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राजनीतिब्रिटेन

असांज के पास बचने का आखिरी मौका, वरना भेजे जाएंगे अमेरिका

२१ फ़रवरी २०२४

जूलियान असांज को प्रत्यर्पित किया जाएगा या नहीं, इस पर अदालत में एक निर्णायक सुनवाई हो रही है. असांज चाहते हैं कि उन्हें प्रत्यर्पण से जुड़े फैसलों की समीक्षा की अनुमति दी जाए. अदालत तय करेगी कि वह ऐसा कर पाएंगे या नहीं.

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लंदन की रॉयल कोर्ट्स ऑफ जस्टिस के बाहर असांज को रिहा किए जाने की मांग करते प्रदर्शनकारी
असांज पर अमेरिका में उन पर एस्पियनाज ऐक्ट के तहत आरोप हैं. 20 फरवरी को लंदन की रॉयल कोर्ट्स ऑफ जस्टिस के बाहर असांज की रिहाई के समर्थन में कई प्रदर्शनकारी मौजूद थे. तस्वीर: Alberto Pezzali/AP Photo/picture alliance

जूलियान असांज प्रत्यर्पण रोकने के लिए ब्रिटेन की न्यायिक व्यवस्था में मौजूद अपना आखिरी विकल्प आजमा रहे हैं. अगर अदालत में असांज के खिलाफ फैसला आता है, तो 28 दिनों के भीतर उन्हें अमेरिका प्रत्यर्पित कर दिया जाएगा. हालांकि उनके वकीलों ने यह संकेत भी दिया है कि अगर फैसला पक्ष में नहीं आया, तो वो इस मामले को यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय में ले जाएंगे.

इससे पहले 2021 में ब्रिटिश हाई कोर्ट ने प्रत्यर्पण के पक्ष में फैसला दिया था. उस वक्त अदालत ने इस दलील को नामंजूर किया था कि असांज के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति देखते हुए यह आशंका है कि अमेरिका को प्रत्यर्पित किए जाने पर वह खुद जेल में अपनी जान ले सकते हैं.

2022 में ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट और फिर तत्कालीन गृह सचिव प्रीति पटेल ने भी प्रत्यर्पण के फैसले को बरकरार रखा. असांज चाहते हैं कि उन्हें इन फैसलों की समीक्षा की अनुमति दी जाए. अदालत तय करेगी कि वह ऐसा कर पाएंगे या नहीं.

क्या आरोप हैं असांज पर?

2019 से ही असांज लंदन की एक उच्च सुरक्षा वाली जेल में बंद हैं. अमेरिका में उन पर एस्पियनाज ऐक्ट के तहत आरोप हैं. असांज के वकीलों के मुताबिक, दोषी पाए जाने पर उन्हें 175 साल तक की कैद हो सकती है.

असांज पर लगे आरोपों का संबंध 2010 के घटनाक्रम से है, जब विकीलीक्स ने सेना से जुड़ी खुफिया जानकारियों की विश्लेषक चेल्सी मैनिंग द्वारा लीक की गई जानकारियां सार्वजनिक की थीं. इनमें हजारों गोपनीय सैन्य और कूटनीतिक कागजात थे. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान मई 2019 में जस्टिस डिपार्टमेंट ने उन पर एस्पियनाज ऐक्ट के उल्लंघन का आरोप लगाया.

क्रोएशियन जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन की बालकनी में जमा हुए प्रदर्शनकारी असांज को रिहा किए जाने की मांग करते हुए.
21 फरवरी को असांज की अपील पर सुनवाई का दूसरा और आखिरी दिन है. आज अमेरिकी सरकार के वकील अपनी दलीलें पेश करेंगे. तस्वीर: Damir Sencar/AFP

कानूनी मुश्किलें: स्वीडन से अमेरिका तक

असांज की कानूनी मुश्किलें भी 2010 से ही चली आ रही हैं. स्वीडन में उन पर यौन उत्पीड़न और बलात्कार के आरोप लगे. अगस्त 2010 में स्वीडन में उनकी गिरफ्तारी का वारंट निकला. शुरुआत में पर्याप्त सबूत ना होने की बात कहकर वारंट वापस ले लिया गया, लेकिन फिर जल्द ही मामला फिर से शुरू हो गया. गिरफ्तारी से बचने के लिए असांज स्वीडन से ब्रिटेन चले आए.

स्वीडिश पुलिस ने उनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय वारंट निकाला और असांज को ब्रिटिश पुलिस के आगे सरेंडर करना पड़ा. हालांकि हाई कोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई, लेकिन जल्द ही एक जिला अदालत ने असांज को स्वीडन को प्रत्यर्पित किए जाने का फैसला सुनाया. प्रत्यर्पण से बचने के लिए जून 2012 में बेहद नाटकीय ढंग से असांज लंदन स्थित इक्वाडोर दूतावास में घुसे. इक्वाडोर की सरकार ने अपने दूतावास में उन्हें राजनीतिक शरण दी. अगले सात साल तक असांज यहीं रहे.

