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अचानक इस्लामाबाद पहुंचीं हिलेरी

२७ मई २०११

वॉशिंगटन और इस्लामाबाद के संबंधों में जारी तनाव के बीच अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन अचानक पाकिस्तान पहुंची हैं. हिलेरी कड़वाहट कम करना चाहती हैं. वह पाकिस्तान को दोमुंहेपन से भी आगाह करना चाहती हैं.

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Secretary of State Hillary Rodham Clinton makes a statement regarding the death of Osama bin Laden, Monday, May 2, 2011, at the State Department in Washington. (Foto:Jacquelyn Martin/AP/dapd)
हिलेरी क्लिंटनतस्वीर: AP

अमेरिकी विदेश मंत्री के साथ विमान में सवार एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा, "उन्होंने सहयोग किया है लेकिन हम हमेशा ज्यादा की मांग करते हैं." अमेरिका ने कहा है कि पाकिस्तान इस्लामिक उग्रपंथ के खिलाफ गंभीरता से कार्रवाई नहीं कर रहा है.

पाशा पर सवालों की झड़ी

विदेश मंत्री के साथ अमेरिकी सेना के प्रमुख माइक मुलैन भी हैं. क्लिंटन और मुलैन पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, सेना प्रमुख जनरल अशफाक कियानी और आईएसआई के प्रमुख अहमद शुजा पाशा से मिलेंगे. माना जा रहा है कि अमेरिका संबंधों में आए तनाव को कम करने की कोशिश करेगा. लेकिन आईएसआई के प्रमुख पाशा को तीखे सवाल झेलने पड़ सकते हैं.

Mike Mullen.jpg Admiral Mullen soll General Pace als US-Generalstabschef nachfolgen Caption: This U.S. Navy handout dated 29 March 2007 shows Chief of Naval Operations, Admiral Mike Mullen testifying before the Senate Armed Services Committee on the 2008 National Defense Budget Request. Admiral Mullen was nominated 08 June 2007 by U.S. Secretary of Defense Gates to be the next Chairman of the Joint Chiefs of Staff. EPA/Chad J. McNeeley / Navy Visual News Services HANDOUT Credit as U.S. Navy photo by Chad J. McNeeley EDITORIAL USE ONLY +++(c) dpa - Bildfunk+++
माइक मुलैनतस्वीर: picture-alliance/ dpa

वॉशिंगटन के इरादों के संकेत देते हुए अमेरिकी अधिकारी ने कहा, "अपने नजरिए से पाकिस्तान ने काफी कुछ किया है. लेकिन खुद को बचाने के लिए किस तरह के जरूरी कदम उठाने होंगे, यह समझने में वे नाकाम रहे हैं."

बिन लादेन के बाद

अमेरिकी सेना की विशेष टुकड़ी ने दो मई की रात पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मार गिराया. पाकिस्तान को इस ऑपरेशन की भनक तक नहीं लगने दी गई. अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक बिन लादेन पाकिस्तान में कम से कम पांच साल से रह रहा था.

Pakistan President Asif Ali Zardari addresses reporters following his meeting with French President Nicolas Sarkozy at the Elysee Palace in Paris, Monday Aug. 2, 2010.(AP Photo/Remy de la Mauviniere)
आसिफ अली जरदारीतस्वीर: AP

बिन लादेन की मौत के बाद अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों में तनाव चरम है. पाकिस्तानी संसद और सरकार अमेरिकी कार्रवाई को देश की संप्रभुता पर हमला मान रहे हैं. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा कह चुके हैं कि अगर भविष्य में जरूरत पड़ी तो फिर ऐसी कार्रवाई की जाएगी. अमेरिका में इस बात पर बहस हो रही है कि क्या पाकिस्तान को हर साल दी जाने वाली अरबों डॉलर की आर्थिक मदद बंद कर दी जाए.

संबंधों की बेहतरी की कोशिश

बिन लादेन की मौत से पहले ड्रोन हमलों और सीआईए कॉन्ट्रैक्टर रेमंड डेविस की गिरफ्तारी की वजह से भी दोनों देशों के रिश्ते खट्टे हुए थे. लेकिन अब दोनों पक्ष मतभेदों को दूर करने की दिशा में आगे बढ़ते दिखाई पड़ रहे हैं. पाकिस्तान एबटाबाद ऑपरेशन के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हुए अमेरिकी हेलिकॉप्टर का मलबा लौटा चुका है. सीआईए के फॉरेंसिक विशेषज्ञों को भी उसने बिन लादेन के ठिकाने की जांच करने की इजाजत दे दी है. इसके बदले अमेरिका ने पाकिस्तान से अपने 200 सैनिक हटाने का एलान किया है. इस्लामाबाद आने से पहले हिलेरी ने पैरिस में कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान अमेरिका का साथी बना हुआ है.

अमेरिका इस साल जुलाई से अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहता है. आरोप है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी तालिबान को मदद दे रही है. इस वजह से अफगानिस्तान में हिंसा जारी है. वहीं अब आए दिन पाकिस्तान में भी धमाके हो रहे हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: वी कुमार

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