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पहले मुसलमान नोबेल विजेता का पहली बार सम्मान करेगा पाकिस्तान

६ दिसम्बर २०१६

36 साल पहले जिस शख्स ने पाकिस्तान को नोबेल दिलाया था, आज तक मुल्क उसे दुत्कारता रहा है. पहली बार प्रोफेसर सलाम को सम्मान मिल रहा है.

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Nobelpreisträger Abdus Salam
तस्वीर: picture-alliance/dpa

पाकिस्तान के पहले नोबेल विजेता को पहली बार सम्मान जैसा कुछ मिल रहा है. एक यूनिवर्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट का नाम भौतिकविज्ञानी नोबेल प्राइज विजेता प्रोफेसर अब्दुससलाम के नाम पर रखने की योजना बनाई जा रही है. 30 साल तक पाकिस्तान इस महान वैज्ञानिक की उपलब्धियों को सिर्फ इसलिए नजरअंदाज करता रहा है क्योंकि यह अहमदिया समुदाय से थे. पाकिस्तानी कानून के मुताबिक अहमदिया लोगों को खुद को मुसलमान कहने का हक नहीं है.

सलाम सिर्फ पहले पाकिस्तानी नहीं, नोबेल जीतने वाले पहले मुसलमान भी थे. लेकिन वह अहमदिया मुसलमान थे जिन्हें पाकिस्तान मुसलमान नहीं मानता है. प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के दफ्तर की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस्लामाबाद की कायद-ए-आजम यूनिवर्सिटी के नेशनल सेंटर फॉर फिजिक्स का नाम सलाम के नाम पर रखा जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है. बयान में कहा गया, "प्रधानमंत्री ने संघीय शिक्षा मंत्रालय को निर्देश दिया है कि एक औपचारिक प्रस्ताव तैयार किया जाए ताकि राष्ट्रपति की अनुमति ली जा सके."

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अब्दुससलाम को 1979 में शेल्डन ग्लाशो और स्टीवन वाइनबर्ग के साथ संयुक्त रूप से फिजिक्स का नोबेल प्राइज दिया गया था. उन्हीं की खोज ने गॉड पार्टिकल की खोज का रास्ता तैयार किया था, जिसे बीते 100 साल में विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक कहा जाता है. लेकिन पाकिस्तान ने इस उपलब्धि को आज तक भी फख्र के साथ नहीं स्वीकारा है. यहां तक कि कट्टरपंथियों के दबाव के चलते सलाम अपने जीवन काल में यूनिवर्सिटियों में लेक्चर तक नहीं पाए थे.

अहमदी मुसलमान मानते हैं कि इस्लाम के प्रवर्तक मुहम्मद के बाद भी एक पैगंबर हुए हैं जबकि पारंपरिक इस्लाम मानता है कि मुहम्मद आखिरी पैगंबर थे. इस मतभेद के कारण पाकिस्तान में अहमदियों लोगों को काफी जुल्म झेलने पड़े हैं. कट्टर मौलवी तो यहां तक कहते हैं कि किसी अहमदिया मुसलमान के कत्ल पर जन्नत मिलती है. पाकिस्तान में ऐसे पर्चे बांटे जाते हैं जिन पर अहमदिया लोगों के नाम और पते लिखे होते हैं. 1974 में एक कानून बनाकर अहमदियों को गैर मुस्लिम घोषित कर दिया गया. 1984 में एक और कानून बनाया गया जिसके तहत अगर कोई अहमदिया खुद को मुसलमान कहता है तो उसे जेल भी हो सकती है.

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अब्दुससलाम रबाव कस्बे में दफन हैं. उनकी कब्र पर लिखा था, नोबेल जीतने वाला पहला मुसलमान. लेकिन अधिकारियों ने मुसलमान शब्द काट दिया. पाकिस्तान के अहमदी समुदाय के प्रवक्ता सलीमुद्दीन कहते हैं, "अपनी पूरी उम्र प्रोफेसर सलाम की एक ही तमन्ना रही कि पाकिस्तान में फिजिक्स का एक सेंटर स्थापित करें. लेकिन लोगों ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया. उन्हें जिंदगी में इज्जत नहीं मिली लेकिन हम खुश हैं कि आखिरकार वे ऐसा कर रहे हैं. देर आयद दुरुस्त आयद. जब हम अपने सच्चे नायकों का सम्मान करने लगेंगे, तभी पाकिस्तान सही रास्ते पर चलेगा."

वीके/एके (रॉयटर्स)