बच्चों का आईक्यू कम कर सकता है फ्लोराइडः रिपोर्ट
२३ अगस्त २०२४अमेरिकी सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट ने बताया है कि पीने के पानी में निर्धारित सीमा से दोगुनी सेहत और स्वास्थ्य फ्लोराइड की मात्रा बच्चों के आईक्यू या बौद्धिक स्तर को कम कर सकती है. पहले से प्रकाशित शोधों के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी संघीय एजेंसी ने यह निष्कर्ष निकाला है कि उच्च फ्लोराइड स्तर और बच्चों के आईक्यू में कमी के बीच संबंध हो सकता है. हालांकि इस रिपोर्ट के निष्कर्ष को "मध्यम आत्मविश्वास" के साथ जारी किया गया है.
इस रिपोर्ट का उद्देश्य केवल पीने के पानी में फ्लोराइड के प्रभावों को समझना नहीं था, लेकिन इसमें उच्च फ्लोराइड स्तर से जुड़े संभावित न्यूरोलॉजिकल जोखिम को स्वीकार किया गया है.
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फ्लोराइड दांतों को मजबूत बनाता है और कैविटी को कम करता है. इसे पिछले सदी की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य उपलब्धियों में से एक माना जाता है. फ्लोराइड को सुरक्षित मात्रा में पीने के पानी में मिलाने की सिफारिश की गई है.
भारत समेत कई देशों में अध्ययन
यह रिपोर्ट नेशनल टॉक्सिकोलॉजी प्रोग्राम द्वारा बुधवार को जारी की गई, जो स्वास्थ्य मंत्रालय का हिस्सा है. इसमें कनाडा, चीन, भारत, ईरान, पाकिस्तान और मेक्सिको में किए गए अध्ययनों की समीक्षा की गई है, जो इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक फ्लोराइड वाले पीने के पानी के लगातार सेवन और बच्चों के आईक्यू में कमी के बीच संबंध हो सकता है.
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रिपोर्ट में यह मापने की कोशिश नहीं की गई कि फ्लोराइड के विभिन्न स्तरों पर कितने आईक्यू अंक कम हो सकते हैं लेकिन रिपोर्ट में जिन शोधों की समीक्षा की गई, उनमें से कुछ अध्ययनों में बताया गया कि जिन बच्चों को अधिक फ्लोराइड के संपर्क में रखा गया था, उनका आईक्यू 2 से 5 अंक तक कम था.
2015 से, अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों ने पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा 0.7 मिलीग्राम प्रति लीटर की सिफारिश की है.
इस रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 0.6 फीसदी अमेरिकी आबादी, यानी लगभग 19 लाख लोग, ऐसे पानी के सिस्टम का उपयोग करते हैं जिनमें स्वाभाविक रूप से 1.5 मिलीग्राम या उससे अधिक फ्लोराइड होता है. रिपोर्ट ने निचले स्तर के फ्लोराइड के जोखिमों के बारे में कोई निष्कर्ष नहीं निकाला और कहा कि इस पर और अध्ययन की आवश्यकता है.
डेंटिस्ट सहमत नहीं
पानी में फ्लोराइड मिलाने का समर्थन करने वाली अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन ने इस नए विश्लेषण और पहले की शोध पर आलोचना की थी.
फ्लोराइड एक खनिज है जो स्वाभाविक रूप से पानी और मिट्टी में पाया जाता है. 1945 में मिशिगन के ग्रैंड रैपिड्स शहर ने पहली बार पीने के पानी में फ्लोराइड मिलाना शुरू किया. तब से इसे दांतों की सड़न को रोकने के लिए प्रोत्साहित किया गया.
पर्यावरण संरक्षण एजेंसी ने पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा 4 मिलीग्राम प्रति लीटर की सीमा तय की है ताकि हड्डियों की कमजोरी और दर्द जैसी समस्याओं से बचा जा सके. लेकिन अब कई शोध उच्च फ्लोराइड स्तर और मस्तिष्क विकास के बीच संबंध की ओर इशारा कर रहे हैं.
2006 में नेशनल रिसर्च काउंसिल ने चीन में किए गए शोधों के आधार पर यह सुझाव दिया था कि उच्च फ्लोराइड स्तर मस्तिष्क पर प्रभाव डाल सकता है और इस पर और अधिक शोध की आवश्यकता है. पहले भी इसी तरह की रिपोर्ट आई थी जिसमें टुथपेस्ट में फ्लोराइड के नुकसान का आकलन किया गया था. ताजा रिपोर्ट को लेकर विशेषज्ञों में बहस हो रही है, और वैज्ञानिक इसे और अच्छे से समझने की कोशिश कर रहे हैं.
फ्लोराइड के स्वास्थ्य पर प्रभाव
वैज्ञानिक कहते हैं कि फ्लोराइड का उचित मात्रा में सेवन दांतों के लिए फायदेमंद है, लेकिन इसकी अत्यधिक मात्रा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है. इसलिए फ्लोराइड के स्तर को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है, विशेषकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए.
फ्लोराइड की अत्यधिक मात्रा से दांतों में फ्लोराइडोसिस नामक बीमारी हो सकती है, जिससे दांतों पर सफेद या काले धब्बे दिखाई दे सकते हैं. यह स्थिति बच्चों में अधिक आम है क्योंकि उनके दांत विकास की अवस्था में होते हैं.
लंबे समय तक अधिक मात्रा में फ्लोराइड का सेवन हड्डियों पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. इससे हड्डियों की संरचना कमजोर हो सकती है और कुछ मामलों में स्केलटल फ्लूरोसिस जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है, जिसमें हड्डियों में अकड़न और दर्द होता है.
फ्लोराइड का सेवन केवल पीने के पानी से ही नहीं, बल्कि टूथपेस्ट, कुछ प्रकार की चाय, और प्रोसेस्ड फूड्स से भी हो सकता है.
रिपोर्टः विवेक कुमार (एपी)