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राजनीतिसंयुक्त राज्य अमेरिका

पैसिफिक समझौता, जो चीन ना कर सका अमेरिका ने कर लिया

२९ सितम्बर २०२२

अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि पैसिफिक देश उसके 11 सूत्री सहयोग उद्घोषणा पर दस्तखत करने को राजी हो गए हैं. चीन ऐसा समझौता करने की कोशिश लंबे समय से कर रहा था.

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जुलाई में हुई पैसिफिक आईलैंड्स फोरम में भी अमेरिका ने बड़े ऐलान किए थे
जुलाई में हुई पैसिफिक आईलैंड्स फोरम में भी अमेरिका ने बड़े ऐलान किए थेतस्वीर: William West/AFP

अमेरिका ने कहा है कि उसने पैसिफिक के द्वीपीय देशों के साथ भविष्य में साझीदारी को लेकर सभी की सहमति हासिल कर ली है. इलाके में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने के मकसद से अमेरिका ने बड़ी धनराशि खर्च करने का वादा कर इन देशों को लुभाया है.

अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से लिखा है कि अमरिका सरकार पैसिफिक देशों के लिए 86 करोड़ डॉलर खर्च करने का ऐलान कर सकती है. हालांकि व्हाइट हाउस ने इस आंकड़े की पुष्टि नहीं की है लेकिन वॉशिंगटन में होने वाले दो दिवसीय सम्मेलन इस विशाल निवेश का ऐलान किया जा सकता है. पिछले एक दशक में अमेरिका ने प्रशांत क्षेत्र के देशों को डेढ़ अरब डॉलर की राहत उपलब्ध कराई है.

वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि सम्मेलन की 11 सूत्री घोषणा को सभी सदस्य देशों ने समर्थन दे दिया है. इनमें सोलोमन आइलैंड्स भी शामिल है जिसकी सरकार ने ऐसे संकेत दिए थे कि वहां के प्रधानमंत्री मनासे सोगावारे इस घोषणा में शामिल नहीं होना चाहते. सोगावारे को चीन का समर्थक माना जाता है और उन्होंने हाल के दिनों में ऐसे कई कदम उठाए हैं जिन्हें चीन के पक्ष में और अमेरिका के खिलाफ देखा गया.

एक अमेरिकी अधिकारी ने पत्रकारों से बातचीत में स्वीकार किया कि हाल के वर्षों में अमेरिका प्रशांत क्षेत्र के देशों की ओर जरूरी ध्यान नहीं दे पाया है और अब वह नए कदमों और "बड़ी धनराशि” के रूप में अपने प्रयास बढ़ाएगा.

प्रशांत के द्वीपों को महत्व

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार अमेरिका ने प्रशांत क्षेत्र के देशों का सम्मेलन अपने यहां आयोजित किया है. ऐसा तब हुआ है जब चीन ने इन देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए पिछले कुछ सालों में लगातार सक्रियता दिखाई थी. उसे कई जगह कामयाबियां भी मिली थी. उदाहरण के लिए सोलोमन आईलैंड्स ने चीन के साथ एक रक्षा समझौता किया है. माना जाता है कि इस समझौते के तहत चीन को इस देश में सैन्य बंदरगाह बनाने की इजाजत मिल गई है.

अमेरिका में हो रही पार्टनर्स इन द ब्लू पैसिफिक (PBP) समूह की इस बैठक में 14 द्वीपीय देश हिस्सा ले रहे हैं. स्थापना इसी साल जून में हुई थी. इसमें अमेरिका के अलावा, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड और युनाइटेड किंग्डम आदि देश शामिल हैं. भारत इस समूह में पर्यवेक्षक के तौर पर हिस्सेदार है. अमेरिका के हिंद-प्रशांत क्षेत्र के संयोजक कर्ट कैंबल ने कहा कि कुछ और देश इस समूह का हिस्सा बन सकते हैं.

