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एक क्लिक से खरीदारी करने के दिन गए

चारु कार्तिकेय
२५ अगस्त २०२१

क्या आप भी ई-कॉमर्स वेबसाइटों और ऐप पर बस एक क्लिक से खरीदारी करने के शौकीन हैं? संभव है जल्द सुविधाजनक खरीदारी के आपके इस अनुभव के रास्ते में रोड़ा आ सकता है.

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Symbolbild E-Commerce in Afrika
तस्वीर: imago images/Westend61

आरबीआई के एक आदेश के अनुसार जनवरी 2022 से इंटरनेट पर आपसे भुगतान लेने वाली सेवाएं आपके क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड की जानकारी अपने पास स्टोर नहीं कर पाएंगी. इसका मतलब यह है कि आप जितनी बार कुछ खरीदेंगे या किसी सेवा के लिए भुगतान करेंगे आपको उतनी बार अपने कार्ड का पूरा नंबर, एक्सपायरी तारीख और सीवीवी नंबर टाइप करना पड़ेगा.

सुनने में असुविधाजनक लग रहा है ना? आप सोच रहे होंगे की आरबीआई ने ऐसा क्यों किया. केंद्रीय बैंक का कहना है कि यह आप ही की सुरक्षा के लिए किया गया है. दरअसल यह दिशा निर्देश ऐसे पेमेंट ऐग्रीगेटरों के लिए जारी किए गए हैं जिनकी मदद से ई-कॉमर्स कंपनियां आपसे भुगतान लेती हैं.

कैसे होता है फ्रॉड

अभी तक ये ऐग्रीगेटर ग्राहकों को यह विकल्प देते थे कि अगर वो चाहें तो उनके कार्ड का नंबर वेबसाइट या ऐप में स्टोर कर सकते हैं ताकि अगली बार जब वो कोई भुगतान करें तो उन्हें कार्ड का कई अंकों का नंबर टाइप ना करना पड़े. बस कार्ड के एक्सपायरी की तारीख और सीवीवी नंबर टाइप करना होता था.

Symbolbild VW Hacker
डार्क वेब पर चुराए हुए डाटा का पूरा अवैध बाजार मौजूद हैतस्वीर: Oliver Berg/dpa/picture alliance

लेकिन आरबीआई ने कार्ड के नंबर स्टोर करने को ग्राहकों के लिए खतरनाक पाया है. केंद्रीय बैंक के अनुसार स्टोर किए हुए कार्ड के नंबर का इस्तेमाल कर ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं.

डाटा चुराने वाले कई तरह के वायरसों के जरिए आपके क्रेडिट कार्ड का नंबर और बाकी जानकारी चुरा सकते हैं. बल्कि डार्क वेब पर तो इस तरह के चुराए हुए डाटा का पूरा अवैध बाजार मौजूद है.

इसके अलावा हैकर कंपनियों के डेटाबेस को हैक कर उसे अवैध रूप से हासिल कर लेते हैं. इस डेटाबेस में ग्राहकों की निजी जानकारी और उनके कार्डों की ही सारी जानकारी होती है जिन्हें हैकर बेच देते हैं. बीते कुछ सालों में भारत में कंपनियों पर इस तरह के हमले और उनसे हुई डाटा चोरी के मामले काफी बढ़ गए हैं.

Smartphone Spyware
हैकर कंपनियों के डेटाबेस को हैक कर उसे हासिल कर लेते हैंतस्वीर: Colourbox

अप्रैल 2021 में मोबाइल वॉलेट और पेमेंट ऐप मोबिक्विक इस्तेमाल करने वाले 11 करोड़ लोगों का डाटा चोरी होने की और डार्क वेब पर खरीदने के लिए उपलब्ध होने की खबर आई थी. महामारी के शुरू होने के बाद से इस तरह के हमले और बढ़ गए हैं.

तो क्या है समाधान

वैसे भारत में कई तरह के कार्डों पर बीमा भी मिलता है. अगर किसी के साथ कार्ड से संबंधित धोखाधड़ी हो जाए तो वो एफआईआर दर्ज करा कर बीमे के तहत तय राशि दिए के लिए दावा कर सकता है. यह राशि देने की कार्ड देने वाले बैंक की जिम्मेदारी होती है.

लेकिन संभव है कि धोखाधड़ी और डाटा लीक की घटनाओं के बढ़ने की वजह से आरबीआई अब इस व्यवस्था को चाक-चौबंद करना चाह रहा हो.

Indien - Zahlungs-App - UPI Logo
यूपीआई कार्ड के विकल्प के तौर पर तेजी से उभरा है

केंद्रीय बैंक के अनुसार इस समस्या का एक नया समाधान है टोकन सिस्टम. इसके तहत कार्ड कंपनियां हर कार्ड से जुड़ा एक टोकन ई-कॉमर्स कंपनियों को देंगी. भुगतान इसी टोकन के जरिए होगा. इसे ज्यादा सुरक्षित माना जाता है क्योंकि इससे ग्राहक के कार्ड का नंबर कोई नहीं देख सकता.

आजकल भुगतान के लिए काफी इस्तेमाल के लिए की जाने वाली प्रणाली यूपीआई भी एक तरह का टोकन ही है. इसमें भी कोई कार्ड नंबर या अकाउंट नंबर नहीं दिखता. बस एक पहचान का नंबर होता है जो बैंक अकाउंट से जुड़ा होता है. संभावना है कि नया नियम लागू होने से यूपीआई को और बढ़ावा मिलेगा.

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