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चांद का एक टुकड़ा लाने की कोशिश

चारु कार्तिकेय
२३ नवम्बर २०२०

चीन इसी सप्ताह चांद पर एक मानव-रहित मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है. 1970 के दशक के बाद यह किसी भी देश का चांद पर ऐसा पहला मिशन होगा जो चांद से पत्थर के टुकड़े पृथ्वी पर लाने की कोशिश करेगा.

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तस्वीर: Charlie Riedel/AP Photo/picture alliance

मिशन का नाम चांग'अ के नाम पर रखा गया है, जिन्हें चीन में चांद की देवी माना जाता है. इसका उद्देश्य है चांद से ऐसी सामग्री वापस पृथ्वी पर लाने का जिससे वैज्ञानिक उसके बनने के बारे में और जानकारी हासिल कर सकें. इस मिशन से चीन अंतरिक्ष से सैंपल धरती पर लाने की अपनी क्षमता का परीक्षण करना चाह रहा है.

अगर यह काम सफलतापूर्वक हो पाया तो फिर और मुश्किल मिशनों की तैयारी की जाएगी. अगर यह मिशन सफल रहा तो चीन चांद से सैंपल वापस लाने वाला तीसरा देश बन जाएगा. दशकों पहले अमेरिका और सोवियत संघ यह उपलब्धि हासिल कर चुके हैं.

सोवियत संघ का लूना 2 मिशन 1959 में चांद की सतह से टकरा कर नष्ट हो गया था. उसके बाद जापान और भारत जैसे देश भी चांद पर मिशन भेज चुके हैं. अमेरिका का अपोलो चांद पर पहला मिशन था जिसके तहत 1969 से ले कर 1972 तक चांद पर छह उड़ानें भेजी और 12 अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर उतारा.

Astronomy Photographer of the Year 2020 I Our Moon
इस मिशन से कई सवालों के जवाब मिल सकते हैं जैसे चांद में अंदर की तरफ कब तक ज्वालामुखी सक्रिया थे और चांद की अपनी चुम्बकीय फील्ड कब नष्ट हुई.तस्वीर: Richard Addis

इस दौरान चांद से 382 किलो के पत्थर और मिट्टी भी वापस लाई गई. फिर 1970 के दशक में सोवियत संघ ने तीन सफल रोबोटिक मिशन पूरे किए. इनमें से आखिरी मिशन लूना 24, 1976 में "मारे क्रिसियम" नाम के क्षेत्र से 170.1 ग्राम सैंपल ले कर वापस आया था.

चीन का नया मिशन दो किलो वजन के सैंपल वापस लाने की कोशिश करेगा. ये सैंपल "ओशियेनस प्रोसेलाराम" नाम के एक ऐसे लावा के मैदान से लिया जाएगा जहां पहले कभी कोई भी मिशन नहीं गया. इस मिशन से कई सवालों के जवाब मिल सकते हैं जैसे चांद में अंदर की तरफ कब तक ज्वालामुखी सक्रिया थे और सूर्य की किरणों से जीवों को बचाने के लिए आवश्यक चांद की अपनी चुम्बकीय फील्ड कब नष्ट हुई.

चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद मिशन सतह पर दो वाहन उतारने की कोशिश करेगा. एक लैंडर जमीन में ड्रिल करने की कोशिश करेगा, फिर वहां से मिट्टी और पत्थरों के सैंपल ले कर एक एसेंडर में डाल देगा. उसके बाद एसेंडर उड़ान भर के परिक्रमा कर रहे एक मॉडल से जा कर जुड़ जाएगा. अगर यह पूरी प्रक्रिया सफल रही तो सैंपलों को वापस लौटने वाले एक कैप्सूल में डाल कर पृथ्वी पर वापस भेज दिया जाएगा.

 Chang'e-4 auf dem Mond
चीन ने पहली बार चांद की सतह पर यान 2013 में उतारा था और जनवरी 2019 में वो चांद की दूसरी की तरफ मिशन उतारने वाला पहला देश बन गया था.तस्वीर: Getty Images/AFP/CNSA

चीन ने पहली बार चांद की सतह पर यान 2013 में उतारा था और जनवरी 2019 में वो चांद की दूसरी की तरफ मिशन उतारने वाला पहला देश बन गया था. अगले एक दशक में चीन की चांद के दक्षिणी पोलर इलाके में मानव-रहित खोजी मिशन चलाने के लिए एक रोबोटिक बेस स्टेशन बनाने की योजना है.

ये कार्यक्रम 2020 और 2030 के दशकों में चलता रहेगा और फिर इंसानों को भी चांद पर पहुंचाने की कोशिश की जाएगी. चीन की मंगल ग्रह से भी 2030 तक सैंपल लाने की योजना है. जुलाई में चीन ने मार्स पर एक मानव रहित मिशन भेजने की शुरुआत की थी.

सीके/एए (रॉयटर्स)

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