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आईआईटी के छात्रों को भारी-भरकम पैकेज

प्रभाकर मणि तिवारी
१५ दिसम्बर २०२१

देश के तमाम आईआईटी संस्थानों में छात्रों के प्लेसमेंट में अबकी मिलने वाले करोड़ों के पैकेज से तो यही संकेत निकाला जा रहा है कोरोना के कारण आई मंदी खत्म हो गई है.

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तस्वीर: IANS

भारतीय तकनीकी संस्थानों (आईआईटी) में मिलने वाले पैकेज और नौकरियों ने पिछले तमाम रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं. तमाम छात्रों को एक से 2.40 करोड़ तक के पैकेज मिले हैं. आईआईटी में दिसंबर के पहले सप्ताह से प्लेसमेंट की शुरुआत होती है. लेकिन पहले दो-तीन दिनो में ही छात्रों को ऐसे भारी-भरकम पैकेज वाले ऑफर मिले हैं जिनसे खुद संस्थान और छात्र भी हैरत में हैं.

कोरोना महामारी के बीच देश के करोड़ों युवाओं की नौकरियां चली गई थीं लेकिन अब हालात सुधरने लगे हैं. इस साल उत्तर प्रदेश के दो बड़े तकनीकी संस्थान आईआईटी-बीएचयू और आईआईटी कानपुर ने प्लेसमेंट और पैकेज के मामले में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) को भी पीछे छोड़ दिया है.

रिकॉर्ड प्लेसमेंट

आईआईटी-बीएचयू में छात्रों को अधिकतम 2.16 करोड़ और  कानपुर में दो करोड़ रुपए सालाना वेतन मिला है. यह ऑफर ऊबर ने दिया है. देश के शीर्ष प्रबंधन संस्थान आईआईएम अहमदाबाद में बीते सीजन में अधिकतम 1.32 करोड़ रुपए का ही पैकेज मिला था. औसत पैकेज में भी आईआईएम इस बार कई आईआईटी से पीछे रह गए हैं.

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आईआईटी खड़गपुर में तो इस साल प्लेसमेंट के सारे रिकॉर्ड टूट गए. इस साल जितने स्टूडेंट्स को प्लेसमेंट मिला, उतना इस संस्थान के इतिहास में कभी नहीं मिला था. इस साल संस्थान में 20 से अधिक स्टूडेंट्स को सालाना एक करोड़ रुपये से भी अधिक का पैकेज मिला. एक को तो सालाना करीब ढ़ाई करोड़ रुपये के पैकेज का ऑफर मिला है.

आईआईटी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस साल संस्थान के इतिहास में सबसे ज्यादा प्लेसमेंट ऑफर मिले हैं. इनमें अधिकतम पैकेज 2.40 करोड़ रुपये प्रति वर्ष का है. 35 छात्रों को इंटरनेशल ऑफर मिले हैं. बयान में कहा गया है कि दो प्रमुख कंपनियों ने 2-2.4 करोड़ रुपये प्रति वर्ष के पैकेज के साथ दो बड़े प्रस्ताव दिए. संस्थान ने कहा है कि अब तक उसके छात्रों को एक करोड़ रुपये के पैकेज वाले 20 से ज्यादा ऑफर मिले हैं.

आईआईटी रुड़की के कम से कम 11 छात्रों को एक-एक करोड़ सालाना से ज्यादा के आफर मिले हैं. इसी तरह आईआईटी दिल्ली में प्लेसमेंट सीजन के पहले दिन ही साठ छात्रों को इतने वेतन का ही पैकेज मिला है. आईआईटी गुवाहाटी के छात्रों को भी 1.20 करोड़ से 2.05 करोड़ तक के पैकेज मिले हैं. इनमें से 1.20 करोड़ का पैकेज भारत में नैकरी के लिए मिला है.

आईआईटी मद्रास समेत तमाम शीर्ष भारतीय तकनीकी संस्थानों को ऐसे ही पैकेज मिले हैं. इसबार तमाम घरेलू और विदेशी कंपनियों ने इन संस्थानों के छात्रों के लिए अपने खजाने का मुंह कोल दिया है.

आखिर कैसे बदली तस्वीर

बीते साल इन तमाम शीर्ष संस्थानों में प्लेसमेंट उतना बेहतर नहीं रहा था. कई कंपनियों ने तो कोरोना की वजह से अपने ऑफर भी वापस ले लिए थे. लेकिन इस बार ऐसी कंपनियां पहले से बेहतर ऑफर के साथ पहुंच रही हैं. क्या यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के रफ्तार पकड़ने का संकेत है?

अमेरिकी सॉफ्टवेयर फर्म काग्निजेंट के भारत प्रमुख रहे रामकुमार राममूर्ति कहते हैं, "कोरोना महामारी ने बड़ी कंपनियों में डिजिटल बदलाव की प्रक्रिया तेज हुई है. इसी वजह से नई तकनीक वाले छात्रों के लिए रोजगार के मौके तेजी से बढ़े हैं. आईटी कंपनियों की विकास दर भी बढ़ रही है. ऐसे में नई प्रतिभाओं को अपने पाले में करने की होड़ की वजह से कंपनियां आकर्षक ऑफरों के साथ मैदान में उतरी हैं.” वह कहते हैं कि इस साल देश की दस शीर्ष कंपनियों में दो लाख से ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी मिले तो कोई हैरत नहीं होगी.

 

शीर्ष सॉफ्टवेयर कंपनियां भी इस साल पहले के मुकाबले कई गुना ज्यादा नौकरियां दे रही हैं. ऐसी ही एक कंपनी विप्रो को प्रमुख मानव संसाधन अधिकारी सौरभ कहते हैं, "कंपनी इस साल करीब 30 हजार नई भर्तियां करेगी.” टेलेंट अडवायजरी फर्म डायमंडपिक के सीईओ सतीश जयरामन कहते हैं, "ज्यादातर कंपनियां नई प्रतिभाओं की नियुक्ति पर जोर दे रही हैं. उनको तकनीक की नई विधा में प्रशिक्षित कर संबंधित परियोजना में काम पर लगाना आसान है.”

एक सप्लाई चेन कंपनी टीमलीज सर्विसेज की सह-संस्थापक और एक्जिक्यूटिव वाइस-प्रेसीडेंट ऋतुपर्णा चक्रवर्ती कहती हैं, "महामारी की वजह से कई क्षेत्रों में रूटीन काम के लिए भी डिजिटाइजेशन का विक्लप चुना है. लेकिन इस साल आईटी के अलावा तकनीक, रोबोटिक्स और कोर इंजीनियरिंग सेक्टरों की कंपनियां अधिक से अधिक छात्रों को नौकरियां दे रही हैं ताकि मांग और आपूर्ति के अंतर को पाटा जा सके. यह अर्थव्यवस्था में सुधार का ठोस संकेत है.”

अर्थशास्त्रियों की राय

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि तकनीकी संस्थानों में होने वाले रिकॉर्ड प्लेसमेंट अर्थव्यवस्था के रफ्तार पकड़ने का संकेत हैं. कोरोना महामारी के दौरान आई मंदी में लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं और घर से काम करने का सिलसिला शुरू हुआ जो अब तक जारी है. अर्थशास्त्री प्रोफेसर जगदीश कुमार पांजा कहते हैं, "अब कंपनियों ने भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और रोबोटिक्स समेत नई-नई तकनीक को अपना लिया है. यही वजह है कि शीर्ष तकनीकी संस्थानों के छात्रों को पहले के मुकाबले लुभावने आफर मिल रहे हैं.” वह बताते हैं कि वर्क फ्रॉम होम की जगह अब कई कंपनियां कामकाज का हाइब्रिड माडल अपनाने लगी हैं. इसके तहत तीन दिन दफ्तर जाना होगा और दो दिन घर से ही काम करना होगा.

एक बड़े प्रबंधन संस्थान में प्लेसमेंट अधिकारी केके गुप्ता बताते हैं, "इस साल पहले के मुकाबले तस्वीर काफी बेहतर है. बीते साल प्लेसमेंट सीजन के दौरान नदारद रहने वाली कंपनियां भी इस साल आकर्षक ऑफर के साथ कैंपस मेंआ रही हैं. कुछ कालेजों में प्लेसमेंट जनवरी में शुरू होगा.” गुप्ता बताते हैं कि आईआईटी के कई छात्रों को गुरुग्राम समेत भारतीय शहरों में सालाना 1.20 करोड़ तक के आफर मिले हैं. बीते साल तक इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी.

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