पोलैंड से लगती बेलारूस की सीमा पर हजारों प्रवासी जमा हो गए हैं जो यूरोपीय संघ में घुसने की कोशिश में हैं. इस कराण यूरोपीय संघ ने बेलारूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने का फैसला कर लिया है. रूस के करीबी बेलारूस का कहना है उस पर प्रवासी संकट खड़ा करने के आरोप निराधार हैं.
इस पूरी स्थिति के दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन से फोन पर बातचीत की. माक्रों के एक सलाहकार ने मीडिया को बताया, "राष्ट्रपति ने बताया कि हम यूक्रेन की संप्रभुता और हमारी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए तैयार हैं.”
पुतिन ने भी दिया जवाब
माक्रों से फोन पर हुई बातचीत में रूस ने कहा कि ब्लैक सी में अमेरिका और उसके सहयोगियों का सैन्य कदमताल उकसावे की कार्रवाई है. रूस ने कहा, "यह रूस और नाटो के बीच तनाव बढ़ा रहा है.”
दोनों नेताओं ने प्रवासी संकट पर भी बात की. माक्रों के सलाहकार के मुताबिक दोनों नेताओं के बीच इस बात पर सहमति बनी कि दोनों पक्षों को पीछे हटने की जरूरत है. हालांकि रूस ने इस बात पर जोर दिया कि यूरोपीय संघ सीधे बेलारूस से बात करे.
इससे पहले अमेरिका ने भी आरोप लगाया था कि बेलारूस सीमा पर खड़ा किया गया प्रवासी संकट यूक्रेन में रूसी सेना की गतिविधियों से ध्यान बंटाने का तरीका है. रूस के प्रवक्ता दिमित्री पेश्कोव ने इस आरोप को गलत बताते हुए खारिज कर दिया था.
क्या है प्रवासी संकट?
यूरोपीय संघ का कहना है कि बेलारूस अपने ऊपर पहले से लगाए गए प्रतिबंधों का बदला लेने के लिए प्रवासियों को पोलैंड की ओर धकेलने की नीति अपना रहा है. बेलारूस और रूस दोनों ने इन आरोपों को गलत बताया है. पिछले साल बेलारूस के नेता आलेक्जेंडर लुकाशेंको के विवादित चुनाव के बाद यूरोपीय संघ ने प्रतिबंध लगाए थे.
इराक और अफगानिस्तान से आए प्रवासी इस साल की शुरुआत से ही बेलारूस में सीमा पर जमा होना शुरू हो गए थे. वे पहले इस्तेमाल ना किए गए रास्तों के जरिए लिथुआनिया, लातविया और पोलैंड में घुसने की कोशिश कर रहे हैं.
यूरोपीय संघ के वरिष्ठ कूटनीतिक योसेप बॉरेल ने कहा है कि संघ के नेताओं के बीच बेलारूस पर पांचवीं बार प्रतिबंध लगाने पर सहमति बन गई है, इनकी रूपरेखा को आने वाले दिनों में अंतिम रूप दिया जाएगा. इनमें एयरलाइन, ट्रैवल एजेंसियों और प्रवासियों को अवैध रूप से यूरोप में भेजने की कोशिश कर रहे व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे.
चिंतित है अमेरिका
नाटो महासचिव येन्स स्टोल्टनबर्ग ने सोमवार को कहा था कि हम रूस की मंशा पर कोई अटकल नहीं लगाना चाहते. हालांकि उन्होंने जोड़ा, "हम सेना का एक असामान्य जमावड़ा देख रहे हैं और हम जानते हैं कि यूक्रेन के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई करने से पहले रूस इस तरह की सैन्य क्षमताओं के इस्तेमाल को तैयार रहता है.”
तस्वीरेंः शरणार्थियों की लाचारी
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दुनिया भर से खतरों से भाग रहे शरणार्थियों की लाचारी
समुद्र में डूबने से बचाया
बच्चा सिर्फ कुछ महीने का था जब एक स्पेनिश पुलिस गोताखोर ने उसे डूबने से बचा लिया. मई के महीने में हजारों लोगों ने यूरोप पहुंचने के लिए मोरक्को से भूमध्य सागर पार करने की कोशिश की थी. ये लोग स्पेन के छोटे से एन्क्लेव सेउता पहुंच गए थे. इस तस्वीर से सेउता में प्रवासी संकट की असली झलक देखने को मिलती है.