अमेरिका के हिंद-प्रशांत क्षेत्र के संयोजक कर्ट कैंबल ने कहा कि प्रशांत क्षेत्र के हालात पहले से कहीं ज्यादा खराब हो चुके हैं. कोविड-19 महामारी और जलवायु परिवर्तन के खतरों की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा, "उनकी रोजी रोटी खतरे में है. प्रशांत क्षेत्र में मदद जितनी समायोजित हो सकती है, उतनी है नहीं. हमने सबसे अच्छे तरीके नहीं सीखे हैं. आगे बढ़ने के साथ-साथ हम यह सीखना चाहते हैं. मौजूदा संस्थानों के साथ संवाद और संपर्क के जरिए.”

अमेरिका में पैसिफिक देशों को खासी तवज्जो दी जा रही है. उन्हें वॉशिंगटन घुमाया जा रहा है और गुरुवार को ये नेता राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ कांग्रेस में दोपहर का खाना खाएंगे व व्हाइट हाउस में रात का. सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि दोनों पक्ष "अमेरिका और प्रशांत के बीच साझीदारी की घोषणा पर राजी हो गए हैं.”

एक दस्तावेज लहराते हुए ब्लिंकेन ने कहा कि यह दिखाता है कि अमेरिका और प्रशांत क्षेत्र "भविष्य के बारे में एक साझा दृष्टि रखते हैं.” उन्होंने कहा कि "साथ मिलकर ही अपने समय की सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं.”

पैसिफिक आईलैंड्स फोरम के महासचिव हेनरी पूना ने एक बयान में कहा कि उन्हें पूरा यकीन है कि द्वीपीय देश और अमेरिका "एक साझेदारी बना सकते हैं और बनाएंगे.”

चीन और सोलोमन आईलैंड्स के संबंध

हाल के महीनों में अमेरिका की सबसे बड़ी चिंता सोलोमन आईलैंड्स रहा है जिसने उसे कई बार धता बताते हुए चीन की ओर झुकाव दिखाया है. सोलोमन आईलैंड्स के मौजूदा प्रधानमंत्री सोगावारे का चीन की ओर काफी झुकाव है. उनके प्रतिद्वन्द्वी उन पर ‘बीजिंग की जेब में रहने' का आरोप लगाते रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ऐसी आशंकाएं जता चुके हैं कि चीन सोलोमन आइलैंड्स में सैन्य अड्डा बना रहा है. हालांकि सोगावारे इन रिपोर्टों को खारिज करते हैं. पिछले साल लीक हुए एक दस्तावेज के मुताबिक दोनों देशों के बीच सुरक्षा समझौता हुआ था जिसके तहत चीनी नौसेनिक जहाजों को सोलोमन आईलैंड्स के बंदरगाहों में रुकने की अनुमति मिली है.

पिछले महीने अमेरिकी सेना के एक जहाज को ईंधन की जरूरत पड़ी तो अमेरिकी अधिकारी के मुताबिकद्वीपीय देश की सरकार ने उनके द्वारा संपर्क किए जाने पर जवाब नहीं दिया.पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक अमेरिकी कोस्ट गार्ड के जहाज ऑलिवर हेनरी को रूटीन के तहत सोलोमन आइलैंड्स जाना था.

यूएस कोस्ट गार्ड की जनसंपर्क अधिकारी क्रिस्टीन कैम के मुताबिक, "सोलोमन आइलैंड्स की सरकार ने होनिआरा में जहाज की रिफ्यूलिंग और दूसरे प्रावधानों को लेकर अमेरिकी सरकार की डिप्लोमैटिक क्लीयरेंस की दरख्वास्त का कोई जवाब नहीं दिया."

अमेरिका से पहले चीन लगातार इस इलाके में अपना प्रभाव बढ़ाने में लगा हुआ है. अप्रैल-मई में चीन ने पैसिफिक फोरम के देशों से एक रणनीतिक समझौता करने की भी कोशिश की थी. हालांकि, यह कोशिश कामयाब नहीं हो पाई, क्योंकि फोरम के देशों ने कहा कि वे इसके बारे में आपस में विचार-विमर्श करना चाहते हैं.

रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)

 

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