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चार साल में गांव के स्कूल से राष्ट्रपति भवन तक का सफर

यान वाल्टर
१८ जून २०२१

पेरु के राष्ट्रपति पद के विजेता पेद्रो कास्टिल्यो ने अर्थव्यवस्था में बड़े बदलावों का संकेत दिया है. चार साल पहले गांव के स्कूल में शिक्षक का कम करने वाले वामपंथी नेता कास्टिल्यो ने थोड़े से अंतर से चुनाव जीता है.

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चार साल पहले तक, पेद्रो कास्टिलो एंडीज के एक ग्रामीण स्कूल में अध्यापक थे और अब वो पेरु का राष्ट्रपति बनने की राह पर हैं.तस्वीर: picture alliance/AA/Klebher Vásquez

चार साल पहले तक, पेद्रो कास्टिल्यो एंडीज के एक ग्रामीण स्कूल में अध्यापक थे. फिर एक शिक्षक हड़ताल की अगुआई ने उन्हें राष्ट्रीय पहचान दिलायी और अब वो पेरु का राष्ट्रपति बनने की राह पर हैं. पूना को जाने वाली एक ही सड़क है. ताकाबाम्बा जिले में इस गांव में कुछ खेतों और पगडंडियों के बीच फैले हुए दो दर्जन मकान हैं- यहीं वो स्कूल है जहां 2017 तक खोहे पेद्रो कास्टिल्यो टेरोनेस पढ़ाते थे. यहां से करीब 200 किलोमीटर दूर क्षेत्रीय राजधानी काजामारका पहुंचने में पूरा एक दिन लग जाता है.

शिक्षक आंदोलन से चमके कास्टिल्यो

1969 में ताकाबाम्बा में पैदा हुए कास्टिल्यो अपनी युवा दिनों में किसानों के स्थानीय रोन्डाल कैम्पेसिनास गश्ती दल का हिस्सा थे. 1980 और 90 के दशक में, सघन आंतरिक संघर्ष के दौरान स्थानीय समुदायों को गोरिल्ला हमलों से बचाने के लिए किसानों ने इन गश्ती दलों का गठन किया था. ये वही समय था जब सेना और माओवादी गोरिल्ला समूह शाइनिंग पाथ और मार्क्सवादी-लेनिनवादी टुपाक अमारू क्रांतिकारी आंदोलन के आपसी टकरावों की वजह से ग्रामीण पेरु में दहशत पसरी रहती थी. सरकार से कोई खास मदद मिलती नहीं थी. बहुत से लोग मानते हैं कि सरकार गांवों के गरीब लोगों की उपेक्षा करती आ रही है.

2002 में कास्टिल्यो काजामार्का की राजधानी आन्गुया का मेयर बनने में नाकाम रहे. लेकिन 2017 में राष्ट्रव्यापी कामयाब शिक्षक हड़ताल के नेता के रूप में उनका कद बढ़ा. पेद्रो पाब्लो कुचजिन्स्की उस समय पेरु के राष्ट्रपति थे. उन्होंने शिक्षकों की वेतन में बढ़ोत्तरी समेत बहुत सारी मांगे मान ली थीं.

पेरु में छह जून को राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में बहुत मामूली अंतर से कास्टिल्यो ने जीत हासिल की है. देर तक चली वोटों की गिनती के बाद उन्होंने बुधवार को जीत का दावा किया. हालांकि उनकी चुनावी प्रतिद्वंद्वी कीको फुजिमोरी ने चुनावों में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए नतीजों को चुनौती देने का फैसला किया है. फुजिमोरी आर्थिक उदारवादी और निरंकुश सत्तावादी नेता मानी जाती हैं. जेल में बंद उनके पिता भी पूर्व राष्ट्रपति हैं. 

लोकतंत्र के लिए खतरा है कास्टिल्यो की पार्टी?

कास्टिल्यो की पार्टी, फ्री पेरु समाजवाद की मार्क्सवादी-लेनिनवादी धारा से प्रभावित है. इसी बात से उनके कुछ विरोधियों को डर है कि लोकतंत्र कहीं खतरे में न पड़ जाए. लेकिन पेरू में दक्षिणपंथी सदस्यों को ये मानने में कोई हिचक नहीं है कि उनके वामपंथी विरोधी लोकतंत्र को बाधित कर रहे हैं. इसके लिए एक शब्द भी हैः टेरुक्युइओ- ये अक्सर वे आधारधीन आरोप होते हैं कि कम्युनिस्ट आतंकी संगठनों के प्रति वामपंथी उदारता दिखा रहे हैं.

पब्लिक प्रोसीक्यूटर के दफ्तर के मुताबिक कांग्रेस के लिए चुने गए, फ्री पेरू पार्टी के सदस्य गिलेरमो बेरमेयो का शाइनिंग पाथ से रिश्ता रहा है. एक रिकॉर्डिंग में बेरमेयो ये कहते हुए दिखते हैं कि "हम सोशलिस्ट हैं, नये संविधान का निर्माण हमारा पहला कदम है, अगर हम सत्ता में आते हैं तो हम इसे नहीं छोड़ेंगे.” बेरमेयो का कहना है कि ये रिकॉर्डिंग एक साल पहले की है. "बुरी से बुरी स्थिति में हमारे साथ जो भी हो, वो हमारे झंडे तले ही हो किसी दूसरे के झंडे के नीचे नहीं.”

अप्रैल में दिए एक इंटरव्यू में कास्टिल्यो ने वेनेजुएला में राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की अगुआई वाली सरकार को "लोकतांत्रिक” बताया था क्योंकि देश की संसद में विपक्ष के सदस्य भी हैं. उसी इंटरव्यू में कास्टिल्यो ने कहा कि वो अंतुआरो हुमाला को माफी देने के बारे में सोच रहे हैं. सेना में मेजर रह चुके हुमाला 19 साल की जेल की सजा काट रहे हैं. उन पर पूर्व राष्ट्रपति अलेहान्द्रो तोलेडो के खिलाफ 2005 में बगावत की कोशिश का आरोप है. उस कोशिश में चार पुलिसकर्मी मारे गए थे. हुमाला के भाई ओलान्ता 2011 से 2016 तक पेरु के राष्ट्रपति रह चुके हैं. हुमाला ने मूलनिवासियो को सत्ता सौंपने वाले उपनिवेश विरोधी आंदोलन की अगुआई भी की थी. कास्टिल्यो ने कहा कि सजा की लंबी अवधि को माफी का आधार बनाया जाएगा.

इच्छाएं बड़ी लेकिन समर्थन मामूली

यूं वामपंथी फ्री पेरू पार्टी में कास्टिल्यो सामाजिक रूप से रूढ़िवादी गुट के नेता हैं. वो इंजील परंपरा के ईसाई हैं. गर्भपात को कानूनी दर्जा देने और समलैंगिक विवाहों का तीखा विरोध करते रहे हैं.

अगर कंपनियों के साथ करार संतोषजनक ढंग से फिर से नहीं किया जाता तो इस सूरत में राष्ट्रपति बनने जा रहे कास्टिल्यो ने तेल और गैस के उत्सर्जन के साथ साथ खनन उद्योग के राष्ट्रीयकरण का प्रस्ताव दिया है. कर्मचारियों के हित में पेंशन प्रणाली में भी बदलाव का प्रस्ताव है. कास्टिल्यो ये सुनिश्चित कराना चाहते हैं कि निजी सेक्टर अधिकांश पेरुवासियों के लिए फायदेमंद साबित हो. वह कृषि और शिक्षा में भी राज्य का खर्च बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं.

कास्टिल्यो ने संवैधानिक अदालत को "निष्क्रिय” करने की योजनाओं का ऐलान किया है. एक ट्राइब्युनल बनाया जाएगा जिसके सदस्यों का चुनाव विधायिका के बजाय जनता से कराया जाएगा. कास्टिल्यो ने पेरु के संविधान को "जनता के रंग, महक और स्वाद” के साथ फिर से लिखने के लिए संविधान सभा के गठन का प्रस्ताव भी दिया है.

दूसरे राउंड में 50 प्रतिशत से थोड़े कम मतदाताओं ने कास्टिल्यो के विरोध में वोट डाला. पहले राउंड में उन्हें 19 प्रतिशत वोट मिले. एक सदन वाली विधायिका की 130 सीटों में से फ्री पेरु पार्टी के पास 37 सीटें हैं. उसे 30 प्रतिशत से कुछ कम ही सांसदों का समर्थन हासिल है. आधा से ज्यादा सीटें फुजीमोरी के समर्थकों, नवउदारवादियों और रूढ़िवादियों के कब्जे में हैं. पेरु के राजनीतिक विश्लेषक गोन्जालो बांडा कहते हैं, "सत्ता में आने से पहले कास्टिल्यो को कुछ समझौते करने पड़ेंगे. कांग्रेस का समर्थन हासिल किए बिना, वो सुधार लागू नहीं कर सकते हैं.”

 

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