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कोई उम्मीद नहीं
भूमध्य सागर दुनिया के सबसे खतरनाक प्रवास मार्गों में से एक है. कई अफ्रीकी शरणार्थी समुद्र के रास्ते यूरोप पहुंचने में विफल रहने के बाद लीबिया में फंसे हुए हैं. त्रिपोली में कई ऐसे युवा हैं जो पल-पल अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उन्हें अक्सर कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है.
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सूटकेस में बंद जिंदगी
बांग्लादेश में कॉक्स बाजार शरणार्थी शिविर दुनिया के सबसे बड़े आश्रयों में से एक है. यहां म्यांमार से भागकर आए रोहिंग्या मुसलमानों की एक बड़ी संख्या रहती है. वहां के एनजीओ बाल शोषण, ड्रग्स, मानव तस्करी, साथ ही बाल श्रम और बाल विवाह जैसे मुद्दों पर चिंता जताते हैं.
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ताजा संकट
इथियोपिया के टिग्रे प्रांत में गृह युद्ध ने एक और शरणार्थी संकट पैदा कर दिया है. टिग्रे की 90 फीसदी आबादी विदेशी मानवीय सहायता पर निर्भर है. करीब 16 लाख लोग सूडान भाग गए हैं. इनमें 7,20,000 बच्चे शामिल हैं. ये शरणार्थी अस्थायी शिविरों में फंसे हुए हैं और वे अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं.
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दुनिया भर से खतरों से भाग रहे शरणार्थियों की लाचारी
शरणार्थियों को कहां जाना चाहिए?
तुर्की में फंसे सीरियाई और अफगान शरणार्थी अक्सर ग्रीक द्वीपों तक पहुंचने की कोशिश करते हैं. कई शरणार्थी ग्रीक द्वीप लेसबोस के मोरिया शरणार्थी शिविर में रहते थे. पिछले साल सितंबर में कैंप में आग लग गई थी. आग के बाद यह परिवार अब एथेंस आ गया है लेकिन अपने अगले गंतव्य के बारे में कुछ नहीं जानता है.
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एक कठिन जीवन
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में 'अफगान बस्ती रिफ्यूजी कैंप' में रहने वाले अफगान बच्चों के लिए कोई स्कूल नहीं है. 1979 में अफगानिस्तान में सोवियत हस्तक्षेप के बाद से यह शिविर अस्तित्व में है. वहां रहने की व्यवस्था बेहद खराब है. शिविर में पीने का पानी और पर्याप्त आवास का अभाव है.
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दुनिया भर से खतरों से भाग रहे शरणार्थियों की लाचारी
सहायता संगठनों से महत्वपूर्ण समर्थन
वेनेजुएला के कई परिवार अपने देश में अपने भविष्य को धूमिल देखकर पड़ोसी देश कोलंबिया चले गए हैं. वहां वे एनजीओ रेड क्रॉस से चिकित्सा और खाद्य सहायता प्राप्त करते हैं. रेड क्रॉस ने सीमावर्ती शहर अरौक्विटा के एक स्कूल में एक अस्थायी शिविर बनाया है.
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दुनिया भर से खतरों से भाग रहे शरणार्थियों की लाचारी
समाज में मिलने की कोशिश
कई शरणार्थी जर्मनी में अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की उम्मीद करते हैं. कार्ल्सरूहे में लर्नफ्रुंडे हाउस में शरणार्थी बच्चों को जर्मन स्कूल प्रणाली में प्रवेश के लिए तैयार किया जाता है. हालांकि कोविड महामारी के दौरान वे नए समाज में एकीकृत होने में मिलनी वाली मदद के इस अहम तत्व से चूक गए.
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि यूक्रेन से लगती सीमा पर रूस में असामान्य सैन्य गतिविधियां हो रही हैं. रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन कर्बी ने कहा कि ये गतिविधियां चिंता का विषय हैं और गुरुवार को अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन य्रूक्रेन में अपने समकक्ष से मुलाकात करेंगे.
2014 में रूस समर्थित अलगाववादियों ने यूक्रेन के पूर्वी डोनबास इलाके पर अधिकार कर लिया था. तब से यह विवाद लगातार जारी है. उसी साल रूस ने यूक्रेन से क्रीमिया भी छीन लिया था. क्रीमिया से लगते जल-क्षेत्र पर रूस अपना दावा जताता रहा है जबकि ज्यादातर देश उस प्रायद्वीप को आज भी यूक्रेन का हिस्सा मानते हैं.
