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अफ्रीकी देश ओईसीडी की वैश्विक टैक्स योजना से आशंकित क्यों

५ नवम्बर २०२१

ओईसीडी की वैश्विक न्यूनतम कर योजना से कर व्यवस्था में अधिक न्याय की उम्मीद की जा रही है. लेकिन आधे से भी कम अफ्रीकी देश ऐसे हैं जो इसमें शामिल हैं. गरीब देशों को यह व्यवस्था कितना फायदा पहुंचाएगी, इस पर बहस जारी है.

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Skyline Nairobi
तस्वीर: Thomas Imo/picture alliance/photothek

केन्या और नाइजीरिया उस वैश्विक कर सुधार योजना से पीछे हट गए हैं जो बहुराष्ट्रीय निगमों को आसानी से अपने मुनाफे को करों की कम दर वाले देशों में ट्रांसफर करने से रोकती है.कई क्षेत्रीय आर्थिक शक्तियां आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के नेतृत्व में शुरू की गई इस परियोजना में भाग लेने का मन बना रहे हैं. इसके तहत उन देशों को भी मुनाफे के राजस्व का कुछ हिस्सा देने की योजना है जहां से ये लाभ कमाया गया है.

ये योजना को वैश्विक अर्थव्यवस्था में बढ़ते डिजिटलीकरण को देखते हुए पेश की गई है. लेकिन दुनिया भर के 136 देशों में से केवल 23 अफ्रीकी देश ही इस सुधार परियोजना में हिस्सा ले रहे हैं. इन देशों में दक्षिण अफ्रीका, सेनेगल और मिस्र शामिल हैं. इसका मतलब है कि अफ्रीका के आधे से भी कम देश इसमें शामिल हैं और जैसे-जैसे परियोजना के विवरण को अंतिम रूप दिया जा रहा है, अफ्रीकी देशों के लिए एक सस्ता विकल्प खोजने की कोशिशें तेज हो रही हैं.

'अमीरों के लिए सौदा'

यूरोपियन नेटवर्क ऑन डेट एंड डेवेलपमेंट (यूरोडैड) की टॉव राइडिंग कई साल से ओईसीडी के कर सुधारों पर काम कर रहे हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहती हैं, "इस सौदे को अमीरों का सौदा कहे जाने के पीछे वजहें हैं. इसका उन देशों के पक्ष में बहुत स्पष्ट पूर्वाग्रह है जहां बहुराष्ट्रीय निगमों का मुख्यालय है. यह एक बहुत ही अस्वस्थ अंतरराष्ट्रीय सिद्धांत है कि मुख्यालय देश को कर से होने वाली आय का बड़ा हिस्सा मिलना चाहिए. इसके अलावा, इस तथ्य के बारे में काफी व्यापक सहमति है कि विकासशील देशों के लिए इसमें ज्यादा पैसा नहीं है."

Infografik Afrikanische Teilnehmerstaaten der OECD-Steuerreformen EN

कर सुधारों के मूल विचार को फेसबुक के उदाहरण के जरिए समझाने की कोशिश की गई है. मसलन, यदि दक्षिण अफ्रीका में कोई व्यक्ति इस सोशल मीडिया नेटवर्क पर लॉग ऑन करता है और अपनी टाइमलाइन पर एक भुगतान किया हुआ विज्ञापन देखता है, तो फेसबुक आयरलैंड में विज्ञापन से होने वाली आय के मुनाफे पर कर का भुगतान करता है, जहां अफ्रीका के लिए फेसबुक का मुख्यालय स्थित है. अब तक, आयरलैंड में 12.5 फीसद ​​की दर लागू होती थी जिसमें कई तरह की छूट भी शामिल थीं. ओईसीडी योजना का प्रस्ताव है कि साल 2023 से, कर राजस्व का हिस्सा उन देशों में विभाजित किया जाएगा जहां लाभ कमाया गया था. यह कर सुधार योजना का पहला स्तंभ है. उपरोक्त परिदृश्य में दक्षिण अफ्रीका को विज्ञापन राजस्व से लाभ होगा. कर सुधार योजना का दूसरा स्तंभ यह सुनिश्चित करेगा कि सबसे बड़े निगम 15 फीसद की कर दर का भुगतान करेंगे. यदि कोई देश 15 फीसद से कम शुल्क लेता है तो शेष राशि का भुगतान कंपनी के मुख्यालय को किया जाएगा.

विस्तार में मुश्किलें

नैरोबी स्थित टैक्स जस्टिस नेटवर्क अफ्रीका के कार्यकारी निदेशक एल्विन मोसिओमा कहते हैं, "सामान्य विचार यह है कि न्यूनतम कर होना चाहिए. यह अच्छी बात है. लेकिन हमें लगता है कि राशि बहुत कम है. हमें विश्वास है कि यूरोपीय और अमेरिकी क्षेत्राधिकार सबसे अधिक लाभान्वित होने वाले हैं. यह बहुत ही मुश्किल है कि विकासशील देश इससे बाहर निकल सकें, अफ्रीकी देशों की तो बात ही छोड़िए." इसमें कई तरह के प्रतिबंध हैं, जैसे, न्यूनतम कर केवल उन्हीं कंपनियों पर लागू होता है जिनकी वार्षिक बिक्री कम से कम 75 करोड़ यूरो होती है.

