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समाज

कोरोना से दोबारा संक्रमित होने का भी खतरा

२६ अप्रैल २०२०

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि कोरोना वायरस से ठीक हुए मरीज दोबारा इस संक्रमण से बच जाएंगे इसके सबूत नहीं है. इसका मतलब है कि जिन्हें कोरोना हुआ है और वे ठीक हो चुके हैं उन्हें दोबारा भी संक्रमण होने का खतरा है.

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Italien Freiwillige des Coronavirus-Krankenwagens in Florenz
तस्वीर: picture-alliance/AA/C. Bressan

यूएन एजेंसी के मुताबिक कोविड-19 से ठीक हुए मरीजों के फिर संक्रमित नहीं होने के सबूत मौजूद नहीं है. यह कहना सही नहीं है कि जो लोग कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं और जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है वे सुरक्षित हैं. डब्ल्यूएचओ ने एक संदेश जारी कर सरकारों को "इम्यूनिटी पासपोर्ट" या "जोखिम- मुक्त प्रमाणपत्र" जारी करने के खिलाफ चेतावनी दी है. कुछ देशों ने ऐसे दस्तावेज जारी करने की बात कही थी. 

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, "कुछ सरकारों ने सलाह दी है कि कोविड-19 पैदा करने वाले वायरस एसएआरएस-सीओवी-2 की एंडीबॉडी का मिलना इम्यूनिटी पासपोर्ट या जोखिम-मुक्त प्रमाणपत्र का आधार बन सकता है, जिससे यह लोग यात्रा कर पाएंगे और काम पर लौट पाएंगे. लेकिन हम कहना चाहेंगे कि मौजूदा समय में ऐसा कोई सबूत नहीं है." इंसान में कोविड-19 के एंटीबॉडी का पता लगाने वाले परीक्षणों की सटीकता और विश्वसनीयता को अभी साबित करना होगा. 

संगठन का कहना है कि "इम्यूनिटी पासपोर्ट" या "जोखिम- मुक्त प्रमाणपत्र " देने से वास्तव में वर्तमान संक्रमण का खतरा और बढ़ेगा. ठीक हो चुके लोग कोरोना वायरस के खिलाफ मानक एहतियात बरतने में सलाह की अनदेखी कर सकते हैं.

पिछले हफ्ते चिली ने कहा था कि वह बीमारी से ठीक हो चुके लोगों को हेल्थ पासपोर्ट देना शुरू करेगा. एक बार जांच में यह साबित हो जाता है कि उनके शरीर में वायरस की प्रतिरोधक एंडीबॉडी विकसित हो चुकी हैं तो वे काम पर लौट सकेंगे. पिछले साल चीन के वुहान से फैला कोरोना वायरस अब तक 28 लाख लोगों को संक्रमित कर चुका है और दो लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

डब्ल्यूएचओ वायरस पर एंटीबॉडी की प्रतिक्रिया के सबूतों की समीक्षा कर रहा है. कई अध्ययनों में यह बात कही गई है कि संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में वायरस के प्रति एंटीबॉडी विकसित हो गई हैं. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि उनमें से कुछ लोगों के खून में निष्क्रिय करने वाली एंटीबॉडी का स्तर बहुत कम है. इसका मतलब है कि कोविड-19 से ठीक होने के लिए कोशिका प्रतिरक्षा भी महत्वपूर्ण हो सकती है.

एए/एनआर (रॉयटर्स)

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