श्रीलंका चुनाव के बाद और मजबूत हुए राजपक्षे बंधु
७ अगस्त २०२०श्रीलंका के संसदीय चुनाव में श्रीलंका पीपल्स पार्टी (एसएलपीपी) और उसके सहयोगियों ने दो तिहाई बहुमत से जीत हासिल की है. 225 सदस्यीय संसद में एसएलपीपी और उसके सहयोगियों ने 150 सीटों पर जीत दर्ज की है. कोरोना वायरस महामारी के बीच श्रीलंका में बुधवार को आम चुनाव हुए थे. इससे पहले दो बार महामारी के कारण चुनाव टाल दिए गए थे. गोटबाया राजपक्षे ने चुनाव से पहले ही दो तिहाई बहुमत से जीत का भरोसा जताया था. वे बतौर राष्ट्रपति अपनी शक्तियों को बढ़ाना चाहते हैं ताकि वे संविधान में बदलाव कर पाएं. उनका कहना है कि संविधान में बदलाव कर वे छोटे से देश को आर्थिक और सैन्य रूप से सुरक्षित कर पाएंगे.
इन नतीजों के बाद पूरी संभावना है कि वे अपने बड़े भाई और पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को दोबारा प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बिठाएंगे. दोनों भाइयों को 2009 में एलटीटीई को देश से खत्म करने के लिए जाना जाता है. चरमपंथी संगठन एलटीटीई अल्पसंख्यक तमिलों के लिए अलग राज्य के लिए लड़ाई लड़ रहा था. 2009 में जब गृहयुद्ध खत्म हुआ तो उस वक्त छोटे भाई राष्ट्रपति थे. उन पर यातना और आम नागरिकों की हत्या के आरोप भी लगे थे.
श्रीलंका में चुनाव नतीजे आने के बाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को फोन कर बधाई दी. बातचीत के बाद मोदी ने अपने ट्वीट में कहा, "हम द्विपक्षीय सहयोग के सभी क्षेत्रों को आगे बढ़ाने और अपने विशेष संबंधों को हमेशा नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए मिलकर काम करेंगे" महिंदा राजपक्षे ने भी ट्वीट कर बधाई के लिए मोदी का धन्यवाद किया. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "श्रीलंका के लोगों के मजबूत समर्थन के साथ, हम दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सहयोग को और बढ़ाने के लिए आपके साथ मिलकर काम करना चाहते हैं. श्रीलंका और भारत दोस्त हैं."
पर्यटन पर निर्भर दो करोड़ से अधिक आबादी वाला देश पिछले साल चर्च, होटल पर हुए आतंकी हमले के बाद से ही अपनी अर्थव्यवस्था को लेकर जूझ रहा है. इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी. इसके बाद कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन लगाया गया जिससे आर्थिक गतिविधियां ठप सी हो गई.
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
__________________________
हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore