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समाजविश्व

महिला सशक्तिकरणः सूडान में महिला खतना पर रोक

१३ जुलाई २०२०

सूडान सरकार ने महिला अधिकार की तरफ बड़ा कदम उठाते हुए महिला खतना पर रोक लगा दी है. महिला अधिकार समूह लंबे समय से इस पर प्रतिबंध की मांग कर रहे थे.

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फाइल. तस्वीर: IWMF/Stephanie Sinclair

सूडान में महिला खतना पर प्रतिबंध महिलाओं के लिए बहुत बड़ी राहत लेकर आया है. महिला खतना कई देशों में प्रतिबंधित है लेकिन अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया के करीब 30 देशों में यह प्रथा प्रचलित है. सूडान के कानून मंत्रालय ने इस फैसले की घोषणा की है. सूडान की सरकार ने अपराध कानून में बदलाव करते हुए देश में लंबे समय से चली आ रही महिला खतना प्रथा को अपराध की श्रेणी में डाल दिया है. पिछले साल तानाशाह उमर अल-बशीर को सत्ता से बाहर करने के बाद बनी सरकार ने इस मसौदे को मंजूरी दे दी है.

2014 में यूएन समर्थित सर्वे में पाया गया कि सूडान की 87 फीसदी महिलाएं और बच्चियां, जिनकी उम्र 15 से लेकर 49 साल के बीच है उन्हें इस प्रथा का शिकार होना पड़ा था. संयुक्त राष्ट्र बाल कल्याण संस्था यूनीसेफ के अनुसार फीमेल जेनिटल म्यूटीलेशन (एफएमजी) या खतना से प्रभावित आधे से ज्यादा महिलाएं अफ्रीकी देशों, इंडोनेशिया, मिस्र में रहती हैं.

जेनिटल म्यूटीलेशन उस ऑपरेशन को कहा जाता है जिसके जरिए बिना किसी चिकित्सीय जरूरत के लड़कियों और महिलाओं के जननांग के क्लाइटोरिस कहे जाने वाले हिस्से को या तो पूरी तरह या आंशिक रूप से काट दिया जाता है.

नए कानून के मुताबिक अब अगर कोई एफएमजी करने का दोषी पाया जाता है तो उसे तीन साल तक की जेल हो सकती है.

कानून मंत्रालय ने एक बयान में कहा एफएमजी ''महिला की गरिमा पर प्रहार करता है.'' सूडान के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक ने इस फैसले की सराहना करते हुए कहा, ''यह न्याय प्रणाली में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.'' इस कानून के बन जाने के बाद दशकों से महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और प्रतिनिधियों की एफएमजी को प्रतिबंधित करने की मांग पूरी हो गई. साथ ही सरकार के लिए इसे एक तरह की सफलता के तौर पर देखा जा रहा है, जो देश में लोकतांत्रिक सुधारों को आगे बढ़ाने में लगी हुई है.

हमदोक के शासन में ही चार महिलाओं को सरकार में मंत्रालयों में जगह मिली. इसी के साथ एक और कानून को भी मंजूरी मिली है जिसके तहत महिलायें अपने बच्चों के साथ विदेश जा सकेंगी बिना अपने पति की इजाजत के. कानून मंत्रालय ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए गैर-मुसलमानों को शराब पीने की छूट दे दी गई है. दशकों तक इस पर प्रतिबंध था, हालांकि इस्लाम धर्म में शराब का सेवन हराम है. सूडान एक मुस्लिम बहुसंख्यक देश है और यहां ईसाई अल्पसंख्यक हैं. इसी के साथ इस्लाम धर्म त्यागना अपराध नहीं माना जाएगा. पहले ऐसा करने पर मौत की सजा तक दी जाती थी. साल 2014 में एक महिला को मौत सजा दी गई क्योंकि उसने इस्लाम छोड़कर ईसाई धर्म अपना लिया था, हालांकि बाद में उसकी सजा रद्द कर दी गई और वह किसी तरह से अमेरिका भागने में कामयाब हुई.

तीन दशकों तक सत्ता पर काबिज रहने वाले तानाशाह उमर अल-बशीर को पिछले साल विरोध प्रदर्शनों के बाद सत्ता से बेदखल कर दिया गया था. नई सरकार देश में लाकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित करने की कोशिश में जुटी हुई है.

एए/सीके (एफपी, रॉयटर्स)

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