वितरण योजना केवल दुनिया की 100 सबसे बड़ी कंपनियों को प्रभावित करेगी और एक निश्चित सीमा से ऊपर कर राजस्व का केवल एक चौथाई का पुनर्वितरण किया जाना है. मोसिओमा कहते हैं, "मुझे लगता है कि बड़े पैमाने पर ओईसीडी द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे समाधान आम तौर पर कई अफ्रीकी देशों या विकासशील देशों के लिए काम नहीं करेंगे." उन्हें डर है कि कई देशों पर अपने कॉर्पोरेट टैक्स को 15 फीसद तक कम करने का दबाव डाला जाएगा. वर्तमान में, अधिकांश अफ्रीकी देश कॉर्पोरेट करों में 20 से 30 फीसद के बीच शुल्क लेते हैं.

प्रतिबंध और बाध्यता

COVID-19 महामारी की शुरुआत के बाद से डिजिटल सेवा कंपनियों की लोकप्रियता में बहुत तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है और वे महत्वपूर्ण आर्थिक खिलाड़ी बन गए हैं. केन्या, नाइजीरिया और जिम्बाब्वे जैसे कुछ अफ्रीकी देश उन पर कर लगाने के लिए नियम लाने की लगभग तैयारी कर चुके हैं. लेकिन यूरौडैड विशेषज्ञ राइडिंग कहती हैं कि इन नए आय स्रोतों को नए ओईसीडी कर सुधारों के तहत गैरकानूनी घोषित किया जाएगा. उनके मुताबिक, "वे डिजिटल सेवा करों का उपयोग नहीं करने के लिए प्रतिबद्ध होंगे. लेकिन ऐसा भी लगता है कि समय के साथ वे एक बाध्यकारी विवाद समाधान के लिए प्रतिबद्ध हो सकते हैं. इसलिए यदि वे इस पर हस्ताक्षर करते हैं तो वे कुछ कर मुद्दों पर अपनी संप्रभुता खो सकते हैं."

Irland und die Mindeststeuer
फेसबुक का अफ्रीका के लिए मुख्यालय आयरलैंड में हैतस्वीर: David Ehl

नाइजीरिया और केन्या ने अपने संदेह को स्पष्ट कर दिया है, लेकिन राइडिंग कहती हैं कि उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए फिलहाल कोई वार्ता नहीं हुई है. राइडिंग के मुताबिक, शक्तिशाली औद्योगिक देश अपने आर्थिक लाभ का उपयोग गरीब देशों पर दबाव बनाने के लिए करते हैं. नामीबिया का उदाहरण देते हुए राइडिंग कहती हैं कि साल 2016 से 2018 तक नामीबिया "कर उद्देश्यों के लिए गैर-सहकारी देशों और क्षेत्रों की यूरोपीय संघ की सूची" में था क्योंकि इस दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्र ने ओईसीडी दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया था. वो कहती हैं, "यूरोपीय संघ के लिए नामीबिया को ब्लैकलिस्ट करना कोई बहुत मुश्किल बात नहीं थी. लेकिन नामीबिया ओईसीडी नियमों के प्रति प्रतिबद्ध नहीं था, इसलिए विकासशील देशों पर ओईसीडी नियमों पर हस्ताक्षर करने के लिए एक बहुत ही खुला और स्पष्ट दबाव रहा है."

क्या हो सुधार का बेहतर रास्ता

कर योजनाओं पर संदेह बढ़ रहा है और अब संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में बाध्यकारी प्रस्तावों के साथ ऐसे कर सुधारों की मांग की जा रही है. गिनी ने 134 गरीब देशों की ओर से संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश करने के लिए एक मसौदा तैयार किया है और "अवैध वित्तीय प्रवाह का मुकाबला करने के महत्व पर उचित विचार" के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किया है. डीडब्ल्यू ने इन मसौदा प्रस्तावों में से कई को देखा भी है. टॉव राइडिंग कहती हैं कि वह संयुक्त राष्ट्र में कर सुधारों का नेतृत्व करने में बड़े फायदे देखती हैं, "संयुक्त राष्ट्र के संदर्भ में, विकासशील देश समान स्तर पर भाग ले सकते हैं और हमने बार-बार देखा है कि ओईसीडी में ऐसा नहीं है."

टैक्स नेटवर्क अफ्रीका के एल्विन मोसियोमा भी कर पर संयुक्त राष्ट्र के समाधान में विश्वास करते थे. वो कहते हैं, "पहले से ही हमारे बीच आम सहमति है कि कर केवल एक राष्ट्रीय एजेंडा नहीं है, यह केवल एक संप्रभु मुद्दा नहीं है. यदि आम सहमति है, तो इसका मूल रूप से मतलब है कि उन सीमा-पार मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक वैश्विक ढांचा होना चाहिए." वो कहते हैं कि ओईसीडी मौजूदा समय में प्रभावी जरूर है लेकिन उसे प्रक्रिया का नेतृत्व करने की वैधता नहीं है.

रिपोर्ट: डेविड एल

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