. डीलर को बतौर कमीशन 3.63 रुपये प्रति लीटर दिए गए. सब जोड़कर 62.45 रुपये हुए. इस पर दिल्ली सरकार द्वारा 27 फीसदी वैट लगा, जो 16.86 रुपये का हुआ. वैट एक तरह का सेल्स टैक्स है जिसे राज्य सरकार उपभोक्ता व्यय पर वसूलती हैं. कुल मिलाकर दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल का दाम 79.31 रुपये प्रति लीटर हो गया. इस तरह एक लीटर पेट्रोल की कीमत का बड़ा हिस्सा केंद्र और राज्य सरकारों का टैक्स है.

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर सुरजीत दास के मुताबिक 2010 की शुरुआत में पेट्रोल की कीमत करीब 50 रुपये प्रति लीटर थी. 2012 के आते -आते यह करीब 80 रुपये तक आ गई क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 110 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई. 2015-17 के बीच कच्चे तेल की कीमत गिरकर करीब 60 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी, लेकिन भारतीय उपभोक्ताओं को इसका फायदा नहीं मिला और पेट्रोल-डीजल की कीमत कम नही हुई. वह बताते हैं कि मौजूदा वक्त में कच्चे तेल की कीमत बढ़ी जरूर है, लेकिन यह 80 डॉलर प्रति बैरल के करीब है. उनके मुताबिक, भारत में तेल के दाम कम नहीं हो रहे हैं क्योंकि सरकारें टैक्स लगा रही हैं. सरकार के राजस्व का बड़ा हिस्सा तेल से आता है.

पेट्रोल पर जीएसटी की बहस

जीएसटी को लागू करते समय 'एक देश-एक टैक्स' का नारा दिया गया था, लेकिन कुछ उत्पादों को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया गया. इनमें पेट्रोलियम उत्पाद भी शामिल था जिस पर राज्य सरकारें भी टैक्स लगाती हैं. जीएसटी के तहत वस्तुओं पर 5, 12, 18 और  28% की दर से टैक्स लगता है. 28 फीसदी टैक्स लग्जरी आइटमों पर लगाया जाता है. लेकिन पेट्रोल-डीजल को लग्जरी नहीं माना जा सकता क्योंकि ये रोजमर्रा की जरूरत की चीज हैं.

अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया गया तो 12 फीसदी जीएसटी लगने के बाद दिल्ली में पेट्रोल की कीमत सिर्फ करीब 42 रुपये होगी. एक लीटर पेट्रोल पर हर राज्य को औसतन 24 रुपये प्रति लीटर की कमाई होती है. अगर 12 फीसदी जीएसटी लागू किया गया तो राज्यों को आधा हिस्सा मिलेगा और यह करीब 2.2 रुपये प्रति लीटर होगा. विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र और राज्य सरकारों के लिए पेट्रोल-डीजल की बिक्री से मिलने वाला राजस्व महत्वपूर्ण है और वे इसे कम करने का जोखिम कतई नहीं लेना चाहती हैं. यह मानना कि पेट्रोल-डीजल के दामों पर जीएसटी लागू किया जा सकता है, फिलहाल दूर का ढोल ही लगता है.

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