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समाज

क्यों खास थी मामूली गांव की सुदीक्षा भाटी

आमिर अंसारी
१२ अगस्त २०२०

सुदीक्षा भाटी की मौत भले ही जैसे भी हुई हो लेकिन वह अपने गांव और वहां कि लड़कियों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं थी. सुदीक्षा को अभी लंबा सफर तय करना था लेकिन "छेड़खानी" ने उसको मंजिल तक पहुंचने नहीं दिया.

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सुदीक्षा भाटीतस्वीर: IANS

सुदीक्षा भाटी, 19 साल की लड़की जिसने गांव से लेकर अमेरिका के कॉलेज तक का सफर किया, वह लड़कियों के हक की बात करती थी, वह उनकी उच्च शिक्षा की बात करती थी और अपने गांव के अन्य बच्चों के लिए प्रेरणास्रोत थी. लेकिन एक दिन सुदीक्षा भाटी की मौत सड़क हादसे में हो जाती है. सुदीक्षा भाटी उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर के दादरी की रहने वाली थी. सोमवार 10 अगस्त को अपने चाचा के साथ दादरी से बुलंदशहर में नानी के घर जा रही थी. कुछ रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि बाइक पर सुदीक्षा के साथ उसका भाई भी सवार था.

परिवार का आरोप है कि बुलेट सवार दो युवकों ने सुदीक्षा को देखकर स्टंटबाजी शुरू कर दी और चाचा की बाइक को ओवर टेक कर लिया. सुदीक्षा के चाचा का कहना है कि युवकों ने सुदीक्षा के साथ छेड़खानी की और ओवर टेक करने के बाद अचानक ब्रेक लगा दिया, उन्होंने मीडिया को बताया कि उनकी बाइक बुलेट से जा टकराई और सुदीक्षा बाइक से गिर गई और उनकी सिर पर चोट लगी. हादसे के बाद सुदीक्षा को अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

परिवार के आरोपों के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेष जांच दल का गठन किया है. हालांकि उत्तर प्रदेश पुलिस का कहना है कि चश्मदीद और सुदीक्षा के चचेरे भाई के बयान के मुताबिक 10 अगस्त को सुबह 8.50 बजे हादसा हुआ और सामने से आ रहे दूध के टैंकर के कारण बुलेट सवार ने ब्रेक मारा और जिस मोटरसाइकिल पर सुदीक्षा भाटी सवार थी वह बुलेट से टकरा गई और सुदीक्षा के सिर पर गंभीर चोट लगी जिसके कारण उसकी मौत हो गई. पुलिस का कहना है कि चचेरे भाई ने जो शुरुआती बयान दिया उसमें छेड़छाड़ की घटना का जिक्र नहीं था.


पुलिस का कहना है कि लड़की के गांव में मामले को नया मोड़ दिया गया क्योंकि सुदीक्षा बड़ी स्कॉलरशिप पर अमेरिका में पढ़ने गई थी. बुलंदशहर पुलिस का दावा है कि अब तक की जांच में छेड़छाड़ की घटना की पुष्टि नहीं हुई है. हालांकि परिवार का कहना है कि पुलिस मामले में लीपापोती कर रही है. बुलंदशहर पुलिस ने सुदीक्षा की मौत की जांच के मामले में इलाके की दो दर्जन बुलेट बाइक थाने में मंगवा ली है.

एक ओर जहां पुलिस कथित छेड़खानी की घटना से इनकार कर रही है तो वहीं सुदीक्षा जिस बाइक पर सवार थी उसको चलाने को लेकर भी पुलिस कह रही है कि बाइक नाबालिग भाई चला रहा था और हादसे के वक्त चाचा के मोबाइल की लोकेशन कहीं और थी.

क्यों खास थी सुदीक्षा?

19 साल की सुदीक्षा एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखती थी जिसकी माली हालत उतनी अच्छी नहीं थी. सुदीक्षा ने अपने दम पर स्कॉलरशिप हासिल की थी और अमेरिका के बॉब्सन कॉलेज में आंट्रप्रनर्शिप की पढ़ाई कर रही थी. अमेरिका से वह 13 मार्च को अपने दादरी स्थित गांव डेरी स्कनर आई थी. उसके पिता के मुताबिक वह अमेरिका लौटने से पहले सभी रिश्तेदारों से मिलना चाहती थी और इसलिए वह बुलंदशहर नानी के घर जा रही थी. सुदीक्षा ने 12वीं में 98 फीसदी अंक हासिल किए थे जिसके बाद उसे 3.8 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप मिली थी.

सुदीक्षा लड़कियों की शिक्षा और उनके अधिकारों की पैरोकार थी, उनकी मौत के बाद सोशल मीडिया पर कई वीडियो भी शेयर किए जा रहे हैं. सुदीक्षा अपने गांव से विदेश जाकर पढ़ने वाली पहली शख्स थी, विदेश से भी वह अपने भाई बहनों का ख्याल रखती और उनकी पढ़ाई में उनका मार्ग दर्शन करती थी. गांव की लड़कियों के लिए वह किसी प्रेरणा से कम नहीं थी. सुदीक्षा लॉकडाउन के दौरान गांव के 30 बच्चों को ऑनलाइन पढ़ा रही थी.

विद्याज्ञान स्कूल में अपने ग्रैजुएशन डे के दौरान सुदीक्षा ने प्रदेश में छेड़खानी और खास कर लड़कियों के स्कूल छूट जाने के विषय पर कहा था, "मैं उत्तर प्रदेश के उस भाग से आती हूं जहां कि अधिकतर लड़कियां प्राथमिक शिक्षा के फौरन बाद स्कूल छोड़ देती हैं, क्योंकि छेड़छाड़ के मामले व्याप्त हैं. अधिकतर अभिभावकों को लगता है कि अपनी बेटियों को बाहर पढ़ने के लिए भेजना सुरक्षित नहीं है. इन सबको देखते हुए मुझे अपने माता-पिता को समझाना पड़ा कि मुझे पढ़ाई जारी रखने दें बल्कि घर से दूर को-एजुकेशनल कैंपस में रहने दें. मैं अपने पिता को धन्यवाद कहना चाहती हूं जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया और मुझे सपने पूरा करने दिए."

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