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अब यूरोप से हैलोजन बल्ब की भी छुट्टी

२७ अगस्त २०१८

यूरोपीय संघ में पहले बिजली के आम बल्बों पर रोक लगी और अब हैलोजन को भी बाजार से हटाने की तैयारी है. उम्मीद है कि एलईडी के इस्तेमाल से बिजली की खपत कम की जा सकेगी.

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Gründer Shailendra Suman
तस्वीर: Reuters

बिजली की खपत को कम करने के लिए यूरोपीय संघ अब हैलोजन बल्ब पर प्रतिबंध लगा रहा है. हालांकि इन बल्बों पर प्रतिबंध दो साल पहले ही लग जाना चाहिए था, लेकिन बेहतर विकल्प को बाजार में लाने के लिए इसे थोड़ी और मोहलत दे दी गई. 1 सितंबर 2018 से यूरोपीय संघ के बाजारों में हैलोजन की सप्लाई रोक दी जाएगी.

इनकी जगह अब एलईडी यानी लाइट एमिटिंग डायोड को तरजीह दी जाएगी. यूरोपीय आयोग का कहना है कि एलईडी की तुलना में हैलोजन बल्ब पांच गुना ज्यादा बिजली की खपत करते हैं. इस लिहाज से एलईडी के इस्तेमाल से यूरोपीय संघ में एक साल में कुल उतनी बिजली बचाई जा सकेगी जितनी कि पुर्तगाल में साल भर में इस्तेमाल होती है.

हालांकि सीलिंग लाइ्टस, फ्लडलाइट्स और डेस्क लैंप पर फिलहाल हैलोजन के प्रतिबंध का असर नहीं होगा. इन्हें अपवाद माना जाएंगा. साथ ही जिन दुकानों के पास हैलोजन बल्ब रखे हैं, उन्हें इन्हें बेचने की भी अनुमति होगी. इसके अलावा बिजली की खपत को बचाने के लिए यूरोपीय संघ कई इलेक्ट्रिकल उत्पादों के इको-डिजाइन बनाने पर काम कर रहा है. इनमें शावर हेड, वैक्यूम क्लीनर, अवन और हॉटप्लेट्स जैसे कई उत्पाद शामिल हैं.

बिजली की खपत से परेशान एयरपोर्ट

रोशनी के अन्य विकल्पों की तुलना में एलईडी लाइटें महंगी होती हैं लेकिन 2010 से 2017 के बीच इनके दामों में करीब 75 फीसदी की गिरावट देखी गई है. जर्मन संस्था 'फ्रेंड्स ऑफ द अर्थ' के मुताबिक अगर 10 साल तक एक हैलोजन बल्ब का दिन में तीन घंटे इस्तेमाल किया जाए, तो इसकी कुल लागत 160 यूरो तक आाएगी. वहीं एलईडी के इस्तेमाल से महज 28 यूरो का खर्च होगा. इस लिहाज से देखा जाए तो महंगे एलईडी बल्ब खरीदना भी फायदे का सौदा ही साबित होगा.

संगठन की एनर्जी एक्सपर्ट इर्मेला कोलाको का इस बारे में कहना है, ''अगर बिजली की खपत कम करने वाले विकल्प इस्तेमाल किए जाएं, तो उपभोक्ता काफी पैसे बचा सकते हैं.'' जर्मन इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्री असोसिएशन से जुड़े युर्गन वार्डोर्फ बताते हैं कि खास कर पिछले दो-तीन सालों में एलईडी लाइटों की तकनीक काफी बेहतर हुई है, "अब एलईडी को अलग अलग रंगों में इस्तेमाल भी किया जा सकता है और इन्हें स्मार्टफोन से भी कंट्रोल किया जा सकता है.''

एलईडी लाइटों का बाजार तेजी फलफूल रहा है. जर्मन मार्केट रिसर्च इंस्टीट्यूट जीएफके के आंकड़ें बताते हैं कि 2014 में जहां यह 38 फीसदी था, वहीं 2017 में यह बढ़कर 61 फीसदी पहुंच गया. उधर, हैलोजन बल्बों का बाजार 16.7 फीसदी से घटकर 12 फीसदी रह गया.

ब्रसेल्स स्थित यूरोपीय आयोग में ऊर्जा के बेहतर इस्तेमाल पर लगातार काम हो रहा है. केतली, हैंड ड्रायर, लिफ्ट आदि बिजली से चलने वाले कई उत्पादों पर शोध चल रहे हैं. 

वीसी/आईबी (डीपीए)

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