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स्वीडन और फिनलैंड के साथ ब्रिटेन ने किया रक्षा समझौता

१२ मई २०२२

युनाइटेड किंग्डम ने स्वीडन और फिनलैंड के साथ सुरक्षा समझौते किए हैं, जिनके तहत संकट के समय एक दूसरे की मदद करने का वादा किया गया है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने दोनों देशों की यात्रा की.

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स्वीडन और ब्रिटेन के नेता
स्वीडन और ब्रिटेन के नेतातस्वीर: Jonathan Nackstrand/AFP

समझौते में कहा गया है कि यदि किसी भी देश पर हमला होता है या कोई संकट आता है तो वे एक दूसरे की मदद को मौजूद रहेंगे. स्वीडन की प्रधानमंत्री माग्डालेना एंडरसन के साथ एक साझा बयान में जॉनसन ने कहा कि रूस द्वारा यूक्रेन पर की गई कार्रवाई के परिप्रेक्ष्य में यह समझौता और ज्यादा जरूरी हो जाता है.

एंडरसन ने कहा कि उनका देश ब्रिटेन के साथ हुए समझौते के चलते ज्यादा सुरक्षित होगा. उन्होंने कहा, "बेशक, यह बेहद अहम है. हम स्वीडन में कोई भी नीति बनाएं, यह अहम कदम है.” एंडरसन ने स्पष्ट किया कि उनका देश सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है और नाटो की सदस्यता ग्रहण करना उनमें से एक है.

"अपनी सुरक्षा की खातिर”

फिनलैंड के साथ हुए समझौते का ऐलान वहां के राष्ट्रपति साउली निनीस्ता की मौजूदगी में किया गया. इस मौके पर बोरिस जॉनसन ने कहा कि यूके और फिनलैंड के बीच हुई यह घोषणा ‘एक बेहद मुश्किल समय' को दिखाती है, जिससे फिलहाल हम गुजर रहे हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह फिलहाल के लिए अंतर पाटने का कोई समझौता नहीं है कि जब तक फिनलैंड नाटो की सदस्यता पर विचार करे, तब तक के लिए किया गया हो, बल्कि यह दो देशों द्वारा एक-दूसरे को दिया गया भरोसा है जो कायम रहेगा.

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जब पत्रकारों ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री से पूछा कि युद्ध होने की सूरत में क्या ब्रिटेन के सैनिक फिनलैंड भेजे जाएंगे तो उन्होंने कहा कि सैन्य मदद की पेशकश की जाएगी लेकिन वह मदद क्या और कैसी होगी यह ‘मदद पाने वाले पक्ष के अनुरोध पर निर्भर करेगा.' जॉनसन ने कहा कि यह समझौता "अन्य जरियों से हमारे रक्षा संबंधों को और मजबूत करने का आधार बनेगा.”

फिनलैंड के राष्ट्रपति निनिस्ता ने कहा कि उनका देश नाटो की संभावित सदस्यता के मुद्दे पर ब्रिटेन के "जोरदार समर्थन” के लिए आभारी है. उन्होंने कहा कि नाटो की सदस्यता का अर्थ किसी के विरुद्ध जाना नहीं है और युनाइटेड किंग्डम के साथ हुआ समझौता "किसी ना किसी तरीके से अपनी सुरक्षा को मजबूत करने का” माध्यम है.

नाटो की सदस्यता का प्रश्न

जब पत्रकारों ने निनिस्ता से पूछा कि यह कदम रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन को उकसा सकता है तो उन्होंने कहा कि अगर स्वीडन या फिनलैंड नाटो सदस्यता ग्रहण करते हैं तो इसके लिए रूस जिम्मेदार होगा. उन्होंने कहा कि सदस्यता ग्रहण करने के खिलाफ धमकी देकर रूस यह कह रहा है कि इन दोनों देशों की अपनी कोई इच्छा ही नहीं है.

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निनिस्ता ने कहा, "वे अपने पड़ोसी देश पर हमला करने को तैयार हैं तो मेरा जवाब होगा कि आपकी वजह से ऐसा हुआ, आईना देखिए.”

फिनलैंड की रूस के साथ 1,300 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है. ऐसे में उसका नाटो सदस्यता ग्रहण करने का अर्थ होगा कि नाटो सेनाएं रूस की सीमा पर तैनात होंगी. रूस को यूक्रेन की सदस्यता पर भी इसी वजह से आपत्ति थी. फिनलैंड और स्वीडन का नाटो में जाने का अर्थ यह भी होगा कि नाटो की बाल्टिक सागर में मौजूदगी मजबूत हो जाएगी. रूस इसे अपने लिए खतरा मानता है.

स्वीडन को नाटो की सदस्यता ग्रहण करनी चाहिए या नहीं, इस सवाल के जवाब में ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि इस फैसले में "हमारा दखल देना नहीं बनता है” और यह उनकी अंदरूनी बहस है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा, "अगर स्वीडन ऐसा करन चुनता है तो हम उसकी सदस्यता को पूरी ताकत से समर्थन करेंगे. हम कोशिश करेंगे कि चीजें जितना हो सके, आसानी से हो जाएं.”

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

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