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क्या जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी एएफडी लोकतंत्र के लिए खतरा है?

मार्सेल फुर्स्टेनाउ
५ जनवरी २०२४

जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी लोकप्रिय पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी चुनावों में काफी आगे निकल रही है. इस पार्टी को 2024 में पूर्वी जर्मनी में क्षेत्रीय चुनावों और यूरोपीय संसद के चुनावों में सफलता मिलने की उम्मीद है.

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एएफडी
एएफडी का लोगोतस्वीर: Klaus-Dietmar Gabbert/dpa/picture alliance

अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) पिछले कुछ समय से सफलता के नए प्रतिमान गढ़ रही है. हाल के चुनावों में यह पार्टी 23 फीसद वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रही, जबकि 2021 में हुए पिछले आम चुनाव में इस पार्टी को 10.3 फीसद वोट ही मिले थे.

एफडी की नवीनतम जीत दिसंबर में हुई जब चेक गणराज्य की सीमा पर पूर्वी राज्य सैक्सोनी के शहर पिरना में मेयर के चुनाव में 53 वर्षीय टिम लोकनर की जीत हुई. हालांकि लोकनर ने एक स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की लेकिन एएफडी ने उन्हें अपना समर्थन दिया था. पिरना शहर की आबादी 39,000 है.

इससे पहले, जून में एएफडी ने पूर्वी राज्य थुरिंगिया के सोनेबर्ग में एक जिला परिषद चुनाव जीता. जबकि अक्टूबर में एएफडी ने दक्षिणी और मध्य राज्यों बवेरिया और हेस्से में राज्य स्तरीय चुनावों में दोहरे अंकों में जीत हासिल की.

सैक्सनी में एफडी के नेता
पिरना के मेयर के चुनाव से पहले सैक्सनी में एफडी के महासचिव और चुनाव में उम्मीदवार टिम लोकनर और सैक्सनी में पार्टी के अध्यक्ष योर्ग अर्बनतस्वीर: Sebastian Kahnert/dpa/picture alliance

इस बीच, जर्मन अधिकारी एएफडी को उसकी चरमपंथी प्रवृत्तियों के चलते निशाना बना रहे हैं. सैक्सोनी, सैक्सोनी-एनहाल्ट और थुरिंगिया में पार्टी की सभी शाखाओं को घरेलू खुफिया एजेंसी, ऑफिस फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ कॉन्स्टीट्यूशन ने ‘प्रमाणित दक्षिणपंथी चरमपंथी' के तौर पर वर्गीकृत किया है.

इसके अलावा पांच और राज्यों में पार्टी पर ‘संदिग्ध दक्षिणपंथी उग्रवादी' होने की वजह से निगरानी रखी जा रही है. हालांकि, जर्मनी के कुल 16 संघीय राज्यों में से आठ राज्यों में अधिकारियों को अब तक पार्टी प्रतिनिधियों की आक्रामक बयानबाजी और उनके चरमपंथी-आव्रजन-विरोधी माहौल से रिश्तों को लेकर कोई समस्या नहीं दिख रही है.

मीडिया और एफडी

जर्मन मीडिया भी एएफडी से निपटने का सही तरीका खोजने के लिए संघर्ष कर रहा है. जून 2023 में, साप्ताहिक पत्रिका स्टर्न को अपनी कवर स्टोरी को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ा.

पत्रिका ने एएफडी के सह-अध्यक्ष और संसदीय समूह के नेता ऐलिस वीडेल के साथ एक विशेष साक्षात्कार प्रकाशित किया था और इस तरह एएफडी को अपनी बात रखने का एक मंच दिया था.

सार्वजनिक टीवी चैनलों पर होने वाले टॉक शोज में एएफडी के अधिक उदारवादी प्रतिनिधियों को गेस्ट के तौर पर आमंत्रित किया जा रहा है. फिर इन लोगों से एएफडी के थुरिंगियन प्रांत के नेता ब्योर्न होके और पश्चिमी जर्मनी के पूर्व इतिहास शिक्षक द्वारा दिए गए बयानों पर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा जाता है.

ब्यॉन होख
थुरिंजिया में एफडी के नेता ब्यॉन होख, एक टीवी इंटरव्यू के लिए तैयार होते हुएतस्वीर: Jens Schlueter/Getty Images

पश्चिमी जर्मनी के ये पूर्व इतिहास शिक्षक पार्टी के सबसे चरमपंथी गुट का नेतृत्व करते हैं और उन्हें अक्सर पार्टी के गुप्त नेता के रूप में जाना जाता है.

होके पर अक्सर धुर दक्षिणपंथी, और ‘महान प्रतिस्थापन', एक श्वेत वर्चस्ववादी साजिश सिद्धांत, अफ्रीकीकरण, ओरिएंटलाइजेशन और जर्मनी के इस्लामीकरण जैसी बातों को छेड़ने का आरोप लगाया गया है. लेकिन एएफडी के पार्टी नेताओं ने आमतौर पर होके के अधिक कट्टरपंथी बयानों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया है.

नवंबर 2023 में, टीवी टॉक शो की होस्ट सैंड्रा मैशबर्गर ने एक डीबेट आयोजित की जिसमें एएफडी के 82 वर्षीय मानद अध्यक्ष और सेंटर राइट क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) के पूर्व सदस्य अलेक्जेंडर गौलैंड और जर्मनी के पूर्व गृह मंत्री और नवउदारवादी फ्री डेमोक्रेट (एफडीपी) 91 वर्षीय गेरहार्ट बॉम आमने-सामने थे.