इक्वाडोर सरकार के साथ बिगड़े संबंध

2017 में राष्ट्रपति लेनिन मोरेनो के सत्ता में आने के बाद इक्वाडोर सरकार और असांज के बीच तनाव बढ़ने लगा. मोरेनो ने कहा कि इक्वाडोर और ब्रिटेन असांज के दूतावास छोड़ने के लिए एक कानूनी समाधान पर काम कर रहे हैं. असांज ने भी अदालत के रास्ते इक्वाडोर पर यह दबाव डालने की कोशिश की कि उन्हें बुनियादी अधिकार दिए जाएं.

करीब दो साल तक चली इस रस्साकशी के बाद आखिरकार अप्रैल 2019 में मोरेनो ने कहा कि इक्वाडोर के संयम की सीमा खत्म हो गई है. उन्होंने असांज पर आक्रामक व्यवहार का आरोप लगाया. एक ट्वीट कर राष्ट्रपति मोरेनो ने असांज को दी गई कूटनीतिक शरण खत्म करने का एलान किया. फिर ब्रिटेन की पुलिस ने असांज को गिरफ्तार कर लिया.

विकीलीक्स ने अफगानिस्तान युद्ध से जुड़े अमेरिकी सेना के 90,000 से ज्यादा गोपनीय कागजात और इराक युद्ध से जुड़ी लगभग चार लाख गुप्त फाइलें जारी की थीं.
असांज ने साल 2006 में विकीलीक्स की शुरुआत की. इस वेबसाइट ने अप्रैल 2020 में एक गोपनीय वीडियो पब्लिश किया, जिसमें अमेरिकी सेना का एक हेलिकॉप्टर हमला दिखाया गया था. इराक की राजधानी बगदाद में हुए इस हमले में समाचार एजेंसी रॉयटर्स के दो स्टाफ समेत एक दर्जन लोग मारे गए थे. तस्वीर: Carmen Valino/El Pais/Newscom/IMAGO

असांज के वकीलों ने क्या कहा

ताजा अदालती कार्यवाही में असांज खुद नहीं पेश हो पाए. उनके वकीलों ने अदालत को बताया कि खराब स्वास्थ्य के कारण वह अदालत में नहीं आ सकते. असांज के वकीलों ने दलील दी है कि उनके मुवक्किल ने गोपनीय जानकारियां हासिल कीं और उन्हें प्रकाशित किया. ये जानकारियां सही थीं और जनहित में थीं. ऐसा करना पत्रकारिता में सामान्य है, लेकिन असांज को इसके लिए निशाना बनाया जा रहा है.

वकीलों का यह भी कहना है कि चूंकि विकीलीक्स ने जो जानकारियां प्रकाशित कीं, उनमें अमेरिकी सरकार द्वारा की गई गलत चीजों का खुलासा किया गया था. ऐसे में असांज पर लगे आरोपों को सामान्य अपराध की श्रेणी में ना रखकर राजनीतिक अपराध के तौर पर देखा जाना चाहिए और उन्हें प्रत्यर्पित नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही, वकीलों ने यह आशंका भी जताई कि अगर असांज को अमेरिका भेजा जाता है, तो उन्हें न्याय से वंचित रखे जाने का जोखिम है. 

समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, असांज के वकील यह भी चाहते हैं कि जज, असांज के अपहरण या हत्या की कथित साजिश पर भी विचार करें. आरोप है कि असांज जब इक्वाडोर के दूतावास में रह रहे थे, उस दौरान अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और अन्य अमेरिकी अधिकारियों ने यह साजिश रची. एक निचली अदालत इन दावों को पहले भी खारिज कर चुकी है, लेकिन असांज के अटर्नी मार्क समर्स ने फिर से इन आरोपों का जिक्र किया.

समर्स ने दावा किया, "अब मजबूत सबूत हैं कि यह साजिश सच में हुई." वकीलों का यह भी कहना है कि विकीलीक्स ने जिन गोपनीय कागजातों को सार्वजनिक किया, उसके लिए "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत" के तहत सुरक्षा मिलनी चाहिए. वहीं अमेरिका का कहना है कि असांज पर गंभीर अपराध का आरोप है. अमेरिकी पक्ष के मुताबिक, असांज ने जो किया उसके कारण "अमेरिका के सामरिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हितों को नुकसान पहुंचने का जोखिम पैदा हुआ."

भारत का मीडिया किस हाल में है

मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता के समर्थकों का कहना है कि अगर असांज को प्रत्यर्पित किया जाता है, तो यह एक खतरनाक मिसाल होगी और प्रेस फ्रीडम पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा. समर्थक ध्यान दिलाते हैं कि पत्रकारों और जनहित से जुड़ी जानकारियों को लोगों के सामने रखना पत्रकारिता का एक अहम हिस्सा है. ऐसे में पत्रकारों और प्रकाशकों को बेखौफ होकर काम करने का मौका मिलना चाहिए.  

एसएम/सीके (एपी, रॉयटर्स, एएफपी)