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समाज

थाईलैंड के प्रधानमंत्री को इस्तीफे का अल्टीमेटम

२२ अक्टूबर २०२०

भारी विरोध प्रदर्शन के बाद आखिरकार थाईलैंड सरकार ने गुरुवार को बैंकॉक में आपातस्थिति को खत्म करने का आदेश दे दिया है. प्रदर्शन तेज होने के बाद राजधानी में इमरजेंसी लगा दी गई थी. प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग की गई है.

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तस्वीर: Lauren DeCicca/Getty Images

राजशाही के आधिकारिक राजपत्र के मुताबिक, "वर्तमान हिंसक स्थिति के कारण इमरजेंसी की जो घोषणा हुई थी उन कदमों को वापस ले लिया गया है और अब अधिकारी और राज्य एजेंसियां नियमित कानून लागू कर पाएंगी." बैंकॉक में सरकार विरोधी प्रदर्शनों को देखते हुए आपातस्थिति लागू की गई थी और देश के प्रधानमंत्री के इस्तीफे और संविधान में बदलाव की मांग की जा रही थी. प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओचा के खिलाफ पिछले एक हफ्ते से बैंकॉक में उग्र प्रदर्शन हो रहे थे और प्रदर्शनकारियों ने मुख्य प्रदर्शन स्थल वाले रास्ते पर कब्जा कर रखा था. प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री ओचा के इस्तीफे और संविधान में बदलाव की मांग कर रहे हैं. पिछले एक महीने से प्रधानमंत्री और देश के राजा के खिलाफ विरोध के स्वर तेज हो रहे थे.

बुधवार, 21 अक्टूबर की रात को भी प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय तक मार्च निकाला और उनके इस्तीफे की मांग की. हालांकि प्रधानमंत्री का कहना है कि प्रदर्शनकारियों की मांग पर संसद में विचार होना चाहिए. बुधवार की रात हजारों प्रदर्शनकारी पुलिस से जा भिड़े. पुलिस दंगा रोधी उपकरणों से लैस थी और प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए लोहे के बैरिकेड लगाए गए थे. साथ ही कंटीली तार भी बिछाई गई थी. एक हफ्ते पहले भी पुलिस ने इसी इलाके से प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा था. प्रदर्शनकारियों ने सरकार के प्रतिनिधियों को ओचा के इस्तीफा का एक फॉर्म सौंपा, जिस पर उनसे हस्ताक्षर की मांग की गई है. साथ ही उन्होंने अपने ज्ञापन में गिरफ्तार किए गए अपने नेताओं की रिहाई की मांग की. उन्होंने कहा कि उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो वे तीन दिनों के भीतर दोबारा लौटेंगे. इसके बाद वे शांति के साथ वापस लौट गए.

सरकार ने दिए नरमी के संकेत

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक थाईलैंड सरकार ने प्रदर्शकारियों की एक नेता पातसरावली तानकीटविबुल्पन को गुरुवार सुबह रिहा कर दिया गया है. एक दिन पहले ही उन्हें आपातस्थिति के नियमों को तोड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. 25 साल की इस नेता ने कहा कि अदालत ने आरोपों को गंभीर नहीं माना और कहा कि उन्हें परीक्षा और कक्षा में जाने की जरूरत है. अदालत ने उनसे कोई गारंटी भी नहीं भरवाई है.

थाईलैंड में प्रदर्शनकारी लंबे समय से और अधिक लोकतांत्रिक संविधान के साथ साथ राजशाही व्यवस्था में सुधार की मांग करते आ रहे हैं. बुधवार को ओचा ने टीवी पर दिए अपने भाषण में कहा था कि बैंकॉक में अगर कोई हिंसक घटना नहीं होती है तो वे तत्काल ही आपातस्थिति को हटा लेंगे. प्रदर्शनकारी आपातस्थिति को हटाने की मांग भी कर रहे थे.

इससे पहले बुधवार को बैंकॉक में लगाई गई आपातस्थिति को चुनौती देने के लिए प्रदर्शनकारी कोर्ट भी गए थे और उन्होंने कहा था कि यह उनके इकट्ठा होने की आजादी को रोकती है. इस मामले पर सुनवाई इसी हफ्ते होने की उम्मीद है.

एए/सीके (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)

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