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समाजभारत

विवाद बढ़ते ही तृणमूल ने बनाई महुआ से दूरी

प्रभाकर मणि तिवारी
७ जुलाई २०२२

नूपुर शर्मा, मोहम्मद जुबैर और उदयपुर व अमरावती की घटनाओं के बीच मां काली पर अपनी एक टिप्पणी से तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा अपने राजनीतिक करियर में शायद पहली बार चौतरफा घिर गईं हैं.

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TMC MP Mahua Mitra
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रातस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW

तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की छवि संसद में एक प्रखर वक्ता के तौर पर रही है. लेकिन मां काली पर उनके बयान को लेकर सियासत तेज हो गई है. बीजेपी ने मौके को भुनाते हुए उनके बयान को लपक लिया है और उनके खिलाफ भोपाल समेत कई जगहों पर एफआईआर दर्ज की गई है.

पश्चिम बंगाल में भी बीजेपी उनकी गिरफ्तारी की मांग में आंदोलन कर रही है. बंगाल में इस मुद्दे पर सियासत तेजी से गरमा रही है. इस बीच, बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहली बार इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हम काम के दौरान गलतियां कर सकते हैं. लेकिन उनको सुधारा जा सकता है.

महुआ का बयान

महुआ मोइत्रा ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में एक विवादास्पद फिल्म काली के पोस्टर, जिसमें देवी को सिगरेट पीते दिखाया गया है, पर एक सवाल के जवाब में कहा था कि यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपने भगवान को कैसे देखते हैं. अगर आप भूटान और सिक्किम जाएं तो वहां पूजा में भगवान को व्हिस्की चढ़ाई जाती है. वहीं, आप उत्तर प्रदेश में किसी को प्रसाद में व्हिस्की दे दो तो उसकी भावना आहत हो सकती है. मेरे लिए देवी काली एक मांस खाने वाली और शराब पीने वाली देवी के रूप में है. देवी काली के कई रूप हैं.

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विवादास्पद फिल्म काली के पोस्टर में हिन्दू देवी को सिगरेट पीते दिखाया गया हैतस्वीर: Satyajit Shaw/DW

लेकिन इस बयान से उनकी ही पार्टी ने किनारा कर लिया है. तृणमूल कांग्रेस ने फौरन अपने एक ट्वीट में कहा कि यह उनके खुद के विचार हैं और हम इसका समर्थन नहीं करते. इसके बाद महुआ ने तृणमूल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को अनफॉलो कर दिया. लेकिन ममता को फॉलो कर रही हैं.

बीजेपी ने मोइत्रा के इस बयान को लेकर उन पर हमले तेज करते हुए सवाल किया कि क्या यह हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने का पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी का आधिकारिक रुख है. पार्टी ने उनके अलावा ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस पर हमले शुरू कर दिए थे.

धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में महुआ के खिलाफ देश के विभिन्न शहरों में एफआईआर दर्ज कराई गई है. लेकिन चौतरफा विवादों में घिरी महुआ अपने बयान पर अडिग हैं. उन्होंने कहा है कि वह किसी से नहीं डरतीं. उन्होंने यहां तक कह दिया कि वह ऐसे भारत में नहीं रहना चाहतीं जहां बोलने की आजादी नहीं है. महुआ ने अपने एक अन्य ट्वीट में था कि वे न तो बीजेपी के गुंडों से डरती हैं और न ही पुलिस से.

महुआ ने कहा है, "मैं बीजेपी को चुनौती देती हूं कि मुझे गलत साबित करे. उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद पर नूपुर शर्मा की टिप्पणी पर विवाद से ध्यान हटाने के लिए बीजेपी का यह एक गेम प्लान था. महुआ ने कहा कि अंतर यह था कि नूपुर शर्मा ने पैगंबर को बदनाम किया. मैंने देवी काली को मनाया.

मौके को भुनाती बीजेपी

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार कहते हैं, "सनातन हिंदू धर्म के नियमों के अनुसार देवी काली की पूजा एक ऐसी देवी के रूप में कभी नहीं की जाती जो मदिरापान करती हों और मांस भक्षण करती हों. हिंदू सदियों से देवी काली को बुराई के खिलाफ शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजते रहे हैं. उनकी (मोइत्रा की) टिप्पणियों से धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. हम देवी काली पर की गई टिप्पणी के लिए उन्हें गिरफ्तार करने की मांग करते हैं.”

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बीजेपी गिरफ्तारी की मांग को लेकर सड़कों पर उतरीतस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW

विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी कहते हैं, "तृणमूल कांग्रेस सरकार और राज्य पुलिस बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ कार्रवाई के लिए बेहद सक्रिय है. लेकिन उन्होंने महुआ मोइत्रा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस नेताओं के लिए अलग-अलग नियम नहीं हो सकते. हम 10 दिन इंतजार करेंगे और फिर अदालत का रुख करेंगे.”

इस बीच, बीजेपी के हमलों पर पलटवार करते हुए ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को कहा, "नकारात्मकता हमारे दिमाग में घुस गई है. लोगों को पॉजिटिव सोचना चाहिए. हम काम करते समय गलतियां करते हैं लेकिन उन्हें सुधारा जा सकता है. कुछ लोग अच्छे काम नहीं देखते और अचानक चिल्लाने लगते हैं...नकारात्मकता हमारे मस्तिष्क को प्रभावित करती है तो आइए पॉजिटिव सोचें.”

राजनीतिक पर्यवेक्षक सुरंजन दास कहते हैं, "बीजेपी महुआ की टिप्पणी को मुद्दा बनाने का प्रयास कर रही है. शायद इसी वजह से तृणमूल ने पहले ही इस विवाद से किनारा कर लिया. ममता बनर्जी का भरोसेमंद होने के बावजूद महुआ तृणमूल की आंतरिक राजनीति की भी शिकार हैं. ऐसे में उनको भीतरी और बाहरी चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है.”

उनका कहना है कि बीजेपी को नूपुर शर्माऔर मोहम्मद जुबेर जैसे मामलों से ध्यान भटकाने के लिए किसी मुद्दे की तलाश थी और महुआ ने अनायास ही उसे वह मुद्दा दे दिया.