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जर्मनी: धुर-दक्षिणपंथी एएफडी के खिलाफ कई शहरों में प्रदर्शन

१९ जनवरी २०२४

धुर-दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी के खिलाफ बड़े स्तर पर प्रदर्शन हो रहे हैं. हफ्ते के कामकाजी दिनों में हजारों की भीड़ जमा होकर एएफडी के खिलाफ नारे लगा रही है. चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने प्रदर्शनकारियों के प्रति आभार जताया है.

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एएफडी के खिलाफ प्रदर्शन
जर्मनी में दक्षिणपंथी चरमपंथियों के विरोध में एक प्रदर्शन. तस्वीर: Sebastian Christoph Gollnow/dpa/picture alliance

राजधानी बर्लिन समेत जर्मनी के कई शहरों में बीते कुछ दिनों से दक्षिणपंथी चरमपंथ के खिलाफ बड़े प्रदर्शन हो रहे हैं. 17 जनवरी को भी बर्लिन और फ्रायबुर्ग में शाम के वक्त हजारों लोगों का जमावड़ा लगा. फ्रायबुर्ग में प्रदर्शन के आयोजकों ने बताया कि करीब 10 हजार लोग विरोध में शामिल हुए.

जर्मनी की धुर-दक्षिणपंथी पार्टी "ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी" (एएफडी) और थुरिंजिया राज्य में इसके नेता ब्यॉर्न होयके, प्रदर्शनों का मुख्य विषय हैं. प्रदर्शनकारियों ने इनके खिलाफ नारेबाजी की. कई प्रदर्शनकारी "नाजी आउट" जैसे पोस्टरों के साथ भी दिखे.

क्यों हो रहे हैं प्रदर्शन?

इस रैलियों और प्रदर्शनों का संबंध पिछले दिनों आई एक खबर से है. जर्मनी की "करेक्टिव" मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में नवंबर 2023 की एक गुप्त बैठक का ब्योरा दिया, जिसमें दक्षिणपंथी विचारधारा के चरमपंथी और एएफडी नेता शामिल थे. इनके बीच जर्मनी में रह रहे लाखों प्रवासियों को देश से बाहर निकालने की एक योजना पर मशविरा हुआ. इस मीटिंग में एएफडी के वरिष्ठ सदस्यों के अलावा क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन (सीडीयू) और वेर्टेयूनियन ग्रुप के कुछ सदस्य भी शामिल थे.

बर्लिन में विरोध प्रदर्शन
गुप्त बैठक और उसके एजेंडे का ब्योरा सामने आने के बाद से जर्मनी में बहस छिड़ गई है कि क्या एएफडी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. तस्वीर बर्लिन में एएफडी के खिलाफ हुए एक हालिया प्रदर्शन की है. तस्वीर: Rainer Keuenhof/picture alliance

ऑस्ट्रिया में धुर-दक्षिणपंथी मुहिम के पूर्व प्रमुख मार्टिन जेल्नर ने समाचार एजेंसी डीपीए से पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने बैठक में "रीमाइग्रेशन" पर बात की थी. दक्षिणपंथी विचारधारा के चरमपंथी आमतौर पर "रीमाइग्रेशन" शब्द का इस्तेमाल इस संदर्भ में करते हैं कि विदेशी मूल के लोगों को देश छोड़कर निकल जाना चाहिए.

बैठक में शामिल और भी लोगों ने स्वीकार किया है कि उनके बीच इसपर बातचीत हुई कि प्रवासियों और अन्य समूहों को जर्मनी छोड़कर जाने के लिए किस तरह प्रोत्साहित किया जाए या उन पर दबाव बनाया जाए.

एएफडी पर प्रतिबंध लगाने की मांग

गुप्त बैठक और उसके एजेंडे का ब्योरा सामने आने के बाद से जर्मनी में बहस छिड़ गई है कि क्या एएफडी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. जर्मनी का कानून देश के लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था के लिए खतरा पैदा कर रहे राजनीतिक दलों पर कार्रवाई की गुंजाइश देता है.

जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने दक्षिणपंथी चरमपंथ के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों पर लोगों का आभार जताया है. शॉल्त्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "इससे हमें हिम्मत मिलती है. यह दिखाता है कि हम लोकतंत्र के समर्थक उन लोगों से कई-कई गुना ज्यादा हैं, जो हमें बांटना चाहते हैं."

जर्मनी के वाइस-चांसलर रोबर्ट हाबेक ने भी एएफडी की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि एएफडी के सदस्य सत्तावादी हैं और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा हैं. स्टर्न मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में हाबेक ने कहा, "दक्षिणपंथी सत्तावादी, गणतंत्र के सार पर हमला कर रहे हैं. वो जर्मनी को रूस जैसे देश में बदलना चाहते हैं."

हाबेक ने यह भी कहा कि धुर-दक्षिणपंथ से जुड़े लोग सुनियोजित तरीके से जर्मनी के गणतंत्र पर हमला करने की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि जब उनसे एएफडी पर संभावित प्रतिबंध के बारे में पूछा गया, तो हाबेक ने कहा कि आखिरी फैसला जर्मनी की संवैधानिक अदालत का होगा. उन्होंने यह भी कहा कि एएफडी समर्थकों को अपनी ओर करने के लिए राजनीतिक दलों को काम करना होगा.

हाबेक ने स्पष्ट किया कि एएफडी पर प्रतिबंध लगाया जाए कि नहीं, यह राजनीतिक नहीं बल्कि कानूनी सवाल है. अगर कानूनी तौर पर यह केस नाकाम रहा, तो इसके नतीजे बहुत गंभीर हो सकते हैं.

एसएम/एए (एएफपी, डीपीए)