वीके/एए (डीपीए, रॉयटर्स)
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उत्तरी अफ्रीका में तैर कर सरहद पार करते शरणार्थी
तैर कर यात्रा
करीब 6,000 लोग मोरक्को से स्पेन के छोटे से एन्क्लेव सेउता चले गए हैं. उनमें से कई तैर कर गए तो कुछ लोगों ने रबर की डिंगियों का इस्तेमाल किया. इन कोशिशों में कम से कम एक व्यक्ति डूब गया.
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उत्तरी अफ्रीका में तैर कर सरहद पार करते शरणार्थी
छिछले समुद्र में पैदल यात्रा
कुछ स्थानों पर पानी का स्तर इतना कम था कि कुछ लोग सेउता से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित तटों से छिछले पानी में पैदल चल कर ही आ गए.
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उत्तरी अफ्रीका में तैर कर सरहद पार करते शरणार्थी
यूरोप की सीढ़ी
अफ्रीका से जाने वाले प्रवासी लंबे समय से सेउता को यूरोप जाने की सीढ़ी के रूप में देखते रहे हैं, लेकिन इससे पहले कभी इतनी तेजी से लोगों का आगमन नहीं हुआ. स्थानीय लोगों का आरोप है कि स्पेन के साथ चल रहे एक झगड़े की वजह से मोरक्को ने अपनी सीमाओं पर नियंत्रण ढीले कर दिए हैं. मोरक्को के एक बागी नेता को स्पेन के एक अस्पताल में उपचार की अनुमति मिलने के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्ते खराब हो गए.
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उत्तरी अफ्रीका में तैर कर सरहद पार करते शरणार्थी
मोरक्को में निडेक के तट से शुरू होती है यात्रा
कई प्रवासी अपनी यात्रा की शुरुआत उत्तरी मोरक्को के शहर निडेक की पहाड़ियों पर चढ़ कर करते हैं. 17 मई को जब मोरक्को ने सीमाओं पर नियंत्रण ढीले किए तो सीमा पार करने के इच्छुक लोगों ने मौका लपक लिया.
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उत्तरी अफ्रीका में तैर कर सरहद पार करते शरणार्थी
पहुंचने पर गिरफ्तार
लेकिन सेउता पहुंचते ही स्पेन के सुरक्षाकर्मियों ने इन लोगों को गिरफ्तार कर लिया. स्पेन मोरक्को के रहने वालों को शरणार्थी दर्जा नहीं देता है. सिर्फ बिना अभिभावकों के आए नाबालिग सरकार की देख-रेख में देश में रह सकते हैं.
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उत्तरी अफ्रीका में तैर कर सरहद पार करते शरणार्थी
सेउता में मानवीय संकट
हजारों शरणार्थियों के अचानक आ जाने से सेउता में तैनात स्पेन की सेना, सिविल गार्ड और आपातकालीन कर्मियों पर दबाव बढ़ गया है. 85,000 लोगों की आबादी वाले इस शहर में स्पेन की सरकार को अतिरिक्त 200 अधिकारी भेजने पड़े. इनमें दंगा-विरोधी पुलिस दस्ता और सीमा नियंत्रण लागू करने वाले कर्मी भी शामिल हैं.
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उत्तरी अफ्रीका में तैर कर सरहद पार करते शरणार्थी
तुरंत वापस भेजना चाहता है स्पेन
स्पेन में मोरक्को से आ रहे वयस्कों को एक फुटबॉल स्टेडियम में ले जाया गया. उन्हें वापस मोरक्को भेजा जाएगा और प्रक्रिया के पूरा होने तक उन्हें स्टेडियम में ही इंतजार करना पड़ेगा.
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उत्तरी अफ्रीका में तैर कर सरहद पार करते शरणार्थी
बच्चे और किशोर भी पहुंचे
सेउता पहुंचने वालों में कई नाबालिग बच्चे भी शामिल थे. ऐसे बच्चों को रेड क्रॉस जैसे समूहों द्वारा चलाए जा रहे केंद्रों में भेज दिया गया. (बीट्रीस क्रिस्टोफारु)