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विज्ञानब्रिटेन

12 साल की बच्ची ने खोजा दैत्याकार जबड़ा

१८ अप्रैल २०२४

ब्रिटेन के एक पिता-पुत्री को सोमरसेट के समुद्र तट पर एक दैत्याकार समुद्री जीव का जबड़ा मिला है जो 20.2 करोड़ साल पुराना है.

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Die Rekonstruktion eines Künstlers zeigt den frühesten bekannten Ichthyosaurier
तस्वीर: Esther van Hulsen/REUTERS

इंग्लैंड के सोमरसेट पर एक पिता-पुत्री को मिला अवशेष दुनिया के सबसे विशाल जानवरों में से एक का जबड़ा है. यह अवशेष 20 करोड़ साल से भी ज्यादा पुराना है. वैज्ञानिकों ने बुधवार को कहा कि यह इचिथ्योसॉर का जबड़ा है, जो धरती पर मौजूद रहे सबसे बड़े जानवरों में से एक था.

वैज्ञानिकों ने इचिथ्योसॉर के अब तक मिले अवशेषों के आकार से इसकी तुलना के बाद कहा कि यह दैत्याकार सरीसृप ट्रायसिक युग में समुद्र में विचरता था. इसका आकार 72 से 85 फुट के बीच होता था. आज जो सबसे बड़ी व्हेल मछलियां मौजूद हैं वे करीब इसी आकार की हैं. ब्लू व्हेल को दुनिया का सबसे बड़ा प्राणी माना जाता है और वह 100 फुट तक लंबी हो सकती है.

जब पृथ्वी पर डायनसोर रहते थे तब समुद्र में इन्हीं विशालकाय सरीसृपों का राज हुआ करता था. ये करीब 16 करोड़ साल तक मौजूद रहे. लगभग नौ करोड़ साल पहले ये विलुप्त हो गए. इनका आकार अलग-अलग हो सकता था. ये मछलियों और अन्य समुद्री जीवों को खाते थे.

पिता-पुत्री की खोज

2020 में रूबी रेनल्ड्स और उनके पिता जस्टिन रेनल्ड्स को सोमरसेट के ब्लू एंकर बीच पर यह अवशेष मिला था जो दूसरा ऐसा जबड़ा है. इससे पहले सोमरसेट के ही लिलस्टॉक बीच पर 2016 में ऐसा ही एक जबड़ा मिला था.

मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी में प्राणीविज्ञानी डीन लोमैक्स ने इस अवशेष के अध्ययन के बाद एक शोध पत्र प्रकाशित किया है. पीएलओएस वन (PLOS ONE) पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में लोमैक्स लिखते हैं, "यह सोचना ही रोमांचकारी है कि ट्रायसिक युग में जब जमीन पर डायनासोर रहते थे, तब इस इलाके के समुद्र में ब्लू व्हेल के आकार के दैत्याकार इचिथ्योसॉर तैर रहे थे.”

2020 जब रूबी रेनल्ड्स और उनके पिता को यह अवशेष मिला था, तब वह 11 साल की थीं. वह समुद्र तट पर अवशेषों की खोज में ही घूम रही थीं, जब उनकी नजर एक अवशेष पर पड़ी. उन्होंने आसपास के इलाके को और गहनता से खोजना शुरू किया और एक और ज्यादा बड़ा टुकड़ा मिला.

फिर उन्होंने लोमैक्स से संपर्क किया जो दुनिया में इचिथ्योसॉर के जानेमाने विशेषज्ञ हैं. तब विशेषज्ञों की मदद से आधी जमीन में दबी इस हड्डी को निकाला गया.

रोमांचकारी अनुभव

पहली बार इचिथ्योसॉर की खोज भी एक 12 साल की बच्ची ने ही की थी. 19वीं सदी की ब्रिटिश अवशेष खोजी मैरी ऐनिंग ने पहली बार इचिथ्योसॉर के अवशेष की खोज की थी. रूबी रेनल्ड्स की तुलना मैनिंग से की जा रही है. इस बारे में वह कहती हैं, "मैरी ऐनिंग एक अद्भुत प्राणीविज्ञानी थीं और उनसे तुलना होना मेरे लिए बहुत खुशी की बात है.”

रूबी के पिता जस्टिन रेनल्ड्स कहते हैं, "इन विशेषज्ञों के साथ काम करने का अनुभव बहुत मजेदार और सिखाने वाला रहा है. हम एक ऐसे शोधपत्र में शामिल होने से बहुत गर्वित हैं जिसमें एक नई प्रजाति की खोज का जिक्र है.”

वो कंकाल जिसने खोला डायनासोरों का राज

शोधपत्र के सह-लेखक फ्लोरिडा के प्राणीविज्ञानी जिमी वॉल्ड्रन कहते हैं कि ऐसी खोजें अविश्वसनीय पल होते हैं. उन्होंने कहा, "ऐसी खोजों से हमें संसार में अपनी जगह का अहसास होता है. हमारे समुद्रों में कभी इतने विशाल जीव रहते थे, उसी सूरज की धूप सेंकते थे, उसी हवा में सांस लेते थे और फिर एक दिन विलुप्त हो गए. इस जानकारी से हमें पता चलता है कि जीवन के नाजुक लेकिन लगातार चलते रहने वाले चक्र में हर प्रजाति कितनी महत्वपूर्ण है.”

इचिथ्योसॉर के और कोई अवशेष अब तक नहीं मिले हैं लेकिन वैज्ञानिकों ने अन्य प्रजातियों के अवशेषों के आधार पर उसके रूप का एक अनुमान लगाया है. जबड़े की जो हड्डी रूबी और उनके पिता को मिली वह निचले हिस्से में दांतों के ठीक पीछे की हड्डी है.

इसके बारे में वॉल्ड्रन कहते हैं, "टी-रेक्स में जबड़े की इस हड्डी का आकार एक से डेढ़ फुट का होता था. रूबी और उनके पिता ने जो हड्डी खोजी है वह सात फुट लंबी है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह जानवर कितना बड़ा था और इसका चबाना कितना शक्तिशाली होता होगा.”

वीके/एए (रॉयटर्स)