अहमदिया होने पर पाकिस्तान में बुजुर्ग डॉक्टर की हत्या
१२ फ़रवरी २०२१पुलिस का कहना है कि पेशावर में एक युवक ने 65 साल के होम्योपैथी डॉक्टर अब्दुल कादिर की गोली मार कर हत्या कर दी है. घटनास्थल पर ही लोगों ने हमलावर को पकड़ कर तुरंत पुलिस को सौंप दिया. पुलिस की पूछताछ में 18 साल के आरोपी युवक ने माना कि अहमदिया समुदाय से होने के कारण ही उसने डॉक्टर कादिर को निशाना बनाया.
अहमदिया समुदाय के प्रवक्ता सलीमुद्दीन ने एक बयान जारी कर इस घटना की कड़ी निंदा की है. उनका कहना है कि यह एक साल से भी कम समय के भीतर उनके समुदाय के पांचवें व्यक्ति की हत्या है. पिछले साल इसी समुदाय से संबंध रखने वाले एक पाकिस्तानी-अमेरिकी व्यक्ति की अदालत के भीतर गोली मारकर हत्या की गई थी. उस समय उस व्यक्ति पर ईशनिंदा के आरोपों में मुकदमा चल रहा था.
उस वक्त अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान से कहा था कि वह ईशनिंदा कानून को खत्म करे ताकि धार्मिक नफरत से प्रेरित अपराधों को रोका जा सके. हिंदू, ईसाई और अहमदिया जैसे अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अकसर ईशानिंदा के मामलों में फंसते हैं.
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कौन हैं अहमदिया
पाकिस्तान में अहमदिया लोगों को अपने धार्मिक विश्वास के कारण अकसर निशाना बनाया जाता है. हालांकि देश में उनकी आबादी लगभग 40 लाख है. लेकिन उनके खिलाफ वहां दशकों से नफरत से प्रेरित मुहिम चल रही है. अहमदिया लोग कहते हैं कि वे भी इस्लाम को मानते हैं, लेकिन पाकिस्तान की संसद ने उन्हें 1974 में गैर मुसलमान घोषित कर दिया. इसकी वजह यह है कि अहमदिया लोग अपने समुदाय के संस्थापक गुलाम अहमद को भी पैगंबर बताते हैं जबकि रवायती इस्लाम में मान्यता है कि पैगंबर मोहम्मद के बाद कोई दूसरा पैगंबर नहीं हुआ.
मिर्जा गुलाम अहमद ने 19वीं सदी में भारतीय उपमहाद्वीप में अहमदिया समुदाय की नींव रखी थी. उनके अनुयायी मानते हैं कि गुलाम अहमद ही वह मसीहा थे जिसका वादा पैगंबर मोहम्मद ने किया था. मुख्यधारा का इस्लाम इस को पूरी तरह खारिज करता है और इसे धर्म विरोधी मानता है. अगर कोई अहमदिया व्यक्ति पाकिस्तान में मुसलमान होने का दावा करे तो उसे 10 साल तक की सजा हो सकती है. अहमदिया समुदाय का कहना है कि उसके सदस्यों को निशाना बनाकर किए हमलों में 1984 से 260 से ज्यादा लोग मारे गए हैं.
एके/आईबी (डीपीए, एपी)
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