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समाजजर्मनी

जर्मनी से शरण मांगने वालों के बारे में ये बातें पता चली हैं

१३ जनवरी २०२२

सबसे ज्यादा आवेदन सीरिया से आए हैं, जो लंबे वक्त से हिंसा और गृहयुद्ध की मार झेल रहा है. कुछ देश ऐसे भी हैं, जिनसे आनेवाले आवेदन कम भी हुए हैं. वहीं तमाम लोग ऐसे भी हैं, जो जर्मनी पहुंचने के बाद शरण मांगते हैं.

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अफगानिस्तान से जर्मनी पहुंचे आप्रवासी
अफगानिस्तान से जर्मनी पहुंचे आप्रवासीतस्वीर: Ssgt. Emma James/U.S. Air/Planet Pix via ZUMA Press Wire/picture alliance

जर्मनी के आप्रवासन और शरणार्थियों के संघीय कार्यालय (BAMF) ने बताया कि साल 2021 में शरण पाने के लिए 1,90,800 ऐप्लिकेशन जमा की गईं. विभाग के मुताबिक साल 2017 के बाद से यह सबसे बड़ा आंकड़ा है. उस साल 2,22,600 लोगों ने जर्मनी से शरण मांगी थी. बुधवार को जारी किए गए आंकड़ों से यह जानकारी मिली.

2017 के बाद से जर्मनी में शरण मांगने वालों की संख्या में गिरावट आई थी. 2019 में 1,65,938 लोगों और 2020 में 1,22,000 लोगों ने शरण लेने के लिए ऐप्लिकेशन दी थी. इन आंकड़ों को जारी करते हुए जर्मनी के आंतरिक मामलों के मंत्री ने बताया कि इस संख्या की 2020 के आंकड़ों से तुलना करने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि तब कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर में यात्राओं पर तमाम किस्म की पाबंदियां लगी हुई थीं.

लंबी होती है शरण पाने की प्रक्रिया
लंबी होती है शरण पाने की प्रक्रियातस्वीर: Sascha Schuermann/Getty Images

कहां से आए सबसे ज्यादा आवेदन

2021 में 1,48,000 लोग वे विदेशी थे, जिन्होंने जर्मनी से पहली बार शरण मांगी थी. वहीं कुल ऐप्लिकेशन में 17.5 फीसदी अर्जियां उन बच्चों के लिए थीं, जिनकी उम्र एक साल से कम थी और जिन्होंने जर्मनी में जन्म लिया था. शरण मांगने वालों की सबसे ज्यादा ऐप्लिकेशन सीरिया से आईं, जहां के 70 हजार से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया. सीरिया में जारी गृह युद्ध की वजह से बीते कई वर्षों से यही सूरत देखने को मिल रही है.

अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद वहां से भी शरण मांगने वालों की तादाद बढ़ी है. 2021 में 31,000 से ज्यादा अफगान नागरिकों ने जर्मनी से शरण मांगी. अफगानिस्तान में मौजूद जर्मन संस्थानों में जो अफगान लोग काम कर रहे थे, उन्हें शरण के लिए आवेदन नहीं करना पड़ा, क्योंकि उन्हें पहले ही इसकी इजाजत दे दी गई थी. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को तालिबान से खतरा देखते हुए जर्मन प्रशासन ने उन्हें भी शरण का वादा किया था.

कहां से घट रहे हैं आवेदन

आंकड़े बताते हैं कि नॉर्थ मैसेडोनिया से आने वाले आवेदनों की संख्या बढ़ी है, जबकि जर्मनी के पड़ोसी देश कोसोवो से शरण मांगने वालों की संख्या घटी है. 2021 में 11,000 आप्रवासी ऐसे थे, जो बेलारूस और पोलैंड के रास्ते जर्मनी में दाखिल हुए, जबकि 2021 से पहले इस रूट से जर्मनी आने वाले लोगों की संख्या घट रही थी.

जर्मनी और इटली के विदेश मंत्रियों ने कहा है कि वे महामारी से निपटने, आप्रवासन और जलवायु परिवर्तन जैसे अहम यूरोपीय मुद्दों पर और ज्यादा आपसी सहयोग के साथ काम करेंगे. सोमवार को इटली की राजधानी रोम में दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान साथ काम करने की अहमियत और उभरकर आई है और हम इन मुद्दों पर सहयोग बढ़ाएंगे.

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जर्मनी पहुंचकर शरण मांगते हैं इतने लोग

करीब दो हफ्ते पहले BAMF ने कुछ और आंकड़े जारी किए थे, जिनसे पता चला था कि 2021 में ज्यादातर उन लोगों ने शरणार्थी का दर्जा पाने के लिए आवेदन किया था, जो यूरोपीय संघ की सीमाओं पर पंजीकृत नहीं थे. आंकड़ों के मुताबिक 14 साल से ऊपर के 53 फीसदी लोग पहली बार आवेदन कर रहे थे और 2021 के शुरुआती 11 महीनों में ये लोग यूरोडाक फिंगरप्रिंट डेटाबेस में दर्ज नहीं थे.

यूरोडाक की स्थापना 2003 में इस मकसद से की गई थी कि जो भी लोग यूरोपीय संघ में शरण मांगते हैं, उनके फिंगरप्रिंट का डाटा रखा जा सके. इसकी जरूरत इसलिए पड़ी थी, क्योंकि शरण मांगने वाले ज्यादातर लोग बिना किसी कागजी दस्तावेज के साथ आते हैं. BAMF डाटा के मुताबिक कई शरणार्थियों ने जर्मनी में पहली बार दाखिल होते समय शरण नहीं मांगी, बल्कि बाद में इसके लिए आवेदन किया.

वीएस/ओएसजे (डीपीए, रॉयटर्स)

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