इन दोनों ही लोगों ने नाजी युग के अंत और द्वितीय विश्व युद्ध का दौर देखा है. होके की टिप्पणियों के संदर्भ में, बॉम ने कहा कि उन्होंने ‘एक जातीय मानसिकता दिखाई है जो अन्य मूल और धर्मों के लोगों को बाहर करती है'.

लेकिन गौलैंड ने इन आरोपों से इनकार किया और कहा, "हम एक जातीय आदर्श का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, हम सांस्कृतिक समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं. हां, हम उन लोगों के बड़े पैमाने पर आप्रवासन के खिलाफ हैं जो ऐसी संस्कृति से आते हैं जो हमारे लिए पूरी तरह से विदेशी है.”

क्या एफडी पर प्रतिबंध लगाना संभव है?

एफडी पर जिस तरह से चरमपंथ के आरोप लग रहे हैं, उन्हें देखते हुए यह बहस भी चल पड़ी है कि क्या उस पर प्रतिबंध भी लगाए जा सकते हैं?

जर्मन चांसलर ने दिया उम्मीद और मिलजुल कर काम करने पर जोर

जर्मन संविधान के मूल कानून के अनुसार, यदि राजनीतिक दलों का उद्देश्य या उनके समर्थकों का आचरण स्वतंत्र लोकतांत्रिक बुनियादी व्यवस्था को खत्म करने और जर्मनी के संघीय गणराज्य के अस्तित्व को खतरे में डालने वाला साबित हो जाए तो ऐसी राजनीतिक पार्टियों को संघीय संवैधानिक न्यायालय द्वारा प्रतिबंधित किया जा सकता है.

पश्चिमी जर्मनी के द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के इतिहास में, केवल दो पार्टियों पर प्रतिबंध लगाया गया है- 1952 में नेशनल सोशलिस्ट-ओरिएंटेड सोशलिस्ट रीख पार्टी (एसआरपी) और 1956 में जर्मनी की स्टालिनवादी कम्युनिस्ट पार्टी (केपीडी).

अब, सीडीयू सांसद मार्को वांडरविट्ज ने एएफडी पर प्रतिबंध लगाने की मांग करके एक बार फिर यह बहस शुरू कर दी है. और नवंबर में, डेर स्पीगल न्यूज मैगजीन ने तो ‘एएफडी पर प्रतिबंध लगाएं?' शीर्षक से ही 10 पेज की एक कवर स्टोरी प्रकाशित की थी.

बुन्डेस्टैग द्वारा वित्तपोषित जर्मन मानवाधिकार संस्थान के निदेशक बीट रुडोल्फ कहते हैं, "जर्मन इतिहास ने, विशेष रूप से दिखाया है कि यदि अमानवीय स्थितियों का समय रहते जोरदार विरोध नहीं किया जाता और उसे फैलने और मजबूत होने का मौका दिया जाता है तो ऐसी स्थिति में किसी राज्य की स्वतंत्र लोकतांत्रिक बुनियादी व्यवस्था को नष्ट करने से कोई रोक नहीं सकता.”

टीनो क्रुपाला, ऐलिस वीडेल
एफडी के अध्यक्ष टीनो क्रुपाला और सह-अध्यक्ष ऐलिस वीडेलतस्वीर: Klaus-Dietmar Gabbert/dpa/picture alliance

लेकिन डसेलडोर्फ विश्वविद्यालय की कानूनी विद्वान सोफी शॉनबर्गर का मानना ​​है कि प्रतिबंध संभव नहीं है. पब्लिक ब्रॉडकास्टर जेडडीएफ से बातचीत में उन्होंने कहा, "सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सामग्री को देखकर मुझे नहीं लगता कि यह सामग्री इस पार्टी को देश भर में प्रतिबंधित करने के लिए पर्याप्त है या नहीं. और यदि जर्मनी में आवेदन सफल होता है तो एएफडी स्ट्रासबर्ग में यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय का रुख कर सकती है. इसमें बहुत संदेह है कि वहां एएफडी पर प्रतिबंध बरकरार रखा जाएगा.”

पूरे यूरोप में लोकलुभावन पार्टियां मजबूत हो रही हैं

ब्रांडेनबर्ग, सैक्सोनी और थुरिंगिया राज्यों में 2024 में होने वाले चुनावों से पहले मौजूदा चुनावों में, एएफडी 30 फीसद से ज्यादा की रेटिंग के साथ हर जगह आगे है.

फिर भी, सरकार इस पार्टी की सरकार बनाने की संभावना कम है, क्योंकि अभी तक किसी भी अन्य पार्टी ने एएफडी के साथ गठबंधन करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है. यहां की स्थिति यूरोप के अन्य देशों, जैसे इटली, हंगरी, फिनलैंड और स्वीडन के विपरीत है, जहाँ दक्षिणपंथी लोकलुभावन और अति-दक्षिणपंथी पार्टियां सत्ता में आई हैं.

हालांकि इतिहासकार हेनरिक ऑगस्ट विंकलर यह बिल्कुल नहीं मानते कि लोकतंत्र कहीं दबाव में है- न सिर्फ जर्मनी में, बल्कि कहीं भी नहीं. दैनिक अखबार टागेसस्पीगल से बातचीत में विंकलर ने बताया, "तथ्य यह है कि राष्ट्रीय लोकलुभावन पार्टियों का हर जगह ताकतवर होना काफी चिंताजनक है.”

वो आगे कहते हैं कि लोकतंत्र कई तरफ से दबाव में है. लेकिन विंकलर काफी सावधानीपूर्वक आशावादी भी दिखते हैं. वो कहते हैं, "मेरा मानना ​​है कि पश्चिमी लोकतंत्र की उदारवादी ताकतें प्रबोधन की उपलब्धियों के विरोधियों से अधिक मजबूत साबित होंगी.”