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क्या तितलियां और चीटियां खत्म होने वाली हैं?

अंकिता मुखोपाध्याय
२४ अप्रैल २०२०

जमीन पर रहने वाले कीड़ों की आबादी में बड़ी गिरावट देखी गई है जबकि ताजे पानी में रहने वाले कीटों की आबादी बढ़ी है. वैज्ञानिक मानते हैं कि नदियों और झीलों की सफाई से वहां कीटों को फलने फूलने में मदद मिली है.

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Schmetterlinge auf Blumenwiese
तस्वीर: Imago Images/Becker&Bredel

दो जर्मन यूनिवर्सिटियों की तरफ से कराए गए अध्ययन में कीटों को लेकर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. इसके मुताबिक पिछले 30 साल में लगभग 24 प्रतिशत कीट खत्म हो गए हैं. इसे दुनिया भर में कीड़ों के बारे में किया गया सबसे बड़ा अध्ययन बताया जा रहा है जिसमें 1676 जगहों पर जाकर जानकारी जुटाई गई है. अध्ययन में खास तौर से जमीन पर रहने वाले कीटों की आबादी में आई कमी का जिक्र किया गया है.

जमीन पर रहने वाले टिड्डे, चीटियों और तितलियों की आबादी में हर साल एक प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. वैज्ञानिक रोएल फआन क्लिंक के मुताबिक इससे संकेत मिलता है कि इन कीटों की संख्या 75 साल में 50 प्रतिशत कम हो गई है.

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जमीन पर रहने वाले कीटों की संख्या में कमी की वजह तेजी से बढ़ते शहरीकरण को बताया गया है जिसके कारण कीटों के प्राकृतिक बसेरे उजड़ रहे हैं.

जर्मनी और अमेरिका में कीटों की आबादी में रिकॉर्ड गिरावट देखी गई है. अमेरिका के उत्तरी मध्य इलाके में कीटों की आबादी में हर साल चार प्रतिशत की कमी देखी जा रही है. मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में तितलियों के विशेषज्ञ निक हैडड ने समाचार एजेंसी एपी को बताया, "धरती पर रहने वाले कीटों की आबादी हर जगह घट रही है. लेकिन जितनी रफ्तार से गिरावट आ रही है, वह इकॉलोजी तंत्र और इंसानों के लिए विनाशकारी होगी. कीट पतंगे परागण करते हैं, वे नकुसान पहुंचाने वाले परजीवियों के दुश्मन हैं, चीजों को विघटित करते हैं और वे पृथ्वी के ईकोसिस्टम को चलाने के लिए बहुत जरूरी हैं."

उम्मीद बरकरार है

वैज्ञानिक कहते हैं कि कीटों के लिए उम्मीद अभी खत्म नहीं हुई है. उनके मुताबिक ताजे पानी में रहने वाले कीटों की संख्या में हर साल एक प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसका मतलब है कि 30 साल में उनकी आबादी लगभग 38 प्रतिशत बढ़ी है. उत्तरी यूरोप, पश्चिमी अमेरिका और रूस में इनकी संख्या में सबसे ज्यादा वृद्धि देखी गई है. इसका श्रेय वैज्ञानिक प्रदूषित नदियों और झीलों को साफ करने की कोशिशों को देते हैं.

जर्मनी की लाइपजिष यूनिवर्सिटी में जैवविविधता शोध केंद्र के वैज्ञानिक डॉ रोएल फान क्लिंक कहते हैं, "कीड़ों की संख्या पानी में पड़े लकड़ी के टुकड़ों की तरह हैं. वे ऊपर आना चाहते हैं लेकिन हम उन्हें लगातार नीचे की तरफ धकेल रहे हैं. लेकिन हम दबाव घटा सकते हैं जिससे वे ऊपर आ सकें. ताजे पानी में रहने वाले कीटों ने हमें दिखा दिया है कि यह संभव है."

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