1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समाज

थाईलैंड में एक बार फिर लोकतंत्र समर्थक सड़कों पर उतरे

१५ अक्टूबर २०२०

थाईलैंड सरकार ने लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों के बाद एक आदेश जारी किया है जिसके तहत सार्वजनिक यातायात प्रतिबंध किया जा सकता है और पुलिस और सेना के जवानों को आपातकालीन स्थिति से निपटने के अधिकार दिए गए हैं.

https://p.dw.com/p/3jxTm
तस्वीर: Tomoko Tsuda/The Yomiuri Shimbun/AP Photo/picture-alliance

प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओचा ने गुरुवार को आपातकाल आदेश पर हस्ताक्षर किए जिसके मुताबिक सार्वजनिक स्थलों पर पांच से अधिक लोग इकट्ठा नहीं हो सकेंगे और सार्वजनिक परिवहन प्रतिबंधित कर दिए जाएंगे. यह आदेश "संवेदनशील समाचार" के प्रकाशन पर भी प्रतिबंध लगाता है और पुलिस और सैनिकों को अपने दम पर "आपात स्थिति" से निपटने की शक्ति देता है.

राजधानी बैंकॉक में बुधवार रात को सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हजारों लोग शामिल हुए. जिसके बाद प्रधानमंत्री को "देश की स्थिरता को प्रभावित करने वाली आक्रामकता" का हवाला देते हुए एक नया आदेश जारी करने का मौका मिल गया. उन्होंने कहा, "यह जरूरी है कि इस स्थिति को प्रभावी ढंग से समाप्त करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं ताकि कानून और व्यवस्था की स्थिति बनाई रखी जा सके." यह आदेश कितने दिनों तक जारी रहेगा यह अब तक साफ नहीं हो पाया है. मंगलवार को विरोध प्रदर्शन के कारण क्षेत्र से गुजरने वाले शाही काफिले को रोकना पड़ा था. इसे भी आपातकालीन आदेश जारी करने का एक कारण बताया जा रहा है. थाईलैंड में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि पुलिस ने अब तक विरोध प्रदर्शन के तीन प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार किया है.

सरकार द्वारा जारी नया फरमान 15 अक्टूबर की सुबह लागू हुआ और इसके तुरंत बाद पुलिस ने सड़कों पर जहां भी प्रदर्शनकारी जमा हुए थे कब्जा कर लिया. बैंकॉक में मुख्य विरोध स्थल एक शॉपिंग मॉल के रास्ते पर है, जहां से अधिकांश प्रदर्शनकारी पहले ही रात को घर चले गए थे ताकि वे दोपहर में फिर से इकट्ठा हो सकें.

Thailand Bangkok | Anti-Regierungsproteste
बैंकॉक में भारी संख्या में पुलिस तैनात. तस्वीर: Peerapon Boonyakiat/SOPA Images/Zuma/picture-alliance

हजारों की मांग 'सुधार हो'

बुधवार को हजारों लोगों ने प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए सरकारी भवन तक मार्च किया. प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओचा कभी सेना प्रमुख हुआ करते थे. ताजा विरोध प्रदर्शन 14 अक्टूबर को शुरू हुआ. यह उस छात्र आंदोलन की वर्षगांठ पर हुआ जिसमें 1973 में सैन्य तानाशाह को सत्ता से हटा दिया था. जुलाई से ही देश में लोकतंत्र सुधारों की मांग को लेकर छोटी-छोटी रैलियां हो रही हैं. इन रैलियों में बड़ी संख्या में युवा भाग ले रहे हैं और सरकार से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. साथ ही वे नए संविधान की भी मांग कर रहे हैं. वे चाहते हैं कि सरकार के आलोचकों को परेशान करना बंद किया जाए. 

कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री ने पहले एक निर्वाचित सरकार को बेदखल कर देश की सत्ता हथिया ली थी और आरोप लगते हैं कि पिछले साल हुए चुनाव में उन्होंने धांधली की थी. लेकिन प्रधानमंत्री ने आरोपों से इनकार किया है. राजा के पास थाईलैंड के संविधान में भी काफी शक्ति है और प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि इस पर अंकुश लगाया जाए. राजा ने सेना के हिस्से पर काफी नियंत्रण हासिल किया हुआ है और लोकतंत्र समर्थक चाहते हैं कि वे इन शक्तियों को लौटाएं. लेकिन लोगों की इन मांगों पर ध्यान देने के बजाय, शाही परिवार ने हमेशा उन्हें खारिज किया है.

थाई कानून के तहत राजा आलोचना से ऊपर है और जो कोई भी उसकी आलोचना करता है वह 15 साल तक की जेल की सजा पा सकता है.

एए/सीके (रॉयटर्स,डीपीए)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें