क्या है सुनामी लहरों के पीछे का विज्ञान?
२८ अप्रैल २०२४आमतौर पर समुद्र की गहराई में टेक्टॉनिक प्लेटों में हलचल होने की वजह से जो भूकंप पैदा होता है, उससे सुनामी आती है. पानी के भीतर अचानक हुई इन हरकतों से बहुत सारा पानी एक साथ तरंग के रूप में समुद्र के एक ओर से दूसरी ओर जाता है. ये लहरें बड़ी भले ना हों, लेकिन बेहद तेज गति से आगे बढ़ती हैं. तकरीबन 800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से.
ये तरंगें सैकड़ों किलोमीटर लंबी हो सकती हैं. यह भी मुमकिन है कि एक सुनामी लहर समुद्र के एक से दूसरे छोर तक पहुंचने में पूरा दिन लगा दे. किनारे पर पहुंचने की यह गति इस पर निर्भर करती है कि भूकंप समुद्र के नीचे कहां पर आया था.
सुनामी की वजह बनने वाली तरंगें इंसानी आंखों से दिखाई नहीं देतीं, जब तक वे समुद्र तट के नजदीक ना हों. धरती पर वे कई तरंगों की एक रेल सी बनाती हैं और पानी की एक बेहद ऊंची दीवार बनाती हुई आ सकती हैं. इसकी चपेट में इंसान, इमारतें, कारें और पेड़ सब आ सकते हैं.
वर्जीनिया टेक के भूविज्ञान विभाग में प्रोफेसर रॉबर्ट वाइस कहते हैं कि ये तरंगें तट तक लंबे अंतराल में पहुंच सकती हैं, जिसका अनुमान लगाना मुश्किल है. "इनके आने का पैटर्न काफी जटिल हो सकता है, क्योंकि तरंगें ही जटिल होती हैं. आप एक तालाब में दो पत्थर फेंकें और तरंगों का पैटर्न देखें. उनकी संख्या या उनके बीच दूरी का कुछ कहा नहीं जा सकता."
रिक्टर वह स्केल है, जिस पर सीज्मोग्राफ की मदद से भूकंपों की तीव्रता का वर्गीकरण किया जाता है. रिक्टर स्केल पर 1 तीव्रता वाले भूकंप आम हैं और बिना असर डाले चले जाते हैं, जबकि 10 की तीव्रता वाले भूकंप दुर्लभ हैं, लेकिन जान-माल का भयंकर नुकसान पहुंचा सकते हैं.
कहां आती है सुनामी
सुनामी, पैसिफिक सागर में "रिंग ऑफ फायर" के इर्द-गिर्द काफी सामान्य तौर पर आती हैं. एक टेक्टॉनिक प्लेट, जहां ज्वालामुखियों और भूकंपों की लड़ी लगी रहती है. अमेरिका के नोआ (एनओएए) सुनामी प्रोग्राम के मुताबिक, पिछली सदी में जितनी सुनामी आईं, उनमें से 80 फीसदी वहीं पैदा हुईं.
ऐतिहासिक तौर पर सबसे विध्वंसकारी सुनामी 2004 में सुमात्रा और इंडोनेशिया में आई, जब9.1 तीव्रता वाले भूकंपने समुद्र तट को हिलाकर रख दिया. सुनामी लहरों की ऊंचाई 50 मीटर तक थी, जिनसे 5 किलोमीटर दूर तक तबाही हुई. इस आपदा में करीब 23,000 लोग मारे गए थे.
फिर साल 2011 में जापान में आया भूकंप और सुनामी भी भारी तबाही के लिए याद रखे जाते हैं. उस वक्त भी 9.0 तीव्रता वाले भूकंप से पैदा हुई सुनामी लहरों ने करीब 20,000 लोगों की जान ले ली थी. अटलांटिक महासागर, कैरीबियन सागर, भूमध्यसागर और हिंद महासागर में भी सुनामी आई हैं.
क्या सुनामी का अनुमान लगा सकते हैं
सुनामी का एकदम सटीक ढंग से अनुमान लगा पाना मुमकिन नहीं है. वाइस कहते हैं, "इसमें दिक्कत यह है कि भूकंप, जो सुनामी का सामान्य कारण हैं, उनका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. ना ही यह कहना संभव है कि ऐसा कब, कहां, कितनी गहराई में और किस तीव्रता से होगा." हालांकि, वह कहते हैं कि भूकंप और तट से सुनामी लहरों के टकराने के बीच अंतर कम होता है.
"इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए तैयारी जरूरी है, लेकिन इस तरह की चीजों के लिए तैयार होना काफी मुश्किल है, जिसे लोग अपने पूरे जीवन में शायद एक-दो बार ही अनुभव करेंगे. ताकवर भूकंप और उसके बाद आने वाली सुनामी भले ही बार-बार आती हों, लेकिन किसी एक इलाके में उनका दो बार आना और उतनी ही तबाही फैलाना बेहद दुर्लभ है. यह समझना अहम है कि चेतावनी के साथ-साथ तैयारी भी जरूरी है. दोनों में से किसी एक से काम नहीं चलेगा."
ग्लोबल सुनामी वॉर्निंग सेंटरों में अपने सिस्टम के जरिए महासागरों का स्कैन किया जाता है, ताकि पता लगाया जा सके कि पानी के भीतर भूकंप कब आ सकते हैं. फिर स्थानीय प्रशासन चेतावनी जारी करके खतरे के प्रति आगाह करते हैं. लेकिन संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि ये सिस्टम सर्वव्यापी नहीं हैं. दुनिया के ज्यादातर देशों में इस तरह के सिस्टम भी नहीं हैं और ना ही उनसे जुड़ने के लिए कानूनी जरूरतें पूरी की गई हैं. सुनामी का असर पूरी दुनिया में एक सा नहीं है. गरीब देशों पर मार अक्सर ज्यादा ही पड़ती है.